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बिना दवाओं और इंजेक्शन के ही पीजीआइ इमरजेंसी में हो रहा इलाज

देश के सर्वोच्च चिकित्सा संस्थानों में टॉप पर गिने जाने वाले पीजीआइ में इन दिनों भर्ती मरीजों को न तो दवाएं मिल रही हैं न ही इंजेक्शन।

By JagranEdited By: Published: Sat, 23 Nov 2019 07:59 PM (IST)Updated: Sat, 23 Nov 2019 07:59 PM (IST)
बिना दवाओं और इंजेक्शन के ही पीजीआइ इमरजेंसी में हो रहा इलाज

वीणा तिवारी , चंडीगढ़ : देश के सर्वोच्च चिकित्सा संस्थानों में टॉप पर गिने जाने वाले पीजीआइ में इन दिनों भर्ती मरीजों को न तो दवाएं मिल रही हैं न ही इंजेक्शन। यह जनरल वार्ड का नहीं इमरजेंसी का हाल है। जहां लगभग एक हफ्ते से लगभग आधा दर्जन इंजेक्शन और दवाओं की किल्लत है। इमरजेंसी के डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ की ओर से प्रशासन और स्टोर में बार-बार इसकी डिमांड भेजी जा रही है, लेकिन सप्लाई नदारद है। आलम यह है कि सामान्य कैटेगरी के मरीजों के साथ ही आयुष्मान योजना के लाभार्थियों से भी बाहर से वे दवाएं और इंजेक्शन खरीदकर मंगाने पड़ रहे हैं। दवाओं के साथ डिस्चार्ज पेपर भी खत्म

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पीजीआइ की बदहाल स्थिति वहां काम कर रहे डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ के साथ ही भर्ती मरीजों के लिए परेशानी का सबब बनती जा रही है। आलम यह है कि चंद दिनों पहले यहां पेशेंट ट्रीटमेंट चार्ट खत्म होने पर सादे कागज पर ट्रीटमेंट डिटेल भरी जा रही थी, अब डिसचार्ज पेपर उपलब्ध न होने पर एक पेपर से दर्जनों मरीजों से फोटो स्टेट कराकर गड़बड़ी छिपाने का प्रयास हो रहा है। पीजीआइ इमरजेंसी में भर्ती दर्जनों मरीजों के परिजनों का कहना है कि छुट्टी के समय एक फार्म देकर ढेर सारे मरीजों के परिजनों को उसका फोटो कॉपी कराने का आदेश दे दिया गया। इमरजेंसी में इसकी सप्लाई है ठप

-हाइड्रोक्सीप्रोपाइल मेथाइलसेलूलोज

-ओरल रिहाइड्रेशन सॉल्ट

-पैंटाप्राजोल टेबलेट 40 एमजी

-फोलिक एसिड टैबलेट 5 एमजी

-मेरोपेनेम इंजेक्शन

-1 जी पाइपरसिलिन सोडियम और तजोबैक्टम सोडियम इंजेक्शन 4.5 जी पीजीआइ प्रशासन के पास कोई जवाब नहीं

इसकी सूचना जब पीजीआइ प्रशासन को दी गई तो पीजीआइ के आधिकारिक प्रवक्ता डॉ. अशोक कुमार ने बताया कि संबंधित दवाओं और इंजेक्शन की कमी की जानकारी उन्हें है। इसकी खरीद की प्रक्रिया की जा चुकी है। जल्द ही दवाओं और इंजेक्शन उपलब्ध हो जाएंगे। खरीद की प्रक्रिया में देरी के सवाल में उनके पास कोई जवाब नहीं मिला। सूत्रों का कहना है कि मनमाने रवैये के कारण दूर-दराज से आने वाले हजारों मरीजों की फजीहत हो रही है। कभी इंजेक्शन नहीं तो कभी दवा नहीं का रोना रोया जा रहा है। जबकि मरीजों के बेहतर इलाज के लिए करोड़ों रुपये की फंडिग की जा रही है।


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