फ्लोर को अपार्टमेंट के तौर पर बेचने के मुद्दे पर प्रशासन को दिया दो सप्ताह का समय, देनी होगी रिपोर्ट Chandigarh news
चीफ जस्टिस रवि शंकर झा व जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने मामले को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए हैं।
चंडीगढ़, जेएनएन। शहर के एक से 10 सेक्टर की बड़ी-बड़ी कोठियों के प्रत्येक फ्लोर को अलग से एक यूनिट बना इसे अपार्टमेंट के तौर पर बेचे जाने के मामले में हाईकोर्ट ने अब चंडीगढ़ प्रशासन की अथॉरिटी को दो सप्ताह में इस पर अपनी स्थिति स्पष्ट कर उचित निर्णय लेते हुए इसकी रिपोर्ट तैयार करने को कहा है। प्रशासन को अपनी रिपोर्ट हाईकोर्ट को सौंपनी होगी। चीफ जस्टिस रवि शंकर झा व जस्टिस अरुण पल्ली की खंडपीठ ने मामले को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए यह आदेश दिए हैं।
2003 की याचिका पर चंडीगढ़ के सीनियर स्टेडिंग काउंसल पंकज जैन ने कहा कि शहर के मास्टर प्लान में ही जब अपार्टमेंट का प्रावधान नहीं है, तो अपार्टमेंट के तौर पर रजिस्ट्री भी नहीं हो सकती। जैन ने दावा किया कि आज तक किसी भी अपार्टमेंट की शहर में एक भी रजिस्ट्री नहीं कि गई है। जहां तक शेयर को आगे बेचे जाने का मामला है तो उस पर कैसे रोक लगाई जा सकती है।
याचिका में कहा- यह शहर के मास्टर प्लान का उल्लंघन है
जनहित याचिका में हाईकोर्ट को बताया गया है कि शहर के मास्टर प्लान का उल्लंघन कर एक ही यूनिट में अलग-अलग अपार्टमेंट बना उसे बेचा जा रहा है। जिससे शहर का बेसिक इंफ्रास्ट्रर ही बर्बाद हो जाएगा। खासतौर पर चंडीगढ़ के नॉर्थर्न सेक्टर्स में अपार्टमेंट का प्रावधान यहां के लिए घातक साबित हो सकता है। अगर अपार्टमेंट के प्रावधान को मंजूरी दी गई है तो इससे शहर के इंफ्रास्ट्रर पर बोझ काफी बढ़ जाएगा, क्योंकि जब एक ही प्लॉट्स की अगल-अलग मंजिल को अलग-अलग लोगों को बेचा जाएगा तो उस जगह पर जनसंख्या का घनत्व काफी बढ़ जाएगा। ऐसे में इन जगहों पर अधिक वाहन और उनके लिए पार्किंग स्पेस की समस्या खड़ी हो जाएगी और ऐसा होना शुरू भी हो गया है।
माफिया की मनमानी बेलगाम
याचिकाकर्ता के आरोप हैं कि चाहे अपार्टमेंट के तौर पर रजिस्ट्री नहीं की जा रही हो, लेकिन बिल्डर माफिया ने इसका भी हल निकाल लिया है। वह प्रॉपर्टी खरीद कर उसे आगे शेयर में विभाजित कर बेच रहे हैं। एक तरह से घरों की प्रत्येक मंजिल को शेयर के तौर पर आगे बेचा जा रहा है।