उड़नसिख पद्मश्री मिल्खा सिंह की तीसरी पीढ़ी का गोल्फ चैलेंज, हरजय की तरह बॉल को हैंडल करके दिखाओ
पद्मश्री मिल्खा सिंह की तीसरी पीढ़ी ने अपने सीनियर गोल्फर्स को खास चैलेंज दिया है। मिल्खा सिंह की तीसरी पीढ़ी हरजय सिंह भी गोल्फ में खास रुचि दिखा रहे हैं।
चंडीगढ़ [विकास शर्मा]। फ्लाइंग सिख पद्मश्री मिल्खा सिंह की तीसरी पीढ़ी ने अपने सीनियर गोल्फर्स को खास चैलेंज दिया है। पद्मश्री जीव मिल्खा सिंह ने सोशल मीडिया पर बेटे हरजय सिंह का एक वीडियो शेयर करते हुए इंडिया के टॉप गोल्फर अजीतेश संधू और युवा प्रोफेशनल गोल्फर आदिल बेदी को हरजय की तर्ज पर बॉल हैंडलिंग करने का चैलेंज दिया है। उन्होंने इस वीडियो के माध्यम से कोरोना महामारी के समय घर में रहकर प्रैक्टिस करने की अपील की है। इस अपील के साथ उन्होंने शहर के इन दोनों इंटरनेशनल गोल्फर्स को इस चैलेंज के लिए नॉमिनेट किया है।
दादा, पिता की तरह हरजय भी दिखा रहे गोल्फ में रुचि
दुनिया मिल्खा सिंह को बतौर एथलीट ही जानती है, लेकिन वह बहुत अच्छे गोल्फर भी हैं। उनके दिन की शुरुआत गोल्फ से ही होती है और वह रोज चंडीगढ़ गोल्फ क्लब जाकर अपने दोस्तों के साथ गोल्फ खेलते हैं। उनको देखते-देखते बेटे जीव मिल्खा सिंह भी एथलेटिक्स के बजाय गोल्फ खेलने के प्रति प्रेरित हुए। अब दादा और पिता को देखकर पद्मश्री जीव मिल्खा सिंह के बेटे हरजय सिंह भी गोल्फ में रुचि दिखा रहे हैं। हालांकि जीव मिल्खा सिंह कई मंचों से कह चुके हैं कि वह हरजय से गोल्फ की कोई बात नहीं करते और उनको गोल्फ सिखाने की जिम्मेदारी पूरी तरह से कोच जस्सी ग्रेवाल के पास है, लेकिन कोरोना महामारी के चलते अब जीव मिल्खा सिंह ही हरजय को गोल्फ के गुर सिखा रहे हैं।
दादा मिल्खा सिंह व पिता जीव मिल्खा सिंह हरजय सिंह के साथ।
जीव के सम्मान में पीजीटीआइ ने रखा है टू्र्नामेंट का नाम
इंटरनेशनल गोल्फर पद्मश्री जीव मिल्खा सिंह देश के इकलौते ऐसे गोल्फर हैं जिनके नाम पर पीजीटीआइ ने साल 2018 में टेक ओपन गोल्फ चैंपियनशिप का नाम बदलकर जीव मिल्खा सिंह इंविटेशनल गोल्फ टूर्नामेंट रखा था। इस टूर्नामेंट के दो सीजन चंडीगढ़ गोल्फ क्लब में ही आयोजित हुए। इस टूर्नामेंट के पिछले सीजन में विजेता अजीतेश संधू रहे थे।
गौरतलब है कि जीव मिल्खा देश के इकलौते गोल्फर हैं जिन्होंने दो बार एशियन टूर आर्डर आफ मेरिट का खिताब जीता है। उन्होंने साल 2006 और 2008 में यह उपलब्धि हासिल की है। इसके अलावा वह यूरोपियन टूर, एशियन टूर और जापान टूर भी जीत चुके हैं। गोल्फ करियर में जीव मिल्खा सिंह ने वर्ल्ड रैंकिंग में 28वीं हासिल की है। वर्ल्ड रैंकिंग में अभी तक कोई भारतीय गोल्फर जीव मिल्खा सिंह से ऊपर रैंकिंग हासिल नहीं कर सका है।
मिल्खा सिंह और उनके बेटे जीव मिल्खा सिंह को मिल चुका है पद्मश्री
फ्लाइंग सिख मिल्खा सिंह और उनके बेटे जीव मिल्खा सिंह देश के इकलौते ऐसे बाप-बेटे हैं जिन्हें खेल क्षेत्र में उपलब्धियों के लिए खेल मंत्रालय की तरफ पद्मश्री अवॉर्ड मिल चुका है। मिल्खा सिंह ने अपने करियर में साल 1958 में एशियन गेम्स में गोल्ड मेडल, साल 1958 कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल, साल 1962 में एशियन गेम्स में दो गोल्ड मेडल जीते थे। उनकी इन्हीं उपलब्धि के लिए सरकार ने उन्हें 1959 में देश के चौथे सबसे बड़े सिविलियन अवॉर्ड पद्मश्री से सम्मानित किया था।
मिल्खा सिंह के बेटे इंटरनेशनल गोल्फर जीव मिल्खा सिंह को उनकी खेल उपलब्धियों के लिए साल 1999 में अर्जुन अवॉर्ड और साल 2007 में पद्मश्री मिला। मिल्खा सिंह की पत्नी निर्मल सैनी कौर मिल्खा सिंह भारतीय वालीबॉल टीम की कैप्टन रह चुकी हैं। मिल्खा सिंह की बेटी सोनिया का भी खेलों से जुड़ाव रहा है। मिल्खा सिंह की आत्मकत्था द रेस अॉफ माई लाइफ उनकी बेटी सोनिया ने ही लिखी है। अब हरजय मिल्खा सिंह परिवार की तीसरी पीढ़ी है जो खेल में रुचि दिखा रहा है।