पर्यटकों का इंतजार खत्म, पहाड़ों की सैर कराएगी कालका-शिमला एक्सप्रेस
20 अक्टूबर से कालका-शिमला स्पेशल ट्रेनें शुरू कर दी जाएंगी। शिमला से यह ट्रेन 21 अक्टूबर को सुबह 1040 बजे चलेगी और दोपहर 0226 बजे कालका रेलवे स्टेशन पर पहुंचेगी। यह शेड्यूल पहली दिसंबर तक रहेगा और ट्रेन इस रूट पर 42 फेरे लगाएगी।
चंडीगढ़, [विकास शर्मा]। पहाड़ों की रानी शिमला की सैर अब कालका-शिमला एक्सप्रेस करवाएगी। रेलवे ने घोषणा की है कि 20 अक्टूबर से इस वर्ल्ड हेरिटेज रूट पर दो कालका-शिमला स्पेशल ट्रेनें शुरू कर दी जाएंगी। हर ट्रेन में सात कोच होंगे। कालका से शिमला के लिए ट्रेन (संख्या 04515) 20 अक्टूबर को दोपहर 12:10 बजे चलेगी और शाम को पांच बजकर चार मिनट पर शिमला पहुंचेगी। वहीं, शिमला से यह ट्रेन (संख्या 04516) 21 अक्टूबर को सुबह 10:40 बजे चलेगी और दोपहर 02:26 बजे कालका रेलवे स्टेशन पर पहुंचेगी। यह शेड्यूल पहली दिसंबर तक रहेगा और ट्रेन इस रूट पर 42 फेरे लगाएगी।
गौरतलब है कि यह वर्ल्ड हेरिटेज रूट लॉकडाउन के कारण छह माह से बंद था। 116 साल पुराना है कालका-शिमला रेलवे मार्ग कालका-शिमला रेलवे मार्ग 116 साल पुराना है। नौ नवंबर 1903 को कालका-शिमला रेल मार्ग की शुरुआत हुई थी। यह रेलमार्ग उत्तर रेलवे के अंबाला डिवीजन के अंतर्गत आता है। 1896 में इस रेल मार्ग को बनाने का कार्य दिल्ली-अंबाला कंपनी को सौंपा गया था। रेलमार्ग कालका स्टेशन (656 मीटर) से शिमला (2,076 मीटर) तक जाता है। 96 किमी लंबे इस रेलमार्ग पर 18 स्टेशन हैं। साल 1921 में राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने भी इस मार्ग से यात्रा की थी।
103 सुरंगों से ट्रेन को गुजरते देख रोमांचित हो उठते हैं यात्री
कालका-शिमला रेलवे लाइन पर 103 सुरंगें हैं, जो इस सफर को काफी रोमांचक बना देती हैं। बड़ोग रेलवे स्टेशन पर 33 नंबर बड़ोग सुरंग सबसे लंबी है, जिसकी लंबाई 1143.61 मीटर है। सुरंग क्रॉस करने में ट्वॉय ट्रेन अढ़ाई मिनट का समय लेती है। रेलमार्ग पर 869 छोटे-बड़े पुल हैं, जिस पर सफर और भी रोमांचक हो जाता है। कालका-शिमला रेलमार्ग को नेरोगेज लाइन कहते हैं। इसमें पटरी की चौड़ाई दो फीट छह इंच है।
2008 में यूनेस्को ने दिया था वर्ल्ड हेरिटेज का दर्जा
कालका-शिमला रेलवे लाइन को यूनेस्को ने जुलाई 2008 में इसे वर्ल्ड हेरिटेज में शामिल किया था। इसी रूट पर कनोह रेलवे स्टेशन पर ऐतिहासिक आर्च गैलरी पुल 1898 में बनी था। शिमला जाते हुए यह पुल 64.76 किमी पर मौजूद है। आर्च शैली में निर्मित चार मंजिला पुल में 34 मेहराबें हैं।
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