Move to Jagran APP

ऐतिहासिक नीम के पेड़ पर तिरंगा फहरा मनाया झंडा दिवस

फरीदकोट की पुरानी दाना मंडी के ऐतिहासिक नीम के पेड़ पर 27 मई को 75वां झंडा दिवस मनाया गया।

By JagranEdited By: Published: Thu, 27 May 2021 10:35 PM (IST)Updated: Thu, 27 May 2021 10:35 PM (IST)
ऐतिहासिक नीम के पेड़ पर तिरंगा फहरा मनाया झंडा दिवस
ऐतिहासिक नीम के पेड़ पर तिरंगा फहरा मनाया झंडा दिवस

जागरण संवाददाता, फरीदकोट : फरीदकोट की पुरानी दाना मंडी के ऐतिहासिक नीम के पेड़ पर 27 मई को 75वां झंडा दिवस मनाया गया। ध्वजारोहण पूर्व राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह के पीए रहे सुरेंद्र गुप्ता ने किया। 27 मई, 1946 का दिन फरीदकोट के इतिहास में सुनहरे अक्षरों में दर्ज है। इसी दिन देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू ने अंग्रेजी हुकूमत के समर्थक फरीदकोट रियासत के राजा हरिदर सिंह द्वारा लागू की गई पाबंदी व कानून को तोड़कर तिरंगा झंडा फहराया था। 75वें ध्वजारोहण के अवसर पर गिदरजीत सिंह सेखो चेयरमैन मार्केट कमेटी फरीदकोट, साजन शर्मा, रूलदू सिंह औलख, रविदर कुमार आदि उपस्थित रहे।

loksabha election banner

सुरेंद्र गुप्ता ने बताया कि देश में आजादी की लहर चल रही थी। इसी क्रम में अंग्रेजी हुकुमत के हिमायती फरीदकोट रियासत के राजा हरिंदर सिंह द्वारा आजादी आंदोलन को कुचलने के लिए आजादी के दीवानों को जेलों में ठूंसा जा रहा था। इसके विरोध में फरीदकोट रियासत की जनता ने 30 अप्रैल, 1946 से विरोध स्वरूप हड़ताल शुरू कर दी थी। यह हड़ताल पंडित नेहरू के फरीदकोट आने और नेहरू-हरिंदर पैक्ट के बाद ही खत्म हुई। देश में किसी भी रियासत के विरुद्ध आजादी आंदोलन के दौरान यह सबसे बड़ी हड़ताल थी। पंडित जवाहर लाल नेहरू को फरीदकोट की जनता द्वारा फरीदकोट रियासत के विरुद्ध देश की आजादी के लिए किए जा रहे संघर्ष और हड़ताल की जानकारी हुई। वह 27 मई, 1946 को फरीदकोट पहुंचे। नेहरू के फरीदकोट पहुंचने की सूचना पर फरीदकोट रियासत ने धारा 144 लगा दी। जैसे ही वह फरीदकोट रेलवे स्टेशन से आगे बढ़े उन्हें फरीदकोट रियासत के मजिस्ट्रेट ने धारा 144 लागू होने का पत्र सौंपा, जिसे उन्होंने वहीं फाड़कर फेंक दिया और तिरंगा झंडा फहराने का फैसला किया। जिस स्थान पर उन्होंने पत्र को फाड़कर फेंका था, वहीं पर उनकी याद में एक विशाल गेट बनाया गया, जिसका नाम नेहरू गेट रखा गया जो आज भी विद्यमान है। सुरेंद्र गुप्ता ने बताया कि यहां से वह जुलूस के रूप में पुरानी दाना मंडी पहुंचे और नीम के पेड़ के पास तिरंगा झंडा फहराया। वह राजा हरिंदर सिंह के प्रस्ताव पर राजमहल गए, वहां पर पंडित नेहरू और राजा हरिंदर के मध्य एक समझौता हुआ। इसके आधार पर आजादी के लिए संघर्ष करने वाले जेल में बंद सभी लोगों को राजा ने तुरंत रिहा करने का आदेश दिया। 27 मई, 1971 को मनाई थी झंडा दिवस की सिल्वर जुबली

27 मई, 1971 को झंडा दिवस की सिल्वर जुबली उनके नेतृत्व में मनाई गई। जिसमें मुख्यातिथि के रूप में तत्कालीन गृह राज्य मंत्री केसी पंत शामिल हुए। समारोह की प्रधानगी प्रदेश कांग्रेस के तत्कालीन प्रधान ज्ञानी जैल सिंह ने की। इसके बाद 27 मई, 1996 में गोल्डन जुबली पर प्रदेश के तत्कालीन मुख्यमंत्री की ओर से उनकी पत्नी जसवंत कौर मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुई और इस कार्यक्रम की प्रधानगी सीपीआई के महासचिव डा. जोगिंदर पाल ने की।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.