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लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की सेंधमारी, 80 हजार वोटरों को पक्ष में लाने के लिए खेला दांव

शहर में 80 हजार वाल्मीकि वोटर हैं। यह वोट हर बार कांग्रेस के पक्ष में ही जाता रहा है। ऐसे में इस वोट को भाजपा के पक्ष में लाने का दारोमदार कालिया पर आ गया है।

By Edited By: Published: Sat, 19 Jan 2019 08:56 AM (IST)Updated: Sat, 19 Jan 2019 08:56 AM (IST)
लोकसभा चुनाव के लिए भाजपा की सेंधमारी, 80 हजार वोटरों को पक्ष में लाने के लिए खेला दांव

चंडीगढ़, [राजेश ढल्ल]। कालिया को मेयर बनवाकर भाजपा ने जहां लोकसभा चुनाव को देखते हुए वाल्मीकि वोटों पर सेंधमारी करने का प्रयास किया है, वहीं, अब कांग्रेस को लोकसभा चुनाव में इस वोट बैंक को बचाने के अलावा एसी वर्ग की दूसरी जातियों में अपना वोट बैंक बढ़ाने का प्रयास करेगी। मालूम हो कि इस साल मेयर का पद रिजर्व कैटेगरी के लिए रिजर्व था। शहर में 80 हजार वाल्मीकि वोटर हैं। यह वोट पिछले लोकसभा चुनाव को छोड़कर हर बार कांग्रेस के पक्ष में ही जाता रहा है। पिछले लोकसभा चुनाव में यह वोट आप पार्टी को पड़ा था। ऐसे में इस वोट को भाजपा के पक्ष में लाने का दारोमदार कालिया पर आ गया है।

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कालिया पर लोकसभा चुनाव में भाजपा को जीत दिलवाने की जिम्मेदारी ज्यादा बढ़ गई है। जबकि कांग्रेस पार्टी राजेश कालिया के बैड कैरेक्टर और आपराधिक छवि के मामले को ज्यादा से ज्यादा भुनाने का प्रयास करेगी। लोकसभा चुनाव तक कांग्रेस ने इस मुद्दे को गरमाने की रणनीति बनाई है। भाजपा की बढ़ने वाले गुटबाजी को खत्म नहीं कर पाएंगे कालिया वहीं, कालिया के मेयर बनने के बाद भाजपा में गुटबाजी बढ़ेगी, क्योंकि क्रॉस वो¨टग करने वाले पार्षदों की पहचान शुरू हो जाएगी, ऐसे में पार्षद एक-दूसरे पर आरोप लगाएंगे। इसके साथ ही लोकसभा चुनाव में टिकट लेने की लड़ाई शुरू हो जाएगी।

सांसद किरण खेर के अलावा टंडन टिकट की मांग कर रहे हैं। जबकि पूर्व सांसद सत्यपाल जैन भी टिकट के लिए लॉ¨बग कर रहे हैं। पिछले साल पूर्व मेयर देवेश मोदगिल के कार्यकाल में खेर गुट के पार्षदों को हर कमेटियों में डाला जाता था, लेकिन अब कालिया के बनने के बाद ऐसा नहीं होगा। जबकि टंडन गुट ने क्रॉस वो¨टग के लिए अपनी ही पार्टी के एक नेता की शिकायत हाईकमान को कर भी दी है। ऐसे में कालिया भी इस गुटबाजी को खत्म नहीं कर पाएंगे।

पहली बैठक में ही करना होगा चुनौतियों का सामना

पहली सदन की बैठक में नवनियुक्त मेयर को चुनौतियों का सामना करना पड़ेगा। इस माह के अंत में बैठक होनी है। पहली बैठक में ही वित्त एवं अनुबंध कमेटी के सदस्यों का चुनाव होना है। ऐसे में नए मेयर के लिए ऐसे 5 सदस्यों को चुनना आसान नहीं होगा। अगर सहमति न बनी तो इसके लिए भी चुनाव होगा। जिसकी संभावना ज्यादा है।

भाजपा के पार्षदों का अपनी ही पार्टी से मोहभंग : कांग्रेस

कांग्रेस अध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा का कहना है कि भाजपा पार्षदों की क्रॉस वोटिंग से यह जाहिर हो गया है कि शहरवासियों के साथ लोगों का अपनी ही पार्टी से मोहभंग हो गया है और यही लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की जीत का आगाज है। दूसरी और भाजपा के पार्षदों की भारी संख्या में क्रॉस वो¨टग करना यह भी दर्शाता है कि मेयर के उम्मीदवार के प्रति कितना भारी विरोध था, जिन्होंने वोट भी डाला है, वह भी दबाव में डाले हैं। इस समय मेयर की छवि को लेकर पूरा शहर परेशान है।

कालिया के मेयर बनने पर सूद ने दिखाई अपनी मजबूती

कालिया के मेयर बनने के साथ ही पूर्व मेयर अरुण सूद का कद बढ़ा है, क्योंकि सूद ही ऐसे पहली शख्स थे, जिन्होंने कालिया को भाजपा में मेयर का उम्मीदवार बनाने का बीड़ा उठाया था। जबकि पार्टी में कई पार्षद कालिया का विरोध कर रहे थे। सूद मेयर चुनाव से पहले ही यह आशंका जता रहे थे कि बागी उम्मीदवार सतीश कैंथ को 10 वोट हासिल होंगे। जबकि 11 वोट पड़े। ऐसे में भारी गुटबाजी के बीच कालिया को मेयर का चुनाव जीताकर सूद ने अपना दम दिखाया है। कालिया को मेयर बनवाने के लिए भाजपा अध्यक्ष संजय टंडन और सांसद किरण खेर को तैयार किया। दोनों को एक साथ बैठाया। सूद खेर और टंडन की सहमित बनाने में मनोनीत पार्षद सतप्रकाश अग्रवाल का साथ लिया। अग्रवाल सांसद किरण खेर के करीबी हैं। मेयर बनने के बाद भी राजेश कालिया ने पूर्व मेयर अरुण सूद को इसका क्रेडिट भी दिया।

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