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सूख रही चंडीगढ़ लाइफलाइन सुखना लेक, यही हाल रहा तो बोटिंग, वाटर स्पोर्ट्स पर पड़ेगा असर, HC के आदेश नहीं माने

Sukhna Lake Chandigarh सुखना झील चंडीगढ़ का मुख्य पर्यटन स्थल है। यहां रोजाना बड़ी संख्या में लोग घूमने आते हैं और बोटिंग का मजा लेते हैं। वहीं बढ़ती गर्मी में सुखना लेक का पानी कम हो रहा है।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Sun, 08 May 2022 01:23 PM (IST)Updated: Sun, 08 May 2022 01:23 PM (IST)
सूख रही चंडीगढ़ लाइफलाइन सुखना लेक, यही हाल रहा तो बोटिंग, वाटर स्पोर्ट्स पर पड़ेगा असर, HC के आदेश नहीं माने
सुखना लेक का जलस्तर कम होकर 1156 फीट तक पहुंच गया है।

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। Sukhna Lake Chandigarh: चंडीगढ़ की लाइफलाइन सुखना लेक पर गर्मी कहर बनकर टूटने लगी है। बढ़ता पारा सुखना लेक के पानी को तेजी से उड़ा रहा है। अब ऐसा लगने लगा है कि दो महीने में मॉनसून शुरू होने तक लेक का बड़ा हिस्सा कहीं सूख न जाए।

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अप्रैल से अभी तक सुखना लेक का जलस्तर तीन फीट से अधिक नीचे गिर चुका है। जल से ही सुखना लेक की पहचान है। यहां बोटिंग और चहल पहल पानी की वजह से ही है। इतना ही नहीं वाटर स्पोर्ट्स का मुख्य स्त्रोत भी चंडीगढ़ में सुखना लेक ही है। अब जलस्तर गिरने से इन सभी पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं।

सुखना लेक का जलस्तर कम होकर 1156 फीट तक पहुंच गया है। जबकि बीते साल सितंबर अक्टूबर में जलस्तर 1163 फीट था। तब से अभी तक इसमें सात फीट से अधिक की गिरावट आ चुकी है। इसको देखते हुए प्रशासन की कार्यप्रणाली पर भी सवाल उठ रहे हैं। इसका कारण यह है कि प्रशासन समय रहते जरूरी कदम उठाए तो हर साल लेक का ऐसा हाल न हो। लेक बूंद बूंद को मोहताज न हो। पानी से लेक हमेशा लबालब रहे।

गाद नहीं निकाली गई

सुखना लेक में पानी का मुख्य स्त्रोत बारिश है। कैचमेंट एरिया में होने वाली बारिश का पानी बहकर लेक में पहुंचता है। इस पानी के साथ जंगल की मिट्टी और कूड़ा पेड़ों के अवशेष भी पहुंचते हैं। यह मिट्टी लगातार लेक की तलहटी में जमा होती रहती है। इस गाद की वजह से लेक में पानी की क्षमता कम हो रही है। हर साल पानी सहेजने की क्षमता कम होती जा रही है। इस वजह से लेक हर साल जल्दी भरती और सूखती है। पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट ने प्रशासन को गाद को लेकर आदेश दिए थे। इसे निकालने के लिए आदेश भी दिए थे। कई रिसर्च इंस्टीट्यूट और विशेषज्ञ भी इस पर सवाल उठाते रहे हैं। वह भी यह गाद निकालने के आदेश देते रहे हैं।


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