Lockdown के बीच तंग कमरों में कैद हुए मजदूर, अब सता रहा भूखमरी का डर
चंडीगढ़ की बापू धाम कॉलोनी में ऐसे ही छोटे-छोटे कमरों में कई मजदूर लगभग एक सप्ताह से बंद हैं। अब इन लोगों के लिए राशन और पानी की समस्या विकट होने लगी है।
चंडीगढ़, [कमल जोशी]। कोरोना वायरस से बचाव के लिए सारे देश में जहां सोशल डिस्टेंसिंग के लिए लॉक डाउन किया गया है। वहीं इन हालातों में काम न होने के चलते चंडीगढ़ जैसे शहरों में मजदूर वर्ग किराए पर लिए छोटे-छोटे कमरों में सारा दिन रहने को मजबूर हैं।
चंडीगढ़ की बापू धाम कॉलोनी में ऐसे ही छोटे-छोटे कमरों में कई मजदूर लगभग एक सप्ताह से बंद हैं। अब इन लोगों के लिए राशन और पानी की समस्या विकट होने लगी है। वहीं एक-दूसरे से दूरी बनाना भी एक चुनौती बन गया है। बापू धाम कॉलोनी में 10x10 वर्ग फुट के कमरों में किराया शेयर कर के रहने वाले सैकड़ों मजदूर इन दिनों बिना काम के दिन काट रहे हैं। सरकारी सहायता भी बहुत कम लोगों तक पहुंच पाने के चलते इन्हें अब भूखमरी का डर भी सताने लगा है।
ऐसे ही एक मजदूर संजीव कुमार ने बताया कि उनके आसपास बिहार के वेस्ट चंपारण से चंडीगढ़ आए करीब 400 मजदूर कमरों में किराया शेयर करके रहते हैं। पिछले तीन दिनों में इनमें से सिर्फ 50-60 लोगों को चंडीगढ़ प्रशासन द्वारा भेजे गए राशन की मदद मिल पाई है। एक अन्य मजदूर बबलू ने बताया कि उनके अधिकतर साथी ट्रांसपोर्ट एरिया में पैकेजिंग के काम में लगे हुए थे पर 21 तारीख के बाद लॉक डाउन के चलते उनकी कमाई बंद हो गई हैं। अब बचे पैसे भी खत्म होने लगे हैं। ऐसे में आने वाले दिनों में उन्हें राशन पानी की फिक्र भी परेशान कर रही है। हालांकि चंडीगढ़ प्रशासन की गाड़ी सोमवार दोपहर भी बापूधाम में मजदूरों को भोजन वितरित करती नजर आई थी।
मजदूर राजकुमार ने बताया कि यह गाड़ियां सिर्फ प्रवासी मजदूरों को ही भोजन वितरित कर रही हैं। बापूधाम के स्थानीय गरीब लोगों को इनसे भोजन नहीं दिया जा रहा जबकि ऐसी कॉलोनियों में ऐसे बहुत से लोग रहते हैं जो यहां के मूल निवासी होने के बावजूद दिहाड़ी मजदूर हैं और रोजाना कमाई से अपनी आजीविका चलाते है।
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