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हाकम ने दो साल पहले पाराली न जलाने का लिया संकल्प

पराली को आग लगाने से पर्यावरण को ही नुकसान नहीं पहुंचता बल्कि मानव सेहत पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। ऐसे में जरूरत है कि हमारे जैसे दूसरे किसान पराली न जलाने का संकल्प लें।

By JagranEdited By: Published: Fri, 23 Oct 2020 07:10 AM (IST)Updated: Fri, 23 Oct 2020 07:10 AM (IST)
हाकम ने दो साल पहले पाराली न जलाने का लिया संकल्प
हाकम ने दो साल पहले पाराली न जलाने का लिया संकल्प

जागरण संवाददाता, फरीदकोट : पराली को आग लगाने से पर्यावरण को ही नुकसान नहीं पहुंचता बल्कि मानव सेहत पर भी इसका बुरा असर पड़ता है। ऐसे में जरूरत है कि हमारे जैसे दूसरे किसान पराली न जलाने का संकल्प लें। पराली को खेत में मिलाने से खेत की उपजाऊ शक्ति बढ़ती है, जबकि पराली जलाने से खेत की उर्वरा शक्ति व मित्र किट नष्ट हो जाते है। यह कहना है कि दो सालों से पराली को आग न लगाने का संकल्प लेने वाले किसान हाकम सिंह का।

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हाकम सिंह पराली को खेत में फैलाने के साथ उसमें जुताई कर गेहूं की बिजाई करते है। यह प्रगतिशील किसान कृषि विभाग और किसान कल्याण, फरीदकोट के साथ संपर्क में है जो कृषि विशेषज्ञों की सलाह के अनुसार अपनी खेती करता है। जिला मुख्य कृषि अधिकारी डाक्टर हरनेक सिंह रोडे, रमनदीप सिंह एडीओ ने कहा कि किसान हाकम सिंह उनसे कृषि के बारे में समय-समय पर जानकारी लेते रहते है, किसान द्वारा अपने खेत में एसएमएस से धान की कटाई की जाती है। उन्होंने अन्य किसानों से वैकल्पिक कृषि उपकरणों का उपयोग करने की भी अपील की, ताकि खेतों में फसलों के अवशेष जलाने से बचा जा सके। इससे पराली को जलाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी।


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