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वैट घोटाला मामला : इंडो स्विफ्ट के पूर्व अकाउंटेंट की जमानत याचिका खारिज

वैट घोटाला मामले में जिला अदालत ने सोमवार को सुनवाई करते हुए इंडो स्विफ्ट कंपनी के पूर्व अकाउंटेंट की ओर से दायर की गई जमानत याचिका को खारिज कर दिया। करोड़ों के वैट घोटाले में पकड़े गए आरोपी इंड-स्विफ्ट कंपनी के पूर्व अकाउंटेंट विपिन मिश्रा ने जामनत याचिका दायर की थी। मिश्रा को चंडीगढ़ पुलिस ने पिछले महीने गिरफ्तार किया था। मिश्रा के वकील ने जमानत याचिका में कहा कि उन्हें इस केस में फंसाया गया है।

By JagranEdited By: Published: Mon, 15 Oct 2018 09:13 PM (IST)Updated: Mon, 15 Oct 2018 09:13 PM (IST)
वैट घोटाला मामला : इंडो स्विफ्ट के पूर्व अकाउंटेंट की जमानत याचिका खारिज
वैट घोटाला मामला : इंडो स्विफ्ट के पूर्व अकाउंटेंट की जमानत याचिका खारिज

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : वैट घोटाला मामले में जिला अदालत ने सोमवार को सुनवाई करते हुए इंडो स्विफ्ट कंपनी के पूर्व अकाउंटेंट की ओर से दायर की गई जमानत याचिका को खारिज कर दिया। करोड़ों के वैट घोटाले में पकड़े गए आरोपी इंड-स्विफ्ट कंपनी के पूर्व अकाउंटेंट विपिन मिश्रा ने जामनत याचिका दायर की थी। मिश्रा को चंडीगढ़ पुलिस ने पिछले महीने गिरफ्तार किया था। मिश्रा के वकील ने जमानत याचिका में कहा कि उन्हें इस केस में फंसाया गया है। वे 11 सितंबर से जेल में हैं और अभी ट्रायल में लंबा समय लगेगा और अब उन्हें और जेल में रखने की जरूरत नहीं है। ये केस डॉक्यूमेंट्री एविडेंस से संबंधित है और मिश्रा से इस केस से जुड़े सभी डॉक्यूमेंट रिकवर किए जा चुके हैं। वहीं, पब्लिक प्रॉसिक्यूटर मनु कक्कड़ ने कहा कि आरोपी कंपनी के डायरेक्टर एनआर मुंजाल ने विपिन मिश्रा को ही सेल्स डिपार्टमेंट से फर्जी ऑर्डर निकलवाने के लिए साढ़े 3 लाख रुपये दिए थे। मिश्रा ने ही फेक ऑर्डर्स के लिए डिपार्टमेंट के ऑफिशियल्स को 3 लाख रुपये दिए थे। इन्हीं फेक ऑर्डर्स की वजह से कंपनी पर जो 5.94 करोड़ रुपये की देनदारी थी, वह 11 हजार रुपये कर दी गई। विपिन मिश्रा ने फर्जी ऑर्डर्स बनवाकर कंपनी के डायरेक्टर मुंजाल को ई-मेल भी किए थे। दोनों पक्षों की बहस के बाद कोर्ट ने विपिन मिश्रा की जमानत याचिका खारिज कर दी। ये था मामला

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विजिलेंस द्वारा रजिस्टर्ड केस के मुताबिक 17 जुलाई 2018 को वैट ट्रिब्यूनल की कोर्ट यूटी प्रशासन में लगी थी। अध्यक्षता एडवाइजर परिमल राय कर रहे थे। उनकी कोर्ट में इंडो स्विफ्ट कंपनी का केस भी लगा हुआ था। उस केस में एक्साइज डिपार्टमेंट ने कंपनी पर 5 करोड़ 90 लाख 54 हजार 342 रुपये बकाया वैट निकाला। एडवाइजर ने जब केस का स्टेटस पूछा तो कंपनी के वकील ने कहा कि उनका मामला तो 31 मार्च 2015 को खत्म भी हो चुका है। एक्साइज डिपार्टमेंट ने उनसे 5 हजार रुपये का टैक्स लेकर चालान कर दिया था। इस पर एडवाइजर को शक हुआ कि कैसे 5.90 करोड़ रुपये का टैक्स मात्र 5 हजार रुपये के चालान में पूरा हो गया। इसके बाद इंक्वायरी की तो ये घोटाला सामने आया, जिसके बाद विजिलेंस ने केस दर्ज किया।


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