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शिव का अर्थ शांति, सुख और आनंद : कमलानंद गिरि

संवाद सहयोगी,जैतो श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी

By JagranEdited By: Published: Sat, 18 Aug 2018 04:46 PM (IST)Updated: Sat, 18 Aug 2018 04:46 PM (IST)
शिव का अर्थ शांति, सुख और आनंद : कमलानंद गिरि

संवाद सहयोगी,जैतो

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श्री कल्याण कमल आश्रम हरिद्वार के अनंत श्री विभूषित 1008 महामंडलेश्वर स्वामी कमलानंद गिरि ने कहा कि भोलेनाथ स्वयंभू हैं। वह परमपिता परमात्मा अर्थात सभी के पितामह हैं और महादेव हैं। जिस दिन मनुष्य ने भगवान शंकर की पूजा-अर्चना न की हो समझो वो दिन उसकी ¨जदगी का सबसे ज्यादा अमंगलमय दिन है। उस दिन उसे सबसे बड़ा दोष व सबसे ज्यादा हानि हुई है ऐसा समझना चाहिए। ये विचार स्वामी कमलानंद ने जैतो के रेलवे फाटक के पास स्थित संन्यास आश्रम में आयोजित श्री शिव पुराण कथा के सातवें दिन प्रवचनों की अमृतवषर करते हुए व्यक्त किए।

स्वामी कमलानंद जी ने कहा कि जैसे वृक्ष की जड़ में पानी डाल दिया जाए तो सारे वृक्ष को पानी स्वयं मिल जाता है। ऐसे ही भोलेनाथ पर जल चढ़ा दें तो भोलेनाथ तृप्त हो जाएं तो ब्रम्हांड के सारे देवता तृप्त हो जाते हैं। शिव पुराण में लिखा है कि सतयुग में व्यक्ति तपस्या से, त्रेता में यज्ञ के द्वारा। द्वापर में ध्यान के द्वारा और कलयुग में भगवान की पूजा के द्वारा मानव भवसागर से पार होता है। नाम जप के द्वारा व्यक्ति परमात्मा को प्राप्त करते हैं। इसलिए शिव आराधना होनी ही चाहिए क्योंकि जैसे अंग्रेजी में वाटर शब्द का अर्थ पानी होता है, इसी प्रकार शिव शब्द का अर्थ शांति, सुख, आनंद होता है। शांति, सुख, आनंद और अत्यंत कल्याण शिव के अर्थ है। शिव-शिव जपने से हर वस्तु व्यक्ति के पीछे ¨खची चली आती है। एक कैमरा होता है जो बाहर का चित्र लेता है। जिसको फोटो कैमरा कह सकते हैं। एक और कैमरा होता है जो अंदर का चित्र लेता है जिससे एक्सरे कहते हैं। सामान्य कैमरा सिर्फ बाहर हमारा चेहरा, सिर्फ चित्र दिखा सकता है। अंदर क्या है वह नहीं दिखा सकता। मगर एक्सरे कैमरा हमारे अंदर की हड्डियां, मांसपेशियां सब देखी जा सकती हैं। परंतु उससे चेहरा नहीं दिखा सकता।

ऐसे ही दो दृष्टियां हो गई हैं। अज्ञानी व्यक्तियों की दृष्टि बाहर वाले कैमरे की तरह है, लेकिन ज्ञानी की दृष्टि एक्सरे कैमरे की तरह है। जो बाहर न दिखाकर अंदर आत्मा और परमात्मा को दिखाता है। भगवान शिव की आराधना करने वाले व्यक्ति की दृष्टि एक्सरे कैमरे की तरह व्यापक ब्रह्म का अनुभव करती है। श्री महाराज ने बताया कि सभी की इंद्रियों में संबंधित देव बैठे हुए हैं। जैसे की आंखों में सूर्य बैठे हैं। कानों में दिशाएं बैठी हैं। नाक में अश्विनी कुमार। हाथों में इंद्र देवता और पैरों में विष्णु भगवान बैठ गए। मन में चंद्रमा बैठे हैं। यह सभी देवता आत्माराम ज्ञानी और ध्यानी व्यक्ति को भगवान शिव तक ले जाने में सहायता करते हैं। इसलिए सदैव शिव आराधना करनी चाहिए। कार्यक्रम दौरान भजन गायिका ज्योति शर्मा ने मनमोहक भजनों से श्रद्धालुओं को भाव-विभोर कर दिया।


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