'पर्सनल वार' में बदली सुखबीर की सिद्धू और मनप्रीत से 'पालिटिकल टसल'
पंजाब की राजनीति में अभी सुखबीर बादल का नवजोत सिंह सिद्धू और मनप्रीत बादल के साथ टकराव चर्चा का विषय बना हुआ है। उनकी 'पालिटिकल टसल' अब 'पर्सनल वार' में बदल गई है।
चंडीगढ़, [कैलाश नाथ]। कांग्रेस के स्टार मंत्री नवजोत सिद्धू, मनप्रीत बादल और अकाली दल के प्रधान सुखबीर बादल के बीच टसल (टकराव) आधा दशक से भी ज्यादा पुराना है, लेकिन अब यह व्यक्तिगत लड़ाई में बदल चुकी है। यह दोनों मंत्री अकाली दल के निशाने पर हैं। सुखबीर बादल ने अपना फोकस इन मंत्रियों पर रखा है। अकाली दल प्रधान मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के ज्यादा इन दोनों मंत्रियों पर हमले बोल रहे हैं। यही हाल सिद्धू और मनप्रीत का है। इन दोनों के निशाने पर भी सुखबीर और मजीठिया हैं।
दोनों ही मंत्री कभी न कभी पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के करीबी रहे हैं। भतीजा होने के कारण मनप्रीत ने अपने राजनीतिक करिअर की शुरुआत बादल की अगुवाई में की, तो भाजपा के सांसद होने के कारण सिद्धू भी बादल के करीबी थे। सिद्धू को भाजपा छोडऩी पड़ी, तो मनप्रीत को अकाली दल। इसके पीछे दोनों मंत्री सुखबीर को सबसे बड़ा कारण बताते हैं।
यह भी पढ़ें: खुद के लिए टाइम नहीं तो कैसी जिंदगी : कपिल शर्मा
कांग्रेस सरकार में मंत्री बनने के बाद यह 'टसल' अब व्यक्तिगत लड़ाई में बदलनी शुरू हो गई है। पंजाब विधानसभा में यह खुल कर सामने आ गया। यही कारण है कि सिद्धू और मनप्रीत में आगे निकलने की होड़ भी खत्म हो गई है। दोनों ही एक दूसरे के साथ चल रहे हैं। सदन में दो मौकों पर यह देखने को मिला, जब मनप्रीत बादल सिद्धू की वकालत करते नजर आए, तो सिद्धू मनप्रीत के शान में कसीदे पढऩे से नहीं चूके।
इसलिए तेज हुई लड़ाई
अकाली दल और सिद्धू व मनप्रीत की लड़ाई यहां तक पहुंच गई है कि अकाली अब इन्हें बंटी और बबली कहने लगे हैं। बिक्रम सिंह मजीठिया ने तो सदन में ही इन शब्दों का प्रयोग किया था। सूत्र बताते हैं कि अकाली दल कभी नहीं चाहता था कि सिद्धू और मनप्रीत का राजनीतिक करिअर आगे बढ़े, लेकिन आज सिद्धू स्थानीय निकाय मंत्री और मनप्रीत बादल वित्तमंत्री बन कर ट्रेजरी बेंच पर पहुंच चुके हैं।
यह भी पढ़ें: अमरिंदर मंत्रिमंडल का विस्तार टला, अब 5 जुलाई के बाद
दूसरी ओर, सुखबीर की पार्टी को मुख्य विपक्ष का दर्जा भी नहीं हासिल हुआ। पूर्व मुख्यमंत्री प्रकाश सिंह बादल के एक भी दिन सदन में नहीं आने के पीछे एक कारण यह भी बताया जा रहा है। क्योंकि अगर वह सदन में आते हैं, तो उनकी सीट कोने में होगी और मनप्रीत बादल ट्रेजरी बेंच में नंबर चार की पोजीशन पर होते।
सिद्धू और मनप्रीत पर सुखबीर के हमले
यह लड़ाई इतनी आगे निकल चुकी है कि सुखबीर बादल ने सिद्धू को मेंटल कह दिया। दूसरी ओर, सिद्धू उनके लिए चोर-ठग जैसे शब्दों का प्रयोग कर रहे हैं। मनप्रीत के बजट को लेकर तो सुखबीर इतने उत्तेजित थे कि उन्होंने बजट को आंकड़ेबाजी बताते हुए मीडिया के सामने करीब आधे घंटे का पावर प्वाइंट प्रजेंटेशन दे दिया। सुखबीर ने यहां तक कहा कि मनप्रीत को इक्नॉमिक्स की जानकारी नहीं है।
यह भी पढ़ें: सिद्धू बोले, अकालियों को देखते ही करता है लड़ने का मन
इन नेताओं के बीच हालात का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि तीन-चार दिन पहले नवजोत सिंह सिद्धू ने एक कार्यक्रम के दौरान कह दिया कि विधानसभा में अकालियों को देखकर उनसे लड़ने का मन करता है।बहरहाल, यह तय है कि अकाली दल आने वाले समय में कैप्टन से ज्यादा सिद्धू और मनप्रीत पर हमले करने की तैयारी में है। वहीं, सिद्धू भी पीछे हटने वाले नहीं हैं। उन्होंने भी अकाली सरकार के दौरान केबल नेटवर्क से सरकार को हुए नुकसान की जांच के आदेश देकर अकाली दल को बता दिया है कि वह डर कर चुप बैठने वाले नहीं हैं।