बंसल की हार पर अब छाबड़ा के खिलाफ विराेध के स्वर, कांग्रेस नेताअाें ने नैतिकता के आधार पर मांगा इस्तीफा
चंडीगढ़ सीट पर कांग्रेस की हार के बाद पार्टी प्रदेश कमेटी में प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा के खिलाफ अब विरोध के स्वर तेज हाे गए हैं।
चंडीगढ़, [विशाल पाठक] : चंडीगढ़ सीट पर कांग्रेस की हार के बाद पार्टी प्रदेश कमेटी में प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा के खिलाफ अब विरोध के स्वर तेज हाे गए हैं। पार्टी के सीनियर लीडर छाबड़ा पर कांग्रेस की इस हार का ठीकरा फोड़ रहे हैं। कांग्रेस के अधिकतर सीनियर लीडर्स का यह कहना है कि हाईकमान की ओर से चंडीगढ़ सीट के लिए पवन कुमार बंसल को कैंडिडेट के तौर पर चुना। इसमें कोई कमी नहीं थी। लेकिन संगठन मजबूत नहीं था, जिसकी वजह से हार का सामना करना पड़ा। चुनावी दिनों में भी कांग्रेस के कई सीनियर लीडर अपने वार्ड से बाहर नहीं निकल पाए। जिसके चलते शहर के कई हिस्सों में कांग्रेस लोगों से नहीं जुड़ सकी। सूत्रों की मानें तो अगर पार्टी प्रदेशाध्यक्ष छाबड़ा अपने पद से इस्तीफा नहीं देते हैं। हो सकता है आने वाले दिनों में इस मुद्दे को पार्टी हाईकमान के समक्ष उठाया जाए।
एक दिन पहले जिला ग्रामीण अध्यक्ष ने छाेड़ा था पद
बीते रोज कांग्रेस के जिला ग्रामीण अध्यक्ष गुरप्रीत सिंह हैप्पी ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया। आने वाले दिनों में कांग्रेस चंडीगढ़ कमेटी के कई अहम पदों पर बैठे सीनियर लीडर भी अपने पद से इस्तीफा दे सकते हैं। राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य पवन शर्मा ने कहा कि कांग्रेस अगर हारी है, तो वह संगठन के मजबूत न होने की वजह से। छाबड़ा के प्रदेशाध्यक्ष रहते हुए पार्टी को लगातार नुकसान होता जा रहा है। उन्हें नैतिकता के आधार पर प्रदेशाध्यक्ष के पद से इस्तीफा दे देना चाहिए।
छाबड़ा बाेले-पार्टी हाईकमान नहीं चाहेगा ताे नहीं छाेड़ूंगा पद
प्रदेशाध्यक्ष प्रदीप छाबड़ा का कहना है कि जब तक पार्टी हाईकमान नहीं चाहेगा कि मैं अपने पद से हट जाऊं। तब तक जिम्मेदारी निभाता रहूंगा। पार्टी के अन्य ने्ता क्या सोच रहे हैं इस पर मुझे कुछ नहीं कहना है। जल्द ही कांग्रेस चंडीगढ़ कमेटी की बैठक बुलाई जाएगी। जिसमें इस लोकसभा चुनाव में कांग्रेस की इस हार पर मंथन किया जाएगा।
जीत और हार की स्थिति में प्रदेशाध्यक्ष की जिम्मेदारी होती है, ऐसे में नैतिकता के आधार पर छाबड़ा को इस्तीफा दे देना चाहिए। छाबड़ा के नेतृत्व में कांग्रेस 7 से 8 चुनाव हारी है। इनमें दो लोकसभा, एक नगर निगम, एक जिला परिषद, एक पंचायत समिति, एक मार्केट कमेटी और उपचुनाव में भी कांग्रेस की हार हुई है। पार्टी में कई ऐसे चेहरे हैं, जिन्हें आगे लाए जाने की जरूरत है। -देविंदर सिंह बबला, सीनियर लीडर, कांग्रेस चंडीगढ़
संगठन में बदलाव की जरूरत है, अभी तक पार्टी प्रदेशाध्यक्ष की ओर से इस हार पर मंथन के लिए कोई बैठक तक नहीं बुलाई गई। संगठन में कई सीनियर लीडर हैं, जिन्हें अब संगठन चलाने के लिए कमान सौंपनी चाहिए। पार्टी को गांवों और कॉलोनियों की ओर विशेष रूप से ध्यान देना होगा। कांग्रेस को इस चुनाव में गांवों और कॉलोनियों में कम वोट पड़े हैं। -शशिशंकर तिवारी, सीनियर लीडर, कांग्रेस
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