चंडीगढ़ के सारे गांव जब निगम में शामिल, तो जमीन अधिग्रहण का रेट शहरी क्यों नही: कांग्रेस
गांवो की टूटी-फूटी सड़कें ऊपर से बारिशों के कारण जलभराव ने गांववासियों का रहना दूभर कर दिया है।
चंडीगढ़, जेएनएन। डेढ़ साल पहले नगर निगम में शामिल हुए शहर के बचे 13 गांव के विकास को लेकर कांग्रेस ने बीजेपी पर जमकर निशाना साधा है। चंडीगढ़ कांग्रेस के अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा ने कहा कि कांग्रेस के कार्यकाल में गांवों के लिए अलग बजट होने से गांवों के विकास में कभी कोई कमी नहीं रहती थी, लेकिन आज गांवों की दुर्दशा व हालात बद से बदतर हो चुकी है। गांवो की टूटी-फूटी सड़कें ऊपर से बारिशों के कारण जलभराव ने गांववासियों का रहना दूभर कर दिया है। स्ट्रोम लाइन बिल्कुल बंद पड़ी है, उनकी कोई लेवलिंग नहीं है। दूसरी ओर हमेशा सीवरेज लाइन की ब्लॉकेज रहना बहुत बड़ी चिंता का विषय है।
छाबड़ा ने सवाल दागते हुए आगे कहा कि बीजेपी के नेता आज कहाँ है? कहां है उनके विलेज डवलपमेंट कमेटी? कहीं विलेज डवलपमेंट कमेटी खाली कागजों में ही तो नहीं बनी है। कहां वो बजट जो गांव के विकास के लिए बनाया गया था? उन्होंने कहा कि बीजेपी के नेताओं का दोगला रवैया हमेशा उजगार होता रहा है। गांववासियों के साथ भूमि अधिग्रहण में बड़े-बड़े वादे करने वाले अब कहां है। जब ड्डूमाजरा में सस्ते रेट पर जमीन का अधिग्रहण हो रहा है, जब बीजेपी शासित नगर निगम व प्रशासन गांवों को शहर में शामिल होने के बाबजूद व गांव वालों से शहरी तोर पर टैक्स वसूल सकता है, तो अधिग्रहण का रेट शहरी रेट के हिसाब से क्यों नही दिया जा सकता है?
छाबड़ा ने आगे कहा कि बीजेपी के नेताओं ने गांववासियों को हमेशा वोट बैंक के तौर पर इस्तेमाल किया। गांववासी इनके चरित्र को भांप चुके है और इसकी कीमत उन्हें नगर निगम चुनाव में चुकानी होगी।
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