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चंडीगढ़ एमसीएम कॉलेज में मनाया जीरो डिस्क्रिमिनेशन डेः छात्राओं ने पोस्टर मेकिंग और स्लोगन राइटिंग से दिया संदेश

चंडीगढ़ एमसीएम कॉलेज सेक्टर-36 में जीरो डिस्क्रिमिनेशन डे मनाया गया। कार्यक्रम का आयोजन कॉलेज के डिपार्टमेंट ऑफ फिलॉसफी ने किया। जिसमें शून्य भेदभाव विषय पर स्लोगन राइटिंग और पोस्टर मेकिंग गतिविधियां करवाई गई। कॉलेज प्रिंसिपल ने कहा कि लक्ष्य को हासिल करने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है।

By Ankesh KumarEdited By: Published: Wed, 03 Mar 2021 05:05 PM (IST)Updated: Wed, 03 Mar 2021 05:05 PM (IST)
चंडीगढ़ एमसीएम कॉलेज में मनाया जीरो डिस्क्रिमिनेशन डेः छात्राओं ने पोस्टर मेकिंग और स्लोगन राइटिंग से दिया संदेश
चंडीगढ़ एमसीएम कॉलेज में मनाए गए जीरो डिस्क्रिमिनेशन डे पर स्लोगन लिखती छात्रा।

चंडीगढ़, जेएनएन। मेहर चंद महाजन डीएवी कॉलेज सेक्टर-36 में जीरो डिस्क्रिमिनेशन डे मनाया गया। इसका उद्देश्य दुनिया भर में व्याप्त विषमताओं की समाप्ति के लिए त्वरित प्रयासों पर प्रकाश डालना रहा। कार्यक्रम का आयोजन कॉलेज के डिपार्टमेंट ऑफ फिलॉसफी ने किया। जिसमें शून्य भेदभाव विषय पर स्लोगन राइटिंग और पोस्टर मेकिंग गतिविधियां करवाई गई। प्रतिभागियों ने अपनी प्रस्तुति में परिवार और समाज की संरचना में विभिन्न स्तरों पर प्रचलित सभी प्रकार के भेदभावों को समाप्त करने के लिए लोगों को जागरूक करने हेतु समाधान प्रस्तुत किए। पोस्टर मेकिंग और स्लोगन राइटिंग प्रतियोगिता में प्रतिभागियों ने समाज में मौजूद असमानताओं से लड़कर एक समान दुनिया बनाने हेतु अपने विचार एवं सुझाव भी दिए ।

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कॉलेज प्रिंसिपल डॉ. निशा भार्गव ने न्यायपूर्ण समाज बनाने के लिए वर्ग, जाति, धर्म और लिंग भेदभाव को समाप्त करने के लिए सकारात्मक उपायों के महत्व को रेखांकित किया, जिसमें सभी को समान अधिकार और अवसर प्राप्त हों । उन्होंने कहा कि इस लक्ष्य को हासिल करने में युवाओं की महत्वपूर्ण भूमिका है। देश के विकास पर बोलते हुए उन्होंने कहा कि जब तक विभिन्न प्रकार के भेदभाव खत्म नहीं होते उस समय तक महाशक्ति बनने की दिशा में बढ़ना बेकार साबित होगा। उन्होंने वर्तमान के विभिन्न परिवेश पर प्रकाश डालते हुए बताया कि किस प्रकार यह स्थिति आने वाले समय में हमें परेशान कर सकती है।

प्रिंसिपल डॉ. निशा भार्गव ने कहा कि वर्तमान में आधुनिकता की दौड़ में हम जंगलों और हरियाली को उजाड़कर अपने बसेरे बना रहे है जिसका भुगतान भी हमें साथ के साथ प्राकृतिक आपदाओं के जरिये करना पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि शहरों में ज्यादा फायदे या फिर शहरों में रहने वाले बड़े लोग है इस सोच को भी बदलना होगा जब तक हम खुद की संर्कीण सोच को नहीं बदलेंगे उस समय तक देश विकास नहीं कर सकता।


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