पंजाब के मंत्रियों के लिए तबादला बना मधुमक्खी का छत्ता
पंजाब में नई सरकार बनते ही मंत्रियों के यहां तबादले के लिए कर्मचारियों की भीड़ जमा हाेने लगी है। तबादले का मामला मंत्रियों के लिए मधुमक्खी का छत्ता बनता जा रहा है।
जेएनएन, चंडीगढ़। 'तबादला' सरकारी महकमों में सबसे महत्वपूर्ण स्थान रखता है। मंत्री से लेकर अधिकारी तक हर कोई तबादले की पावर को छोड़ने का मोह नहीं छोड़ पाता है। लेकिन, नई सरकार के मंत्री तबादले की धमा-चौकड़ी से परेशान हैं। एक मंत्री का यहां तक कहना है ' तबादला और मधुमक्खी का छत्ता एक जैसा ही होता हैं। एक बार छेड़ दो उसके बाद नजारे देखो।'
जानकारी के अनुसार, शिक्षा विभाग को छोड़ कर किसी भी विभाग में तबादले को लेकर कोई नीति नहीं है। यही कारण है कि प्रत्येक वर्ष सरकार को तबादले के लिए आवेदन मांगती है और फिर उसका निस्तारण करना पड़ता है। पंजाब सरकार के एक मंत्री का कहना है,'सुबह से शाम तक सबसे अधिक समय तबादले वाले केसों पर ही जाता है। औसतन तीन से चार घंटे तो केवल तबादला सिफारिशों को लेकर ही निकलता है।'
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सबसे दिलचस्प बात यह है कि तबादले को लेकर मंत्री भी खुल बोलना नहीं चाहते। एक मंत्री तो यहां तक कहते हैं 'तबादला और मधुमक्खी का छत्ता एक जैसा ही होता है। अहम बात यह हैं कि मंत्री से लेकर मुख्यमंत्री तक रोजाना सैकड़ों कर्मचारी मनपसंद जगह पर तबादले का आवेदन लेकर आते हैं।
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मंत्रीगण भले ही इन केसों को सुनते-सुनते परेशान हो जाते हो लेकिन इसका दूसरा पहलू यह भी हैं कि वह इस पावर को हाथ से जाने नहीं देना चाहते हैं। एक अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर कहा, 'पालिसी बनाना कोई मुश्किल नहीं हैं। आज के कंप्यूटर युग में तो यह और भी आसान हैं। आप साफ्टवेयर बना लें, जिसमें आटोमेटिक ट्रांसफर जनरेट होते रहेंगे। लेकिन, कोई भी ट्रांसफर की पावर को हाथ से नहीं जाने देना चाहता है। क्योंकि ब्लाक से लेकर मंत्रालय तक हरेक को यह भी तो बताना होता हैं कि काम कर रहे है।'