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PGI Chandigarh में डिजिटल रेडियोग्राफी के लिए दो मशीनें इंस्टॉल, प्रो. जगतराम ने किया शुभारंभ

पीजीआइ चंडीगढ़ के रेडियोडायग्नोसिस एंड इमेजिंग विभाग में डिजिटल रेडियोग्राफी के लिए दो मशीनें इंस्टॉल की गई हैं। इन मशीनों का शुभारंभ पीजीआइ निदेश प्रो. जगतराम ने किया। उन्होंने बताया कि उक्त दोनों मशीनें पीजीआइ में आने वाले मरीजों के लिए फायदेमंद साबित होंगी।

By Ankesh ThakurEdited By: Published: Wed, 21 Apr 2021 03:17 PM (IST)Updated: Wed, 21 Apr 2021 03:17 PM (IST)
PGI Chandigarh में डिजिटल रेडियोग्राफी के लिए दो मशीनें इंस्टॉल, प्रो. जगतराम ने किया शुभारंभ
रेडियोडायग्नोसिस एंड इमेजिंग विभाग में इंस्टॉल की गई मशीनों का शुभारंभ करते पीजीआइ निदेश प्रो. जगतराम व अन्य।

चंडीगढ़, जेएनएन। पीजीआइ चंडीगढ़ के निदेशक प्रो. जगतराम ने रेडियोडायग्नोसिस एंड इमेजिंग विभाग में डिजिटल रेडियोग्राफी के लिए 800 एमए की इंस्टाल की गई दो मशीनों की शुरुआत की। इनमें से एक मशीन नेहरू अस्पताल के इमरजेंसी में स्थापित की है और दूसरी मशीन नेहरू अस्पताल के रेडियोडायग्नोसिस के मुख्य विभाग में लगाया गया है। पीजीआइ में रेडियोडायग्नोसिस और इमेजिंग विभाग देश के सबसे बड़े और सबसे अच्छे रेडियोडायग्नोसिस विभाग में से एक है। ये दोनों मशीनें पूरी तरह से डिजिटल हैं और काम के भार की एक बड़ी मात्रा को संभालने में सक्षम हैं। उक्त दोनों मशीनें रोगियों के उपचार और प्रबंधन के लिए बहुत फायदेमंद है।

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पीजीआइ के रेडियोडायग्नेासिस विभाग के हेड प्रो. एमएस संधू ने बताया कि ये नई मशीनें मोटरयुक्त और रिमोट से कंट्रोल होती हैं। इन मशीनों में अधिग्रहण का समय काफी कम होता है। जो समय की एक निर्धारित अवधि में अधिक संख्या में मरीजों को समायोजित करने में मदद करता है। इन मशीनों का एक और फायदा है कि पूरे रीढ़ और निचले अंगों जैसे लंबे शरीर के अंगों की एक्स-रे करने की क्षमता है। जो आर्थोपेडिक्स और रीढ़ की सर्जरी के लिए बहुत महत्वपूर्ण है। कोरोना महामारी के दौरान हाई एंड एक्स-रे मशीनों की स्थापना कोरोना मरीजों के सही और समय पर उपचार में मदद करेगी।

देश की पहली एडवांस वैस्कुलर इंटरवेंशनल और पशु अनुसंधान पीजीआइ में शुरू

पीजीआइ के निदेशक प्रो. जगतराम ने मंगलवार को देश की पहली उन्नत वैस्कुलर इंटरवेंशनल और पशु अनुसंधान चिकित्सा प्रणाली की शुरुआत की। पीजीआइ के रेडियोडायग्नोसिस एंड इमेजिंग विभाग ने इस पहले बिप्लन डिजिटल सबट्रेक्शन एंजियोग्राफी (डीएसए) को देश में स्थापित किया था। जो छोटे जानवरों में बुनियादी अनुसंधान के लिए समर्पित है। इस सुविधा का उद्देश्य नई दवाओं और हार्डवेयर का परीक्षण करना होगा। जो संभावित रूप से मानव विकारों के उपचार के लिए इस्तेमाल किए जा सकते हैं।

रेडियोडायग्नोसिस विभाग के हेड प्रो एमएस संधू ने कहा कि यह देश के सबसे बड़े और सबसे अच्छे रेडियोडायग्नोसिस विभाग में से एक है। डीएसए मशीन एक परिष्कृत डिजिटल एक्स-रे उत्सर्जक मशीन है। जो मानव या पशु शरीर के अंदर के ब्लड वैसेल के सटीक मूल्यांकन में मदद करती है। एक बार आयोडीन आधारित कंट्रास्ट को कैथेटर नामक पतली नलियों के माध्यम से विशिष्ट पोत में इंजेक्ट किया जाता है। जिसे उस पोत के अंदर रखा जाता है। इस मशीन का उपयोग शरीर के विभिन्न अंगों जैसे मस्तिष्क, लीवर, किडनी, और चरमसीमा की एंजियोग्राफी करने के लिए भी करते हैं।


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