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सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से टरशरी वाटर में अब नहीं आएगी दुर्गध, पानी का होगा बेहतर प्रयोग

शहर के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में टरशरी वाटर को अब और बेहतर तरीके से प्रयोग किया जा सकेगा।

By JagranEdited By: Published: Thu, 01 Jul 2021 11:26 PM (IST)Updated: Thu, 01 Jul 2021 11:26 PM (IST)
सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट से टरशरी वाटर में अब नहीं आएगी दुर्गध, पानी का होगा बेहतर प्रयोग

जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : शहर के सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट में टरशरी वाटर को अब और बेहतर तरीके से प्रयोग किया जा सकेगा। इतना ही नहीं अब टरशरी वाटर से दुर्गध की समस्या भी पूरी तरह से खत्म हो जाएगी। इसी दिशा में चंडीगढ़ नगर निगम ने शहर में करीब तीन करोड़ से लगने वाले नए सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट की देखरेख की जिम्मेदारी पंजाब यूनिवर्सिटी की टीम दी गई है। पीयू के डिपार्टमेंट ऑफ माइक्रोबायोलॉजी के डा. नवीन गुप्ता इस नए प्रोजेक्ट पर काम करेंगे। दैनिक जागरण से बातचीत में डा. नवीन ने बताया कि स्मार्ट सिटी के लिए अनिवार्य पैरामीटर में टरशरी वाटर भी शामिल है। उन्होंने बताया कि वह अपनी टीम के साथ तीन साल तक इस प्रोजेक्ट पर काम करेंगे। कंसल्टेंसी के लिए करीब छह लाख का बजट दिया गया है। उन्होंने बताया कि अगले कुछ दिनों में वह इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू कर देंगे। डेढ़ साल पहले इस प्रोजेक्ट की पायलट स्टडी की थी, जिसके बाद यह निष्कर्ष निकाला गया कि टरशरी वाटर को दुर्गध से मुक्त कैसे किया जा सकता है। नए सिस्टम से टरशरी वाटर को सिचाई में अधिक से अधिक प्रयोग किया जा सकेगा और पीने के पानी की काफी बचत होगी। दुर्गध के कारण नहीं लेते लोग कनेक्शन

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शहर के पार्को और बड़ी कोठियों के गार्डन की सिचाई टरशरी वाटर से होती है, लेकिन बनने वाले टरशरी वाटर में काफी दुर्गध आती है। लोग इस दुर्गध से काफी परेशान हैं। इसलिए नगर निगम ने टरशरी वाटर से दुर्गंध खत्म करने की जिम्मेवारी पंजाब विश्वविद्यालय को दी है। जो टरशरी वाटर तैयार हो रहा है उसमें बीओडी की मात्रा 10 है, जबकि नगर निगम इसे भी पांच से कम करना चाहता है। इसके लिए ही स्मार्ट सिटी शहर के पांच ट्रीटमेंट प्लांट को अपग्रेड कर रहा है, जिसका करोड़ों रुपये का टेंडर अलाट किया गया है।

नगर निगम के चीफ इंजीनियर शेलेंद्र सिंह का कहना है कि टरशरी वाटर के लिए शहर में चार यूजीआर है। जहां से पूरे शहर मे टरशरी वाटर की सप्लाई होती है। टरशरी वाटर में दुर्गंध खत्म करने के लिए ही पीयू की मदद ली जा रही है। इन यूजीआर में ट्रीटमेंट प्लांट से ही टरशरी वाटर आता है।

उन्होंने बताया कि इस समय 20 एमजीडी से ज्यादा टरशरी वाटर बनता है, लेकिन इसका प्रयोग आठ से 10 एमजीडी सिचाई के लिए प्रयोग होता है। यह भी प्रयास किया जा रहा है कि जिन लोगों ने अभी तक अपने गार्डन की सिचाई के लिए टरशरी वाटर का कनेक्शन नहीं लिया है वह सभी लें। उन्होंने बताया कि यूजीआर में एक विशेष तरह के उपकरण लगाए जाने हैं, उसमें भी पीयू मदद करेगा। इस पर काम शुरू हो गया है। इससे टरशरी वाटर की गुणवत्ता में भी भारी सुधार होगा। पीयू ने रिजल्ट घोषित किया

पंजाब यूनिवर्सिटी ने दिसंबर 2020 में आयोजित एमए पंजाबी तीसरे सेमेस्टर का रिजल्ट घोषित कर दिया है। स्टूडेंट्स विभाग या पीयू वेबसाइट पर रिजल्ट देख सकते हैं।


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