ऊषा राव 128 बार कर चुकीं रक्तदान, अब महिलाओं को कर रहीं मोटिवेट
स्कूल में ही ब्लड डोनेशन के महत्व को समझ लिया था।
विकास शर्मा, चंडीगढ़ : स्कूल में ही ब्लड डोनेशन के महत्व को समझ लिया था, लेकिन पहली बार साल 1973 में आंध्र प्रदेश के गुंटूर मेडिकल कॉलेज में ब्लड डोनेट किया। तब से लेकर अपनी 65 साल उम्र तक ब्लड डोनेट करती रहीं। यह कहा है पीजीआइ ब्लड बैंक से रिटायर्ड डॉ. ऊषा राव का। डॉ. ऊषा राव ने 128 बार ब्लड डोनेट किया। इतना नहीं ऊषा ने पीजीआइ में जॉब करते हुए हजारों लोगों को ब्लड डोनेशन के लिए मोटिवेट किया। खासकर महिलाओं को तो उन्होंने अपनी उदाहरण देकर बताया कि रक्तदान करने से किसी तरह की कोई कमजोरी नहीं आती है। इससे तो आपका आत्मविश्वास बढ़ता है। अभी भी लोग रक्तदान करने से डरते
डॉ. ऊषा ने बताया कि रक्तदान करने से अभी भी 50 फीसद से ज्यादा लोग डरते हैं। उन्हें लगता है कि ब्लड डोनेशन से उन्हें शरीरिक तौर पर कमजोरी होगी। यह धारणा 25 से 30 साल पहले और भी प्रबल थी। उन्होंने बताया कि साल 1981 में शादी के बाद वह आंध्र प्रदेश के विजयवाड़ा से चंडीगढ़ शिफ्ट हुई थी। शुरुआत के चार साल वह ओपीडी में रही, उसके बाद साल 1985 में पीजीआइ के ब्लड बैंक में सेवाएं देना शुरू किया। साल 2014 तक वह पीजीआइ ब्लड बैंक में सेवाएं देती रही। इस दौरान उन्होंने अपनी प्ररेणा से हजारों लोगों को ब्लड डोनेशन के लिए प्रेरित किया। पति डॉ. केएल नरसिम्हा राव भी रहे हैं रेगुलर डोनर
डॉ. ऊषा राव ने बताया कि उनके पति डॉ. केएल नरसिम्हा राव पीजीआइ में पीडियाट्रिक सर्जन रहे हैं। पीजीआइ से रिटायर्ड होकर अब वह नीजी अस्पताल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं। उन्होंने बताया कि डॉ. केएल नरसिम्हा राव की रेगुलर ब्लड डोनर रहे हैं, उनका ब्लड ग्रुप ए नेगटिव था। ऐसे में पीजीआइ एमरजेंसी में जब भी जरूरत पड़ती डॉक्टर उन्हें ढूंढकर उनसे ब्लड डोनेट करवा देते थे। इसके अलावा कई बार तो उन्होंने खुद के मरीजों को रक्तदान कर उनकी जान बचाई है। उन्होंने भी 70 से ज्यादा बार ब्लड डोनेट किया है। दरअसल ए नेगटिव ब्लड ग्रुप काफी मुश्किल से मिलता है, जिससे इन ब्लड ग्रुप वाले लोगों को खासी दिक्कत होती है। रक्तदान के लिए करें दिन निश्चित
डॉ. ऊषा ने बताया कि रक्तदान महादान है। रक्तदान करने के लिए दिन निश्चित करें। अपने जन्मदिन दिन पर, शादी की सालगिरह पर, मां-पिताजी के जन्मदिन पर किसी महापुरुष के जन्मदिन पर नियमित रूप से ब्लड डोनेट करें। रक्तदान करने से आपको आत्मसंतुष्टि मिलती है कि आपने किसी की जान बचाई। इसके लिए आपको सिर्फ अपनी भागदौड़ भरी जिदंगी से एक घंटा निकालना है। गर्मियों में ज्यादातर ब्लड बैंक में खून की कमी रहती है, ऐसे में आगे आएं और रक्तदान करें।