Move to Jagran APP

बहिबल कलां गोलीकांड की चौथी बरसी पर बंटी नजर आई सिख संगत, चार साल बाद भी न्याय का इंतजार

बहिबल कलां गोलीकांड की चौथी बरसी पर सिख संगत बंटी नजर आई। कोटकपूरा बरगाड़ी बहिबल कलां गुरूद्धारा व गांव सरावां में अलग-अलग समागम हुआ।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Mon, 14 Oct 2019 04:51 PM (IST)Updated: Mon, 14 Oct 2019 04:50 PM (IST)
बहिबल कलां गोलीकांड की चौथी बरसी पर बंटी नजर आई सिख संगत, चार साल बाद भी न्याय का इंतजार
बहिबल कलां गोलीकांड की चौथी बरसी पर बंटी नजर आई सिख संगत, चार साल बाद भी न्याय का इंतजार

जेएनएन, फरीदकोट। बहिबल कलां गोलीकांड की चौथी बरसी पर सिख संगत बंटी नजर आई। कोटकपूरा, बरगाड़ी, बहिबल कलां, गुरूद्धारा व गांव सरावां में अलग-अलग समागम हुआ। बरगाड़ी में सुखपाल सिंह खैैहरा ने प्रदेश सरकार के मुखिया कैप्टन अमरिंदर सिंह पर तंज कसते हुए कहा कि कैप्टन ने विधानसभा चुनाव के दौरान कहा था कि वह सरकार बनने पर दो सप्ताह के अंदर बेअदबी और गोलीकांड के दोषियों को पकड़ लेंगे, लेकिन अब तक ऐसा नहींं हो पाया।

loksabha election banner

संत दादूवाला ने किसी का नाम लिए बिना कहा कि गोलीकांड के दोषियों को सजा दिलाने के लिए 2018 में बरगाड़ी में सिख संगत द्वारा लगाया गया मोर्चा उठाना ठीक नहीं रहा। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिदंर सिंह के राजनीतिक सलाहकार व फरीदकोट के विधायक कुशलदीप सिंह ढिल्लों ने कहा कि पूर्ववर्ती अकाली सरकार ने अज्ञात पुलिस वालों पर दोषियों के रूप में मुकदमा दर्ज किया था, जबकि पुलिस कभी अज्ञात नहीं होती।

उन्होंने कहा कि इस मामले में कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार ने गोलीकांड के दोषी पुलिस अधिकारियों पर नामजद मुकदमा करके उन्हें न्याय के कटखरे में खड़ा किया। उन्होंने कहा कि अकाली सरकार ने उक्त घटना पर सियासत की, जबकि कांग्रेस सरकार ने हमेशा पीड़ित परिवार और सिख संगतों के दु:ख-सुख में साथ खड़ी रही। 

चार साल में दो एसआइटी, दो आयोग व सीबीआइ जांच के बाद भी न्याय का इंतजार

बता दें, प्रदेश की धार्मिक व राजनीतिक सियासत में भूचाल लाने वाले बहिबलकलां गोलीकांड का दोषी कौन है, इस सवाल का जवाब घटना के चार साल बाद भी नहीं मिल सका है। 12 अक्टूबर 2015 को बरगाड़ी में श्री गुरु ग्रंथ साहिब की बेअदबी की घटना सामने आने के बाद 14 अक्टूबर को कोटकपूरा व बहिबलकलां में शांतिपूर्ण तरीके से प्रदर्शन कर रहे लोगों पर पुलिस ने गोली चलाई थी। बहिबलकलां में दो युवकों की जान चली गई थी। पंजाब पुलिस की दो एसआइटी, प्रदेश सरकार की ओर से बनाए गए दो आयोग और सीबीआइ की तमाम एंगल से जांच के बाद भी ठोस नतीजा आज तक नहीं निकल सका है।

बीते चार सालों में डेढ़ साल तक प्रदेश में बादल सरकार रही और ढाई साल से मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की सरकार है। दोनों ही सरकारों द्वारा सिख संगत की भावनाओं के अनुरूप एसआइटी व आयोग का गठन कर नतीजे पर पहुंचने की कोशिश की गई, लेकिन अभी तक पूरी तरह से यह नहीं तय हो पाया है कि मुख्य दोषी कौन है। बेअदबी व गोलीकांड को लेकर प्रदेश में सियासत भी खूब हुई जो अब भी जारी है। चाहे 2017 के विधानसभा चुनाव हों या फिर 2019 के लोकसभा चुनाव, राजनीतिक दलों द्वारा एक-दूसरे पर जमकर आरोप-प्रत्यारोप लगाए गए। इन चुनावों में अकाली दल का प्रदर्शन अच्छा नहीं रहा जिसके पीछे इस कांड का प्रभाव भी माना गया।

बादल से भी हुई पूछताछ

लोकसभा चुनाव से पहले प्रदेश सरकार ने एडीजीपी प्रबोध कुमार के नेतृत्व में एसआइटी का गठन किया जिसमें आइजी कुंवर विजय प्रताप सिंह, कपूरथला के एसएसपी सतेंद्र पाल सिंह व एसपी फाजिल्का भूपेंद्र सिंह भी शामिल हैैं। एसआइटी ने तत्कालीन मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह, पूर्व उप मुख्यमंत्री सुखबीर सिंह बादल समेत घटना से संबंधित कई पुलिस अधिकारियों व शिअद नेताओं से पूछताछ की।

अधिकारी कुछ भी बोलने को तैयार नहीं

पुलिस का कोई भी अधिकारी मामला कोर्ट में होने के कारण खुलकर कुछ भी बोलने को तैयार नहीं है। अधिकारी दबी जुबान में इतना ही कहते हैं कि अब तक की सभी जांचों के परिणाम में कोई ठोस व स्पष्ट रूप से सबूत नहीं मिला है जिसके आधार पर घटना का मुख्य दोषी किसी एक को करार दिया जाए।

11 नवंबर की सुनवाई का इंतजार

फिलहाल पुलिस विभाग व दूसरी एजेंसियों को 11 नवंबर को पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट में याचिका की सुनवाई का इंतजार है। यह याचिका उन पुलिस अधिकारियों ने दायर की है जिन्हें एसआइटी ने चालान में आरोपित ठहराया है। यदि हाई कोर्ट ने याचिका दायर करने वाले पुलिस अधिकारियों के हक में स्टे दे दिया तो मामले का और लंबा खिंचना तय है।

सरकार से इंसाफ की उम्मीद खत्म, अब कानून का सहारा

बहिबलकलां में पुलिस की गोलीबारी में जान गंवाने वाले किशन भगवान सिंह के बेटे सुखराज सिंह का कहना है कि चार साल बाद भी उन्हें सरकार से इंसाफ नहीं मिला है। अब तो सरकार से उन्होंने उम्मीद ही छोड़ दी है। अपने स्तर पर खुद ही कानूनी लड़ाई शुरू कर दी है। इसी तरह से पुलिस की गोली का शिकार हुए गुरजीत सिंह के पिता साधु सिंह का कहना है कि बेटे ने श्री गुरु ग्रंथ साहिब जी के सम्मान की बहाली के लिए शहादत दी, अब भी दोषी पुलिसवालों को सजा नहीं मिल पाई है। सजा मिलने पर ही उन्हें तसल्ली होगी।

उल्लेखनीय है कि दोनों मृतकों के परिजनों को अब तक प्रदेश सरकार की ओर से एक-एक करोड़ रुपये व तृतीय श्रेणी की नौकरी मिल चुकी है। उक्त धनराशि में से दस-दस लाख रुपये बादल सरकार के समय जबकि मौजूदा सरकार की ओर से 90-90 लाख रुपये दिए गए हैैं।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.