स्मॉग से आंखों में जलन, सांस लेने में दिक्कत
दीपावली के बाद से ही आसमान में छाये स्मॉग के कारण ना सिर्फ लोगों की आंखों में जलन हो रही है बल्कि सांस लेने में भी दिक्कत पेश आ रही है। स्मॉग के कारण बहुत से लोगों को भी मुंह पर सेफ्टी मास्क लगाकर प्रदूषित हवा से बचाव करने का प्रयास किया जाता आम देखा जा रहा है।
जागरण संवाददाता,फरीदकोट
दीपावली के बाद से ही आसमान में छाए स्मॉग के कारण न सिर्फ लोगों की आंखों में जलन हो रही है बल्कि सांस लेने में भी दिक्कत पेश आ रही है। स्मॉग के कारण बहुत से लोगों को भी मुंह पर सेफ्टी मास्क लगाकर प्रदूषित हवा से बचाव करने का प्रयास किया जाता आम देखा जा रहा है।
शहर और आसपास के इलाके में धूल-धुएं की चादर आसमान पर इस कदर छाई है कि लगातार दूसरे दिन रविवार को दिनभर सूर्य देवता के दर्शन नसीब नहीं हो पाए। स्मॉग के कारण ही सुबह और शाम के समय सड़कों पर बिजिविलिटी कम रहता है और वाहन चालकों को हेड लाइट जला कर सड़क पर चलना पड़ा रहा है। इसकी वजह से बड़ी संख्या में लोगों को सांस लेने में तकलीफ हो रही है और आंखों में जलन की शिकायत तो आम ही हो चुकी है। माना जा रहा है कि खेतों में पराली जलाने और दीपावली पर पटाखों के कारण ही आसमान में स्मॉग छाया हुआ है। जिसके तेज हवा चलने या बारिश होने की सूरत में ही हटने के आसार है।
खेतीबाड़ी विभाग के मुताबिक स्मॉग वायु प्रदूषण का एक रूप है। यह धुआं और कोहरे का एक मिश्रण होता है। इसकी हवा में नाइट्रोजन ऑक्साइड, सल्फर ऑक्साइड, ओजोन, स्मॉक और पार्टिकुलेट्स घुले होते हैं। हमारे द्वारा इस्तेमाल किए जाने वाले वाहनों से निकलने वाला धुआं, फैक्ट्रियों और कोयले आदि के जलने से निकलने वाला धुआं इस तरह के वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण होता है। इनसेट
मास्क व चश्मे का करें प्रयोग : एसएमओ
सिविल अस्पताल के एसएमओ डॉ.चंद्रशेखर कक्कड़ ने बताया कि इस तरह के प्रदूषण की वजह से सांस के मरीजों को खासी परेशानी पैदा होती है। आंखों में पानी आने ,जलन होने के मरीज भी बढ़े है। ऐसे समय में बाहर निकलते समय मुंह पर मास्क और आंखों पर चश्मे का उपयोग किया जाना चाहिए।