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छात्र संघ चुनाव में रैली निकालने की परंपरा टूटी, नहीं किया गया शक्ति प्रदर्शन Chandigarh News

डीएसडब्ल्यू विवाद के कारण किसी भी छात्र संगठन ने रैली की अनुमति नहीं ली थी। पिछले दस सालों में ऐसा पहली बार ऐसा हुआ है जब किसी भी छात्र संगठन ने रैली नहीं की।

By Edited By: Published: Wed, 04 Sep 2019 06:28 PM (IST)Updated: Thu, 05 Sep 2019 03:05 AM (IST)
छात्र संघ चुनाव में रैली निकालने की परंपरा टूटी, नहीं किया गया शक्ति प्रदर्शन Chandigarh News
छात्र संघ चुनाव में रैली निकालने की परंपरा टूटी, नहीं किया गया शक्ति प्रदर्शन Chandigarh News

चंडीगढ़, जेएनएन। पीयू के छात्र संघ चुनाव में मतदान से एक दिन पहले रैली निकालने की परंपरा इस बार नहीं निभाई जा सकी। बुधवार को प्रचार का अंतिम दिन होने के बावजूद किसी भी छात्र संगठन की तरफ से ऐसा नहीं किया जा सका। इस तरह इस बार के छात्र संघ चुनाव में रैली का आयोजन कर वाहनों के साथ छात्र नेताओं द्वारा शक्ति प्रदर्शन करने की परंपरा टूट गई।

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इसकी सबसे बड़ी वजह यह रही कि डीएसडब्ल्यू विवाद के कारण किसी भी छात्र संगठन ने रैली की अनुमति नहीं ली थी। पिछले दस सालों में ऐसा पहली बार ऐसा हुआ है, जब किसी भी छात्र संगठन ने रैली नहीं की। इस बीच छात्र नेताओं ने सिर्फ डिपार्टमेंट टू डिपार्टमेंट और डोर-टू- डोर पहुंचकर चुनाव प्रचार किया। इस बार छात्र संघ चुनाव में एबीवीपी के अलावा, एसएफएस, एनएसयूआई, सोई सहित इनसो और आईएसए छात्र संगठन चुनाव प्रक्रिया में भाग ले रहे है। सभी संगठनों ने प्रेसिडेंट, वाइस प्रेसिडेंट, सेक्रेटरी और ज्वाइंट सेक्रेटरी पोस्ट के लिए अपने-अपने उम्मीदवार चुनाव मैदान में उतारे हैं।

हर साल छात्र संगठन डीएसडब्ल्यू से अनुमति लेकर रैली का आयोजन करते थे, जोकि स्टूडेंट सेंटर से शुरू होकर विभिन्न विभागों से होते हुए खत्म होती थी। एक दिन पहले तीन से चार छात्र संगठन रैली निकालते थे और वोट मांगने के अलावा शक्ति प्रदर्शन भी करते थे।

डीएसडब्ल्यू विवाद का चुनाव प्रचार पर पड़ा असर

छात्र संघ चुनाव की घोषणा के साथ ही पीयू में डीएसडब्ल्यू को लेकर विवाद सामने आया था। 22 अगस्त को वाइस चांसलर ने सीनेट में डीएसडब्ल्यू प्रो. इमैनुअल नाहर को पद से हटा दिया गया था। 24 अगस्त को डॉ.जगत भूषण को चार्ज मिला। तीन सितंबर को दोबारा से पंजाब- हरियाणा हाई कोर्ट के फैसले से प्रो. नाहर ने डीएसडब्ल्यू के तौर पर ज्वाइन किया। इस सभी मामले के बीच किसी भी छात्र संगठन ने रैली की अनुमति नहीं ली। वहीं एसएफएस ने प्रचार के लिए किए जाने वाले नाटकों की अनुमति मांगी, लेकिन नया चार्ज होने के कारण डॉ. भूषण ने मंजूरी नहीं दी। लेकिन नुक्कड़ नाटक की प्रथा जारी इस बार के छात्र संघ चुनाव में भले ही किसी भी छात्र संगठन ने रैली नहीं की हो, लेकिन एसएफएस ने हर बार की तरह बुधवार को दो बार कैंपस में नुक्कड़ नाटक का मंचन किया गया। नाटक का विषय राष्ट्रवाद के नाम पर हो रही राजनीति था। इसके अलावा नाटक के जरिए पैसे, दारू बांटने और पार्टियों देने वाली पार्टियों पर भी तीखा व्यंग्य किया। नाटक के अंत में प्रेसिडेंट उम्मीदवार प्रिया ने स्टूडेंट्स से अपील की है कि स्टूडेंट्स हितों के लिए वोट करें।


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