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भाई घनईया सेवा सोसायटी ने जगाई पर्यावरण संरक्षण की अलख, बांटे दो हजार पौधे

मानवता की भलाई वाले सेवा कामों में लगातार प्रयासरत भाई घनईया कैंसर रोको सेवा सोसायटी ने पर्यावरण की संभाल के लिए जहा ़खुद फ्री पौधे बाटने का प्रयास शुरू कर दिया ह

By JagranEdited By: Published: Wed, 21 Jul 2021 10:55 PM (IST)Updated: Wed, 21 Jul 2021 10:55 PM (IST)
भाई घनईया सेवा सोसायटी ने जगाई पर्यावरण संरक्षण की अलख, बांटे दो हजार पौधे
भाई घनईया सेवा सोसायटी ने जगाई पर्यावरण संरक्षण की अलख, बांटे दो हजार पौधे

संवाद सूत्र कोटकपूरा : मानवता की भलाई वाले सेवा कामों में लगातार प्रयासरत भाई घनईया कैंसर रोको सेवा सोसायटी ने पर्यावरण की संभाल के लिए जहां ़खुद फ्री पौधे बाटने का प्रयास शुरू कर दिया है, वहाँ पर्यावरण प्रेमियों समेत आम लोगों को भी प्रेरित करते कहा है कि वह गलोबिग वार्मिंग से बचने के लिए अधिक से अधिक प्रयास करें । संस्था के प्रधान गुरप्रीत सिंह चंदबाजा और सीनियर मीत प्रधान कुलतार सिंह संधवा विधायक कोटकपूरा के नेतृत्व मे सोसायटी के वफद ने गांव -गांव जा कर लोगों को फलदार, फूलदार और छायादार पौधों को बांटते हुए पेड़ों के लाभ से अवगत करवाया। गांव चन्दबाजा से शुरू हुआ उक्त का़िफला मिशरीवाला, घुमियारा, मोरांवाली, पक्का, टहना, धूड़कोट आदि में पहुंचा और हर गांव के निवासियों को उन की पसंद मुताबिक लगभग 2000 पौधे बांटे । डा. देवेंदर सैफी, सुखविन्दर सिंह बब्बू और मघघर सिंह फरीदकोट ने कई जगह सवाल -जवाब करते बताया कि कई लोग वृक्षों को सि़र्फ आक्सीजन और लकडी के काम आने का स्त्रोत मानते हैं परन्तु वह इन बातों से बिल्कुल ही अनजान हैं कि वृक्षों के ओर भी अनगिनत लाभ हैं। इंजी. जगतार सिंह गिल्ल और गुरमीत सिंह धूड़कोट मुताबिक दुनिया भर में धरती पर 33 प्रतिशत जंगल होने जरूरी के मुकाबले पंजाब की धरती पर सिर्फ चार प्रतिशत जंगल का रह जाना और व्यापारी वर्ग की तरफ से अभी तरक्की के नाम पर धड़ाधड़ वृक्षों की कटाई किसी बड़े खतरे के संकेत से कम नहीं, परन्तु पता नहीं क्योंकि हम आने वाली नयी पीड़ी के लिए काटे ही नहीं बल्कि मुसीबतों बीज कर जा रहे हैं । निर्मल सिद्धू, सरपंच गुरविन्दर सिंह, सरपंच गुरप्रीत सिंह, मनदीप सिंह मोरांवाली, गगनजोत सिंह चन्दबाजा, गुरजंट सिंह मिशरीवाला, बखतौर सिंह घुम्यारा, सुखवंत सिंह पक्का आदि ने बताया कि आम लोग इस गलतफहमी में हैं कि बारिश कम पड़ने कारण ही पेड़ तैयार नहीं हो रहे, जबकि हकीकत यह है कि पेड़ न होने करके ही बारिशें नहीं पड़ रही है ।

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