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ड्रग्स का सहारा लेकर अकेलापन दूर कर रहे युवा, जानें क्या है कारण

अभिभावक काम के चक्कर में अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते। ऐसे में बच्चे जब खुद को अकेला महसूस करते हैं तो वह ड्रग्स का सहारा लेते हैं।

By Pankaj DwivediEdited By: Published: Fri, 08 Feb 2019 03:13 PM (IST)Updated: Fri, 08 Feb 2019 03:13 PM (IST)
ड्रग्स का सहारा लेकर अकेलापन दूर कर रहे युवा, जानें क्या है कारण
ड्रग्स का सहारा लेकर अकेलापन दूर कर रहे युवा, जानें क्या है कारण

जेएनएन, चंडीगढ़ : स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी के मेंबर सेक्रेटरी महावीर सिंह ने कहा कि अभिभावक काम के चक्कर में अपने बच्चों को समय नहीं दे पाते। ऐसे में बच्चे जब खुद को अकेला महसूस करते हैं तो वह ड्रग्स का सहारा लेते हैं। युवा अवस्था की दहलीज पर कदम रखने वाली संतान की स्थिति ऐसी न हो, इसके प्रति अभिभावकों का सजग रहना बेहद जरूरी है। बच्चा यदि एक बार नशे का आदी हो जाता है तो उससे उबरना मुश्किल है। इसके लिए कहीं न कहीं आज का समाज भी जिम्मेदार है। 

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महावीर सिंह चंडीगढ़ कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट की तरफ से आयोजित सेमिनार को संबोधित कर रहे थे। सीसीपीसीआर ने चाइल्ड फ्रैंडली सिटीज बनाने के उद्देश्य से इस एक दिवसीय नेशनल सेमिनार का आयोजन किया। मोटिवेशनल स्पीकर प्रेरणा के अनुसार अभिभावक बच्चों को समय नहीं दे रहे हैं। इसके कारण बच्चे गलत रास्ता चुन रहे हैं। उन्होंने इस मौके पर शिक्षा विभाग और पुलिस प्रशासन को भी आड़े हाथ लिया। सरकारी स्कूलों में काउंसलर की कमी है, लेकिन जहां है भी वहां पर काउंसलर को काउंसङ्क्षलग कराने के काम को छुड़वाकर अन्य काम दिए जा रहे है। वहीं पुलिस समय पर काम नहीं करती, जिसके कारण पीडि़त परेशान होकर बैठ जाता है। 

दुराचार के मामलों में ज्यादातर अपने ही शामिल 

इस मौके पर दिल्ली कमीशन फॉर प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड राइट के चेयरमेन रमेश नेगी ने कहा कि हमारे लिए दुख की बात है कि चाइल्ड दुराचार या छेड़छाड़ के 47 प्रतिशत केस किसी जानकार द्वारा किए जाते है जबकि 12 प्रतिशत केस अपने ही घर के किसी सदस्य द्वारा किए जाते हैं। इसका परिणाम यह होता है कि बच्चा चाहते हुए भी कुछ नहीं बोल पाता है। इस प्रकार के केस को रोकने के लिए जरूरी है कि हम बच्चों के साथ उनके मां-पिता को भी ऐसे अपराध के प्रति अवगत कराएं। 

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