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पंजाब में राज्‍यपाल व आप सरकार का टकराव बढ़ा, पुरोहित ने मांगा सत्र का एजेंडा, सीएम बोले- अब बहुत हो गया

Governor vs AAP Government पंजाब मेंं राज्‍यपाल बनवारी लाल पुरोहित और भगवंत मान सरकार के बीच टकराव बढ़ गया है। पंजाब विधानसभा के 27 सितंबर को प्रस्‍तावित विशेष सत्र को लेकर विवाद शुरू हो गया है। राज्‍यपाल ने इसका एजेंडा मांगा है। इस पर सीएम ने कहा अब बहुत हाेेगया/

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Sat, 24 Sep 2022 08:15 AM (IST)Updated: Sat, 24 Sep 2022 08:15 AM (IST)
पंजाब के मुख्‍यमंत्री भगवंत मान और राज्‍यपाल बनवारी लाल पुरोहित। (फाइल फोटो)

चंडीगढ़ , जेएनएन। Governor vs Punjab Government: पंजाब में आम आदमी पार्टी की भगवंत मान सरकार और राज्‍यपाल बनवारी लाल पुरोहित के बीच टकराव लगातार बढ़ता जा रहा है। राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित द्वारा 22 सितंबर को प्रस्‍तावित विधानसभा का विशेष सत्र की मंजूरी वापस लेने के बाद सरकार ने इसके लिए नई तिथि प्रस्‍तावित की। अब राज्‍यपाल ने 27 सितंबर को प्रस्‍तावित तिथि पर भी सवाल उठा दिया है और इसका एजेंडा मांगा है। पंजाब विधानसभा के सचिव की ओर से भेजे गए पत्र पर राज्यपाल ने पूछा है कि इस सत्र में कौन सा विधायी कामकाज किया जाना है। इसके बाद सीएम भगवंत मान ने कड़ी प्रतिक्रिया व्‍यक्‍त की है। 

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मुख्यमंत्री भगवंत मान ने ट्वीट कर कहा है,  'विधानमंडल के किसी भी सत्र से पहले राज्यपाल या राष्ट्रपति की सहमति एक औपचारिकता है। 75 वर्षों में किसी भी राष्ट्रपति या राज्यपाल ने सत्र बुलाने से पहले कभी विधायी कार्यों की सूची नहीं मांगी। विधायी कार्य बिजनेस एडवाइजरी कमेटी व स्पीकर द्वारा तय किया जाता है। अब बहुत हो गया।'

उल्लेखनीय है कि राज्यपाल बनवारी लाल पुरोहित ने 22 सितंबर को बुलाए गए विशेष सत्र की मंजूरी वापस ले ली थी। इसके बाद पंजाब सरकार ने कैबिनेट की बैठक में 27 सितंबर को सत्र बुलाने का निर्णय लिया था। सरकार ने राज्यपाल को वीरवार को जो पत्र भेजा था, उसमें सत्र में विधायी कामकाज किए जाने के बारे में कहा था, लेकिन विस्तृत जानकारी नहीं दी थी। हालांकि, मुख्यमंत्री भगवंत मान ने एक वीडियो संदेश के जरिए कहा था कि सरकार बिजली व पराली के मुद्दे पर बहस करवाना चाहती है, लेकिन राजभवन को भेजे पत्र में इन मुद्दों का जिक्र नहीं किया गया है।

सरकार ने लोकसभा के नियमों से निकाला विशेष सत्र का रास्ता

अब भगवंत मान सरकार ने पूरे मामले को सुप्रीम कोर्ट में ले जाने की तैयारी शुरू कर दी है। मुख्यमंत्री कार्यालय का कहना है कि सुप्रीम कोर्ट में चुनौती देने से पहले इस पर एडवोकेट जनरल (एजी) की राय मांगी जा रही है। वहीं, जानकारों का कहना है कि सरकार की ओर से विश्वास मत लाने का कोई नियम पंजाब विधानसभा की नियमावली में न होना बड़ी बाधा है, इसीलिए इसका अदालत में टिकना मुश्किल है।

विश्वास मत लाने के नियमों के बारे में पंजाब विधानसभा के अध्यक्ष कुलतार सिंह संधवां ने कहा कि जहां विधानसभा के नियम नियमावली में नहीं होते हैं, वहां लोकसभा के नियमों का अनुसरण किया जाता है। लोकसभा की नियमावली में यह नियम है। वहां कई बार सरकार ने ही विश्वास मत हासिल करने के लिए प्रस्ताव पेश किया है।

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ਵਿਧਾਨ ਸਭਾ ਦੇ ਕਿਸੇ ਵੀ ਸੈਸ਼ਨ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਰਾਜਪਾਲ ਦੀ ਸਹਿਮਤੀ ਰਸਮੀ ਹੁੰਦੀ ਹੈ…75 ਸਾਲਾਂ ਦੌਰਾਨ.. ਕਿਸੇ ਵੀ ਰਾਜਪਾਲ ਨੇ ਸਰਕਾਰ ਨੂੰ ਸੈਸ਼ਨ ਬੁਲਾਉਣ ਤੋਂ ਪਹਿਲਾਂ ਕਦੇ ਵੀ ਵਿਧਾਨਕ ਕਾਰੋਬਾਰ ਦੀ ਸੂਚੀ ਨਹੀਂ ਪੁੱਛੀ…ਇਹ ਫ਼ੈਸਲਾ BAC ਅਤੇ ਸਪੀਕਰ ਦੁਆਰਾ ਕੀਤਾ ਜਾਂਦਾ ਹੈ…ਅਗਲੀ ਸਰਕਾਰ ਸਾਰੇ ਭਾਸ਼ਣਾਂ ਦੀ ਪ੍ਰਵਾਨਗੀ ਵੀ ਰਾਜਪਾਲ ਤੋਂ ਲਿਆ ਕਰੇਗੀ…ਹੱਦ ਹੀ ਹੋ ਗਈ ਹੈ…
- Bhagwant Mann (@bhagwantmann) 23 Sep 2022

सरकार को क्या ऐसी आपात स्थिति आन पड़ी थी: बीर दविंदर

विधायी मामलों के विशेषज्ञ व पूर्व डिप्टी स्पीकर बीर दविंदर ने कहा है कि रीति का पालन आपात समय में किया जा सकता है। यहां सरकार को क्या ऐसी आपात स्थिति आन पड़ी थी? उनका एक भी विधायक कहीं नहीं गया था। पार्टी के पास 92 विधायक हैं। सरकार को नियमों का उल्लंघन करने की क्या जरूरत है।

यह है नियम

पंजाब विधानसभा के रूल्स आफ बिजनेस के चैप्टर 10 में केवल अविश्वास प्रस्ताव लाने का जिक्र है, जो विपक्ष के विधायक लाते हैं। जब इसका नोटिस दिया जाता है, तो विधानसभा अध्यक्ष सरकार से बहुमत साबित करने के लिए दिन व समय निश्चित करता है। लोकसभा में विश्वास प्रस्ताव का प्रविधान है।


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