पंजाब महिला आयोग के निर्देशों को महिला अफसरों ने ही बताया अजीब, जानें क्या है मामला
पंजाब महिला आयोग द्वारा महिला कर्मियों की सुरक्षा के लिए जारी निर्देशों पर सवाल उठ गए हैं। राज्य की महिला अफसरों ने इसे अजीब बताया है
चंडीगढ़, [इन्द्रप्रीत सिंह]। पंजाब महिला आयोग द्वारा महिलाओं कर्मियों की सुरक्षा के लिए तीन दिन पहले जारी किए गए निर्देशों से महिला अफसर ही सहमत नहीं हैं। महिला अफसरों ने इन निर्देशों को अजीब बताया। उनका मानना है कि इस तरह के निर्देश प्रगतिवादी नहीं हैं और वे महिलाओं को पिछड़ी सोच वाला बना देंगे।
काबिले गौर है कि तीन दिन पहले पंजाब महिला आयोग की चेयरपर्सन मनीषा गुलाटी ने सभी विभागों, मंत्रियों और विभागों के प्रमुखों को निर्देश जारी किए थे। इसमें कहा गया था कि मंत्री और अफसर महिला अधिकारियों व कर्मचाररियों को कार्यालय समय के बाद नहीं बुलाएंगे। अावश्यक होने पर किसी महिला कर्मी को बुलाने की जरूरत है तो उसके साथ कोई अन्य महिला कर्मी को भी होना चाहिए।
महिला आयोग इसके अलावा भी कहा था कि मंत्री और अधिकारी महिला कर्मियों के साथ उनके वेतन और अप्रेजल पर भी कोई बात नहीं करेंगे जिससे इस बात का संदेश जाता हो कि वह उनको वेतन और पदोन्नति में फायदा पहुंचा सकते हैं।
आयोग के इस कदम के पर एक सीनियर महिला अधिकारी का कहना है कि उन्हें ये निर्देश काफी अजीब लग रहे हैं। इस अधिकारी ने कहा, मेरा मानना है कि कोई भी हो, उन्हें महिला अधिकारियों या कर्मचारियों को अधिकारी या कर्मचारी समझने की ही जरूरत है न कि कुछ और। उन्होंने कहा कि कई विभाग ऐसे हैं जहां सुबह नौ बजे से शाम पांच काम चलता है। कई बार आफिस टाइम के बाद भी काम करना पड़ता है और अपने जूनियर या सीनियर अधिकारियों के पास काम के सिलसिले में जाना पड़ता है।
एडिशनल चीफ सेक्रेटरी विनी महाजन का भी यही मानना है कि महिलाओं को प्रोफेशनल के तौर पर देखने की जरूरत है न कि लिंग आधार पर उसके साथ व्यवहार किया जाए। दफ्तर में केवल काम से ही मतलब होना चाहिए।
काबिले गौर है कि यह मामला इसलिए उभरा है क्योंकि पिछले दिनों तकनीकी शिक्षा मंत्री चरणजीत सिंह चन्नी ने एक सीनियर महिला आइएएस अफसर को अपने मोबाइल फोन से आपत्तिजनक मैसेज भेज दिए थे। यह मामला सीएमओ तक पहुंच गया और महिला अधिकारी ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से भी इसकी श्ािकायत कर दी। इस मामले के सामने आने से राज्य में राजनीति गर्मा गई और चन्नी विपक्ष के निशाने पर आ गए हैं।
महिला आइएएस की सीएम कैप्टन अमरिंदर सिंह से मीटिंग करवाई गई। कैप्टन अमरिंदर सिंह ने तकनीकी शिक्षा मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी को इस तरह के व्यवहार के लिए फटकार लगाई और महिला आइएएस से माफी मांगने को भी कहा। बात में मामले के गर्माने के बाद मुख्यमंत्री ने मामला अपने संज्ञान में होने और चन्नी से माफी मंगवाने की पुष्टि की।
इस मामले के गर्माने के दौरान चन्नी विदेश में थे अौर वहां से लाैटने के बाद उन्होंने पूरी मामले में सफाई दी और अपना पक्ष रखा। चन्नी ने कहा कि उन्होंने जानबूझकर यह मैसेज नहीं भेजा बल्कि गलती से चला गया। इसके लिए उन्होंने महिला अधिकारी से माफी मांग ली और इसके बाद मामला खत्म हो गया। अब यह मामला समाप्त हो चुका है, लेकिन शिरोमणि अकाली दल के नेता इसे बेवजह उछाल कर राजनीतिक रंग देने की कोश्ािश में लगे हैं।
पंजाब में महिला आयोग के आदेश से मची थी खलबली
इस मामले बवाल मचा तो महिला आयोग ने सोमवार को महिला कर्मी उत्पीड़न के 2013 के निर्देशों को फिर से जारी कर दिया। इससे राज्य के मंत्रियों और अफसरों में खलबली मच गई है। पंजाब महिला आयोग की चेयरपर्सन मनीषा गुलाटी ने कहा है कि मंत्री व अधिकारी ऑफिस टाइम के बाद महिला कर्मचारियों को दफ्तर में न बुलाएं। अगर ऐसा जरूरी है तो उनके साथ कोई दूसरी महिला भी जरूर हो। इस दौरान महिला के साथ वेतन और अप्रेजल संबंधी कोई बात न करें जो यह संकेत करता हो कि आप उसके पक्ष में कुछ कर सकते हैं।
मनीषा गुलाटी ने यौन उत्पीड़न संबंधी 2013 के निर्देशों को फिर से जारी किया। गुलाटी ने कहा कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के विदेश से लौटने पर वह तकनीकी शिक्षा मंत्री चरनजीत सिंह चन्नी के मामले के संबंध में पूरी डिटेल लेंगी। इसके बाद ही कोई कार्रवाई करेंगी।
मनीषा गुलाटी ने यह कहा था कि वह इस मामले का संज्ञान नहीं ले सकतीं क्योंकि इसमें शिकायतकर्ता कोई नहीं है और न ही उसके बारे में कोई जानकारी है। अगर आज वह पुलिस अधिकारी से रिपोर्ट मांगें तो क्या कहेंगी कि उन्हें कैसी रिपोर्ट चाहिए? जब उनसे पूछा गया कि पिछले एक हफ्ते से इस मामले ने तूल पकड़ा हुआ है और आयोग कोई कार्रवाई नहीं कर रहा तो उन्होंने कहा कि आयोग तभी कार्रवाई करेगा जब कोई शिकायत आएगी।
गुलाटी ने कहा कि अभी शिकायत सीएम कैप्टन अमरिंदर सिह के पास गई है। उनके विदेश से लौटते ही वह उनसे बात करेंगी और अगर जरूरत पड़ी तो संबंधित महिला अधिकारी और मंत्री के बयान दर्ज किए जाएंगे। उन्होंने कहा कि न तो मंत्री उनके रिश्तेदार हैं और न ही वह महिला आइएएस अधिकारी। अगर जरूरत हुई तो वह एक्शन जरूर लेंगी।