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मोदीखाना खोलने से ज्यादा जरूरी है दवा माफिया का नेटवकतोड़ना : संधवा

प्राइवेट चिकित्सकों ने केमिस्टों दवा कंपनियों लैब संचालकों की ओर से लूट की जा रही है।

By JagranEdited By: Published: Sat, 04 Jul 2020 10:00 PM (IST)Updated: Sun, 05 Jul 2020 06:10 AM (IST)
मोदीखाना खोलने से ज्यादा जरूरी है दवा माफिया का नेटवकतोड़ना : संधवा

संवाद सहयोगी, कोटकपूरा

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प्राइवेट चिकित्सकों ने केमिस्टों, दवा कंपनियों ,लैब संचालकों तथा कुछ अन्य लोगों के साथ मिलीभगत कर मरीजों तथा उनके परिवार वालों को लूटने का धंधा बना रखा है। डॉक्टरों द्वारा जानबूझ कर ऐसी दवाए लिखी जाती हैं जो किसी खास केमिस्ट से या इनके अपने निजी अस्पताल में मौजूद दवा स्टोर से ही मिलती है। ऐसी दवाओं पर जो कीमत लिखी होती है वो मूल कीमत से कई गुना ज्यादा होती है। लैब संचालक भी संबधित डॉक्टरों के निर्देशनुसार मनचाही रिपोर्टें तैयार करते हैं। ऐसा होने के पीछे जो राज है उसके बारे में आम चर्चा है कि इसमें होने वाले लाभ का खास हिस्सा संबधित डॉक्टर को मिलता है। जेनेरिक दवाओं में शामिल एक ब्रांडेड कंपनी की एंटी फंगल क्रीम जिसके पैकेट के ऊपर प्रिट रेट 90 रुपये अंकित है, इसकी असल कीमत 25 रुपये से भी कम है। 130 रुपये प्रिट वाली अन्य क्रीम 50 रुपये से भी कम कीमत की है। 88 रुपये वाला कफ सिरप 25 रुपये से कम, 86 रुपये वाली दर्द निवारक क्रीम 20 रुपये में, तेजाब का 85 रुपये प्रिट वाला कैप्सूल 20 रुपये से कम, 66 रुपये वाला बीपी की गोली का पत्ता 15 रुपये से कम और 39 रुपये प्रिट वाला जेनेरिक एन्टीबायोटिक 10 रुपये से भी कम कीमत में आता है। इसी प्रकार सेट्रीजन साल्ट वाली कई दवाओं के ऊपर मूल कीमत का मुकाबले चार पांच गुना अधिक कीमत अंकित है। कुछ दवाएं तो ऐसी हैं जिनपर विदेशों में पाबन्दी लगी हुई है जबकि भारत में यह दवायें धड़ल्ले से लिखी जा रही हैं।

कोटकपूरा के नए खुले ज्यादातर प्राइवेट अस्पतालों में अंदर ही दवा स्टोर खोले गए हैं। ऐसे अस्पतालों में संबधित डॉक्टरों द्धारा लिखी गई ज्यादातर दवाइयां बा•ार के बड़े और प्रसिद्ध केमिस्टों के पास भी नहीं मिलती क्योंकि इन हस्पतालों में खुले हुए दवा स्टोरों में अंदरखाते हस्पताल के संचालक डॉक्टरों की हिस्सेदारी होती है। इस गोरखधंधे का फायदा सरकारी और निजी चिकित्सक तो उठा ही रहे हैं साथ ही बहुत से केमिस्ट भी इस बात का फायदा उठा कर मालामाल हो रहे हैं।

कोटकपूरा के विधायक कुलतार सिंह संधवा का कहना है कि चिकित्सा क्षेत्र के इस राज से देश और राज्य की सत्ता पर काबिज लोग वाकिफ न हों यह बात संभव ही नहीं है। लेकिन दवा कंपनियों और डॉक्टरों ने इनको पता नहीं कौन सी दवाई दी हुई है। जो यह इस मामले को लेकर सोये रहते हैं। ऐसे में सिर्फ सस्ती दवाओं के मोदीखाने खोलने से कुछ नहीं होगा, सस्ती दवाओं के मोदीखाने खोलने से भी जरूरी है कि इन सोये पड़े लोगों को जगाया जाए जिसके लिये पब्लिक को खुद इस सिस्टम के खिलाफ एक बुलंद आवाज उठानी पड़ेगी।


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