GMCH में बेड की बजाय स्ट्रेचर पर हो रहा बच्चों का इलाज, संक्रमण का खतरा बढ़ा Chandigarh News
मानक के अनुसार एक बेड पर सिर्फ एक बच्चा भर्ती होना चाहिए। क्योंकि बच्चों की एम्युनिटी पावर बहुत कम होती है। ऐसी स्थिति में उन्हें संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा होता है।
चंडीगढ़, जेएनएन। सेक्टर-32 स्थित गवर्नमेंट मेडिकल कॉलेज एंड हॉस्पिटल में बच्चों को बेड की बजाय स्ट्रेचर पर भर्ती कर इलाज किया जा रहा है। इतना ही नहीं इलाज के साथ ही उन्हें संक्रमित करने का भी वहां पूरा इंतजाम है। यहां पीडियाट्रिक इमरजेंसी में एक स्ट्रेचर पर तीन-तीन बच्चों को भर्ती किया जा रहा है। चौंकाने वाली बात यह है की काम अस्पताल प्रशासन पैरामेडिकल स्टाफ पर दबाव बनाकर करवा रहा है। विरोध करने वाले स्टाफ को तत्काल नोटिस थमा दिया जा रहा है।
नोटिस के डर से स्टाफ मुंह पर ताला लगाकर काम करने को मजबूर हैं। इस संदर्भ में अस्पताल प्रशासन कुछ भी कहने को तैयार नहीं है। पीडियाट्रिक इमरजेंसी में एक स्ट्रेचर पर भर्ती तीन-तीन बच्चों में से कोई निमोनिया ग्रस्त है तो किसी को वायरल बुखार है। यूनिट के स्टाफ का ही कहना है कि ऐसी स्थिति में यहां भर्ती बच्चों को इलाज के दौरान कई दूसरे संक्रमण हो जा रहे हैं।
मानक के अनुसार एक बेड पर सिर्फ एक बच्चा भर्ती होना चाहिए। क्योंकि बच्चों की एम्युनिटी पावर बहुत कम होती है। ऐसी स्थिति में उन्हें संक्रमण का खतरा बहुत ज्यादा होता है। यहां एक बेड पर तीन अलग-अलग मर्ज से ग्रस्त बच्चों को एक साथ रखा जा रहा है। यह बेहद खतरनाक है।
30 बच्चे और स्टाफ महज तीन इमरजेंसी
पीडियाट्रिक में बेड के साथ ही पैरामेडिकल स्टाफ की भी कमी है। यहां 5 बेड की नियोनेटल इमरजेंसी और 8 बेड की इमरजेंसी के साथ लगभग 20 स्ट्रेचर पर बच्चे भर्ती किए जा रहे हैं। हर दिन लगभग 30 से 40 बच्चों का यहां इलाज हो रहा है। बच्चों की इस यूनिट में एक शिफ्ट में महज तीन नर्सिंग स्टाफ की ड्यूटी लगाई जा रही है। इन नर्सिंग स्टाफ के जिम्मे नियोनेटल के साथ ही 8 बेड और 20 स्ट्रेचर पर भर्ती बच्चों की देखभाल का जिम्मा है। इन बच्चों को समय पर दवा-इंजेक्शन देने के साथ ही ये नर्सिंग स्टाफ बायोमेडिकल वेस्ट मैनेजमेंट का कराने का भी काम कर रही हैं। काम के दबाव के बीच बायोमेडिकल वेस्ट से जुड़े काम में लगाए जाने के विरोध में यूनिट के नर्सिग स्टाफ ने अस्पताल प्रशासन को पत्र लिखा है।