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उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू बोले- बहन सुषमा के बिना फीकी रही राखी, पीयू में कुछ यूं किया याद...

उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू ने पीयू चंडीगढ़ में आयोजित स्व. सुषमा स्वराज मेमोरियल लेक्चर में हिस्सा लिया। नायडू ने कहा कि सुषमा स्वराज की कमी को पूरा नहीं किया जा सकता।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Thu, 06 Aug 2020 12:41 PM (IST)Updated: Thu, 06 Aug 2020 05:38 PM (IST)
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू बोले- बहन सुषमा के बिना फीकी रही राखी, पीयू में कुछ यूं किया याद...
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू बोले- बहन सुषमा के बिना फीकी रही राखी, पीयू में कुछ यूं किया याद...

चंडीगढ़ [वैभव शर्मा]। रक्षाबंधन का त्योहार भाई बहनों के अटूट प्रेम की निशानी है। जब तक भाई की कलाई पर बहन राखी न बांध ले इस दिन का महत्व ही नहीं रहता, लेकिन इस बार मेरे लिए रक्षाबंधन का त्योहार बिल्कुल फीका रहा। इसका कारण है बहन सुषमा स्वराज का हमारे बीच न रहना। हर वर्ष रक्षाबंधन वाले दिन सुषमा बहन सुबह ही मेरे घर पर आती थी और मुझे राखी बांधती थी। यह कहना है उपराष्ट्रपति एम वैंकेया नायडू का। 

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उपराष्ट्रपति ने कहा कि आज मेरी यह कलाई बिल्कुल सूनी है, क्योंकि इस बार बहन सुषमा ने राखी नहीं बांधी है। पंजाब यूनिवर्सिटी द्वारा आयोजित पहले स्वर्गीय सुषमा स्वराज मेमोरियल लेक्चर में वेबिनार के जरिये जुड़े उपराष्ट्रपति ने कहा कि सुषमा स्वराज की यादें हमेशा जिंदा रहेंगी।

छात्र संगठन से ही था भाई बहन जैसा प्रेम

वैंकेया नायडू ने कहा कि सुषमा स्वराज देश की तेजतर्रार व मुख्य वक्ताओं में से एक थी। उनके भाषण सुनने के लिए विपक्ष भी हमेशा तैयार रहता था। भाषण के समय उनका शब्दों का चयन अतुलनीय है जो कोई भी नेता नहीं कर सकता। बहन सुषमा के साथ छात्र संगठन के समय से ही मेरा भाई बहन वाला प्रेम रहा है। आज उनके जाने से मेरा मन बहुत दुखी है।

बड़ी बहन की तरह हर मुसीबत में करती थी मदद

उपराष्ट्रपति एम वेंकैया नायडू ने कहा कि सुषमा स्वराज बड़ी बहन होने का हर फर्ज अदा करती थी। उन्होंने कहा कि उन्हें अभी भी याद है जब पूर्व प्रधानमंत्री स्व. अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार थी तब वह किसी काम में फंंस गए थे तब सुषमा स्वराज ने उस कार्य में उनकी मदद की। ऐसे ही न जाने कितने मौके आए जब सुषमा बहन ने हमारी मदद की।

जमीनी स्तर पर काम करके पार्टी में बनाया मुख्य स्थान

सुषमा स्वराज पार्टी के उन नेताओं में शामिल रही हैंं, जिन्होंने जमीनी स्तर पर काम करके पार्टी में अपना नाम बनाया। छात्र संगठन से लेकर भारतीय जनता पार्टी के लोकसभा चुनाव जीतने तक सुषमा ने अपनी जिम्मेदारी बखूबी निभाई। उनकी मेहनत और लगन का ही परिणाम है कि उनके नाम अनेकों ख्याति दर्ज हैंं।

महिला सशक्तिकरण का रही है एक उदाहरण

सुषमा महिला सशक्तिकरण का एक बेहतरीन उदाहरण है। दिल्ली की पहली महिला मुख्यमंत्री, वर्ष 2016 में संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी में भाषण देना, संयुक्त राष्ट्र संघ में हिंदी को मान्यता देने के लिए महत्वपूर्ण योगदान देना, छोटी सी उम्र में हरियाणा का कैबिनेट मिनिस्टर बनना, विदेश मंत्री रहते हुए देश के लिए अमूल्य काम करना, ऐसे न जाने कितने ही कार्य सुषमा स्वराज ने अपने कार्यकाल के दौरान किए हैं।

हर वर्ष होगा पीयू में सुषमा स्वराज के नाम पर मेमोरियल लेक्चर

पंजाब यूनिवर्सिटी से पढ़कर देश की राजनीति में एक चमकता सितारा बनना, यह उनके लिए बहुत बड़ी उपलब्धि है। कैंपस में होने वाले भाषण प्रतियोगिता में जब जब सुषमा ने भाग लिया, तब तब प्रथम पुरस्कार उन्होंने ही जीता। बेहतरीन भाषण देने की कला उन्होंने यहीं से सीखी। लेक्चर के दौरान उपराष्ट्रपति नायडू ने हर वर्ष पंजाब यूनिवर्सिटी में स्व. सुषमा स्वराज मेमोरियल लेक्चर आयोजित करने का ऐलान किया।


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