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Top Chandigarh News of the day, 19th July 2019 : GMCH-32 मामले में SC ने रोका HC का फैसला, PGI इस खास तकनीक से करेगा कैंसर का इलाज, मौत के बाद भी चार जिंदगियां रोशन कर गया युवक

जीएमसीएच-32 में एमबीबीएस सीटों पर दाखिले पर हाईकोर्ट की रोक को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। पीजीआइ में कैंसर के मरीजों का इलाज रोबोटिक ब्रैकीथेरेपी से होगा।

By Sat PaulEdited By: Published: Fri, 19 Jul 2019 05:46 PM (IST)Updated: Fri, 19 Jul 2019 05:48 PM (IST)
Top Chandigarh News of the day, 19th July 2019 : GMCH-32 मामले में SC ने रोका HC का फैसला, PGI इस खास तकनीक से करेगा कैंसर का इलाज, मौत के बाद भी चार जिंदगियां रोशन कर गया युवक
Top Chandigarh News of the day, 19th July 2019 : GMCH-32 मामले में SC ने रोका HC का फैसला, PGI इस खास तकनीक से करेगा कैंसर का इलाज, मौत के बाद भी चार जिंदगियां रोशन कर गया युवक

जेएनएन चंडीगढ़। जीएमसीएच-32 में एमबीबीएस सीटों पर दाखिले पर हाईकोर्ट की रोक को सुप्रीम कोर्ट ने खारिज कर दिया। पीजीआइ में कैंसर के मरीजों का इलाज रोबोटिक ब्रैकीथेरेपी से होगा। ऑर्गन डोनेशन के जरिए जीरकपुर का युवक अपनी मौत के बाद भी चार लोगों का जीवन आबाद कर गया। एक नजर आज की बड़ी खबरों परः-

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GMCH-32 मामले में SC ने रोका HC का फैसला
जीएमसीएच-32 में 2019-20 सत्र के लिए एमबीबीएस सीटों पर दाखिले पर सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट द्वारा लगाई गई स्टे को खारिज कर दिया। तीन जजों की बेंच ने यूटी प्रशासन को दस दिन के भीतर दाखिले के लिए काउंसलिंग करने का निर्देश जारी किया है। सुप्रीम कोर्ट के फैसले से अब मौजूदा सत्र में चंडीगढ़ के किसी भी स्कूल से 12वीं करने वाले स्टूडेंट्स को दाखिले में यूटी कोटे का लाभ मिलेगा। जबकि अगले साल 11 और 12वीं जबकि 2021 में 10वीं, 11वीं और 12वीं करने वाले स्टूडेंट्स को ही यूटी कोटे के तहत एमबीबीएस दाखिले में लाभ मिलेगा। बता दें कि 4 जुलाई को हाईकोर्ट की स्टे लगने के बाद जीएमसीएच-32 में चल रही काउंसलिंग पर भी रोक लगा दी गई थी। इसके बाद 12 जुलाई को 30 से 35 स्टूडेंट्स ने हाईकोर्ट के फैसले के विरोध में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की थी।

PGI इस खास तकनीक से करेगा कैंसर का इलाज
पीजीआइ में अब कैंसर के मरीजों का इलाज रोबोटिक ब्रैकीथेरेपी से होगा। विश्व में पहली बार इस तकनीक का इस्तेमाल कैंसर के इलाज में होगा। इस तकनीक का प्रयोग कर रेडिएशन और इमेज गाइडेंस को साथ-साथ करके सिर्फ कैंसर प्रभावित क्षेत्र में ही रेडिएशन दिया जाएगा। इससे रेडिएशन का साइड इफैक्ट मरीज के किसी दूसरे ऑर्गन पर नहीं पड़ेगा। मौजूदा समय में सीटी स्कैन, एमआरआइ या पैट स्कैन की रिपोर्ट के आधार पर यह प्रक्रिया की जाती है। इससे अनुमान के आधार पर दिए जाने वाले रेडिएशन से शरीर में आसपास के अंग भी प्रभावित होते हैं। इस तकनीक को शुरू करने के लिए पीजीआइ रेडियोथेरेपी विभाग पिछले तीन साल से प्रयासरत था।

मौत के बाद भी चार जिंदगियां रोशन कर गया युवक
डेराबस्सी के रवि ने दुनिया से जाते हुए भी चार लोगों की अंधेरी जिंदगी में उजाला कर दिया। 29 साल के रवि के परिवार ने उसकी मौत के बाद उसके ऑर्गन डोनेशन का निर्णय लिया। 13 जुलाई की रात को रवि का स्कूटर किसी जानवर से टकरा गया था। परिवार के सदस्यों ने रवि को स्थानीय सिविल अस्पताल पहुंचाया। स्थिति गंभीर होने के कारण उन्हें पीजीआइ में भर्ती कराया, जहां डॉक्टरों के अथक प्रयास के बावजूद रवि की जान नहीं बचाई जा सकी। उनके पिता कुलदीप ने साहस का परिचय देते हुए रवि के लीवर, किडनी और कॉर्निया दान देने का फैसला किया। इसके बाद प्रत्यारोपण सर्जनों ने तीन लोगों में लीवर, किडनी और कॉर्निया का प्रत्यारोपण कर उन्हें नया जीवन दिया।

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