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थिएटर की भी फिल्म की तरह हो इंडस्ट्री

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ध्यान रंगमंच की तरफ भी दिलाया।

By JagranEdited By: Published: Tue, 22 Jan 2019 08:31 PM (IST)Updated: Tue, 22 Jan 2019 08:31 PM (IST)
थिएटर की भी फिल्म की तरह हो इंडस्ट्री

शंकर ¨सह, चंडीगढ़ : बात फिल्म इंडस्ट्री पर थी, मगर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ध्यान रंगमंच की तरफ भी दिलाया। मुंबई में हाल ही में नेशनल म्यूजियम ऑफ इंडियन सिनेमा के उद्घाटन में प्रधानमंत्री मोदी ने भारतीय रंगमंच को भी फिल्म इंडस्ट्री की तरह आगे लाने और इसमें नई तकनीक और इसके इतिहास को सहेजने की बात की। इस बात से भारतीय रंगमंच को भी अहमियत मिली। चंडीगढ़ शहर, जहां का रंगमंच भी बलवंत गार्गी के समय से उभरा। पेड थिएटर के बाद से शहर में रंगमंच कितना बढ़ा और प्रधानमंत्री के शब्दों के बाद शहर के रंगकर्मियों ने रखी अपनी राय। रंगकर्मियों की मेहनत को मिलना चाहिए पूरा सम्मान

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वरिष्ठ रंगकर्मी रानी बलबीर कौर ने कहा कि ये बहुत खुशी की बात है कि प्रधानमंत्री ने रंगमंच पर अपनी राय रखी। शहर का रंगमंच बहुत प्रफुल्लित है। इसकी नींव भी बलवंत गार्गी ने रखी, जिन्होंने इंडियन थिएटर डिपार्टमेंट की भी स्थापना की। अब रंगमंच बदल गया है, शहर का युवा इसमें अच्छा कार्य कर रहा है। मगर इंडस्ट्री बनाने के लिए इसे पेड करना होगा। ये विश्वास दिलाना होगा कि हमारे लोकल रंगकर्मी पेड थिएटर से बेहतर भविष्य बना सकते हैं। यकीनन फिल्म में नाम और शोहरत दोनों मिलते हैं, मगर रंगमंच पर जब देश के प्रधानमंत्री बात करते हैं तो ये सभी कलाकारों को यकीनन सम्मान देगी। रंगमंच में होने चाहिए रोजगार

हरियाणा कला परिषद के वाइस चेयरमैन सुदेश शर्मा ने कहा कि ये सराहनीय है कि प्रधानमंत्री लोगों का ध्यान रंगमंच की तरफ लाए। दरअसल, हालिया रंगमंच के इंडस्ट्री बनने में कुछ समस्याएं हैं। पहली समस्या रोजगार की है। इंडस्ट्री तभी बनती है, जब वहां रोजगार हो। मगर युवा और एमेच्योर से प्रोफेशनल रंगमंच बनने की प्रक्रिया थोड़ा धीमी है। इसके लिए बजट होना चाहिए, मेरे अनुसार इंडस्ट्री में खर्चों पर सेस भी लगाना चाहिए। जिससे ये सेस थिएटर की भलाई के काम आ सके। इसके अलावा देश की संस्कृति के प्रचार का कार्य थिएटर में संभव है, ऐसे में इसकी पॉलिसी बनाई जानी चाहिए और यकीनन प्रधानमंत्री ने इस पर कुछ कहा है, तो रंगकर्मियों को भी जल्दी इससे कुछ लाभ मिलेगा। प्रोफेशनल और एडवांस होना चाहिए थिएटर इंडस्ट्री को

युवा रंगकर्मी अमित सोनरिया ने कहा कि भारत में रंगमंच का सुनहरा दौर पारसी रंगमंच के दौरान था, मगर फिल्म इंडस्ट्री शुरू हुई तो ये पारसी कलाकार धीरे-धीरे फिल्मों की तरफ बढ़ने लगे। इसके बाद रंगमंच की हालत ज्यादा बेहतर तो नहीं हुई। मगर विदेशों में आज भी रंगमंच की इंडस्ट्री उतनी ही बेहतर है जितनी फिल्मों की। मैं ब्रिसबेन में एक नाटक देखने गया, तो वहां टिकट नहीं मिली। उस शो के अगले छह महीने बु¨कग फुल थी। उस ग्रुप ने डेढ़ साल में नाटक तैयार किया, जिसकी वजह से हर कोई उसे देखने पहुंचे। हमें थिएटर के करने के ढंग को बदलना होगा, साथ ही मार्के¨टग जैसे सब्जेक्ट को भी आर्टिस्ट को पढ़ाना चाहिए। हम पिछले ढाई साल से पेड थिएटर कर रहे हैं, हम चाहते हैं कि ये एक बेहतर इंडस्ट्री बने। थिएटर पेड हो, इसलिए शुरू किया पेड थिएटर फेस्टिवल

टैगोर थिएटर के डायरेक्टर कुलदीप शर्मा ने कहा कि शहर में थिएटर को कमर्शियल टच देने के लिए ही हमने ट्राईसिटी थिएटर फेस्टिवल को पेड किया। हम चाहते हैं कि ये कॉन्फीडेंस सभी थिएटर ग्रुप में आए कि वह थिएटर के जरिये अच्छा कमा सकते हैं। हमने पेड शो के लिए थिएटर का रेंट भी 50 से 25 हजार कर दिया है। उम्मीद है कि युवा थिएटर प्रधानमंत्री के इस सपने को पूरा करेंगे।


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