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परमात्मा सृष्टि के कण-कण में मौजूद

संवाद सहयोगी, कोटकपूरा दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा स्थानीय मोगा रोड पर स्थित अमन नगर आश्र

By JagranEdited By: Published: Sun, 22 Jul 2018 05:28 PM (IST)Updated: Sun, 22 Jul 2018 06:35 PM (IST)
परमात्मा सृष्टि के कण-कण में मौजूद
परमात्मा सृष्टि के कण-कण में मौजूद

संवाद सहयोगी, कोटकपूरा

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दिव्य ज्योति जागृति संस्थान द्वारा स्थानीय मोगा रोड पर स्थित अमन नगर आश्रम में सप्ताहिक सत्संग कार्यक्रम का आयोजन किया गया। सत्संग कार्यक्रम के दौरान सर्व श्री आशुतोष महाराज जी की शिष्या साध्वी रितु भारती जी ने प्रवचनों करते हुए बताया कि परमात्मा सर्वव्यापी है, उससे अलग कुछ भी नहीं है, वो सृष्टि के कण-कण में समाया हुआ है। लेकिन मनुष्य है कि अपने आपको उससे पृथक मानता है।

उन्होंने कहा कि अहंकार व अज्ञान की दीवार मनुष्य को ईश्वर से दूर करती है और मैं-तूम की भावना पैदा करती है। इस दूरी को पार करके ही मनुष्य ईश्वर तक पहुंच सकता है व उसे पा सकता है। प्रत्येक व्यक्ति के अत:करण में दिव्यता का वास है। बुरे से बुरा व्यक्ति भी उससे अछूता नहीं है। इस दिव्यता को अभिव्यक्त करने का एक मात्र साधन है ब्रह्मज्ञान। पतन की ओर बढ़ते हुए कदम भी ब्रह्मज्ञान के माध्यम से अध्यात्मिकता के उच्च शिखरों तक पहुंचने के लिए वापस मोड़े जा सकते हैं। इस ज्ञान में वो शक्ति है जो हर व्यक्ति को गुण भरपूर बना सकती है। बह्मज्ञान का अर्थ है, आत्मज्ञान यानि अपनी आत्मा को जानना, जोकि परमात्मा का ही स्वरूप है। आत्मा को जान कर ही हम उस परमात्मा को जान सकते हैं, क्योंकि दोनो एक ही तत्व हैं।

साध्वी जी ने कहा कि जब हम अपने घर में ही उस ईश्वर को देख लेते हैं, तो हम अंतरमुखी हो जाते हैं। उसके बाद हमारा अध्यात्म का सफर शुरू होता है। जो मन पहले वासनाओं, भ्रमों व निरर्थक बातों में उलझा रहता था, वो आत्मा में स्थित होने लगता है और हमें परम शांति की ओर ले जाता है।


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