लोक गायक करतार रमला की हार्टअटैक से हुई मृत्यु
पंजाबी लोक गायक करतार रमला की 73 वर्ष की आयु में बुधवार दोपहर बाद चार बजे घर पर हार्टअटैक से मृत्यु हो गई।
जागरण संवाददाता, फरीदकोट : पंजाबी लोक गायक करतार रमला की 73 वर्ष की आयु में बुधवार दोपहर बाद चार बजे घर पर हार्टअटैक से मृत्यु हो गई। उनकी मौत पर पंजाब के लोक गायकों व सासद मोहम्मद सदीक द्वारा शोक संवेदना जताई गई है।
करताल रमला का जन्म 1947 में पाकिस्तान के लाहौर जिले के गाव हुंदाल में हुआ था, उनके पिता का नाम ग्यानी प्यारा सिंह व माता का नाम करतार कौर था। देश के बंटवारे के समय रमला का परिवार फरीदकोट में आकर बस गया था, उस समय उनकी उम्र चार माह थी। पिता प्यारा सिंह किसान थे, परंतु उन्हें संगीत की समझ थी, पिता से ही रमला ने संगीत व साज बजाने की शिक्षा हासिल की। रमला ने अपने गीतों की शुरूआत व्यंग भरे गीतों से की, परंतु उनका पहला गीत 1978 में जोबन वेखिया मुकदा नहीं रिकार्ड हुआ, इस गाने से रमला को नई पहचान मिली और इसी ने उन्हें पंजाबी लोक गायकी में नया मुकाम दिलाया।
फरीदकोट के सासद व पंजाबी लोक गायक मोहम्मद सदीक, गायक दीदार संधू, जगमोहन कौर, नरिंदर बीबा के साथ उन्होंने कई गीत गाए। मोहम्मद सदीक के अखाड़ों का अहम हिस्सा होते थे रमला, और रमला से ही मोहम्मद सदीक ने पगड़ी बाधनी सीखी थी, रमला का नाम वर्तमान समय के गायकों द्वारा अपने गीतों में प्रयोग किया जाता है। करतार रमला ने गानों में सबसे पहले अपनी जोड़ी लोक गायिका सुखवंत कौर के साथ बनाई, इसके अलावा कई अन्य के साथ जोड़िया बनाई थी, परंतु वर्तमान समय में उनकी जोड़ी नवजोत रानी के साथ थी, जो कि देश-विदेश में एक नई पहचान बनाई।
उनकी असमय मृत्यु पर सासद व लोक गायक मोहम्मद सदीक ने कहा कि वह सासद की कार्यवाई में भाग ले रहे थे, ऐसे में उन्हें अभी-अभी पता चला है उन्होंने रमला के साथ तीन साल एकट्ठें काम किया है, उन्हें यह दुखद समाचार सुनकर आश्चर्य हुआ है।
रमला के प्रसिद्ध गाने-
- इह जोबन वेखिया मुकदा नहीं,
-रंन बोतल वरगी,
-क्यों मखना तैनू प्यार नहीं आऊंदा,
-मोती बाबा डाग वालिया,
-चन्ना मैं प्लस टू तो फेल हो गई आदि है।