संघर्ष ने भरा है कलम में दर्द..
संघर्ष लेखक को जीवन सिखाता है।
जागरण संवाददाता,चंडीगढ़ : संघर्ष लेखक को जीवन सिखाता है। इसके बिना आप किसान की मेहनत नहीं समझ पाएंगे, न ही मजदूर की दिहाड़ी को भी। ऐसे में संघर्ष आपकी कलम में वो दर्द लाता है, जिसे आम इंसान रोजाना जीता है। यही दर्द जब मैंने भी अपनी किताब में लिखना शुरू किया, तो लोगों ने इसे खुले हाथों से अपनाया। मुझे गले लगाया, मैं एक अर्दली, जिसे लोगों ने कामयाब लेखक बनाया। सादे मगर प्रेम से भरे शब्दों में ¨नदर घुगियाणवी अपने जीवन के संघर्ष को कुछ ऐसे ही बयान करते हैं। पंजाब कला भवन-16 में शुक्रवार को उन्होंने अपनी लेखन यात्रा को साझा किया। फतेहगढ़ साहिब के घुगियाणा गांव के ¨नदर ने कहा कि शुरुआती दिनों में पढ़ना भी एक संघर्ष था। उनके पिता एक दुकान में काम करते थे। वह सब्जियां बेचकर गुजारा करते थे। ऐसे में मैं भी उनकी मदद करता था। जैसे तैसे बारहवीं तक पढ़ाई की। फिर डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में मेरी नौकरी लग गई। ये अर्दली की थी, ऐसे में मेरे परिवार में खुशी की लहर थी। मगर मैं इस नौकरी से उतना संतुष्ट नहीं था। मैं लिखता था और इसी को पसंद करता था। कचहरी के किस्से अखबारों में प्रकाशित करता था
¨नदर ने कहा कि 1992 में उन्होंने डिस्ट्रिक्ट कोर्ट में काम करना शुरू किया। शुरुआत वकील के मुंशी बनने से हुई, इसके बाद एक जज के अंडर लग गया। मैं दिनभर कई तरह की पेशी सुनता। कई तरह के केस, जिसमें इंसान के जीवन के कई घटनाक्रम देखता। उससे जो अहसास होता, उन्हें मैं लिखने लगा। एक बार अखबार में मेरे यही किस्से प्रकाशित हुए। लोगों के ये पसंद आया और फिर मैं निरंतर लिखता गया। मेरे लिखे कॉलम विदेश में भी लोग पढ़ने लगे। ऐसे में वर्ष 1996 में मैंने अपनी नौकरी छोड़ने की घोषणा की। परिवार वाले इसके विरुद्ध थे, मगर फिर भी मैंने नौकरी छोड़ आगे बढ़ने की सोची। इसके बाद से स्वतंत्र लेखन में आया, तो ब्रॉडकास्टर के रूप में नौकरी भी की। अभी तक 33 किताबें प्रकाशित हो चुकी है, जिसमें से 2001 में आई मेरी मैं सां जज दा अर्दली को लोगों ने खूब प्यार दिया। इसके अलावा कविताएं भी मैंने लिखा, लंदन में की अपनी यात्रा। वहां के पंजाबी जीवन और सपनों को भी मैंने लिखा। सिद्धू ने भी पसंद किया मेरा लेखन
¨नदर ने कहा कि उनकी लिखावट से पंजाब के सांस्कृतिक मंत्री नवजोत ¨सह सिद्धू भी खुश हुए। ¨नदर ने कहा कि मेरी लेखनी के वजह से ही उन्होंने मुझे पंजाब कला परिषद में मीडिया कोऑर्डिनेटर के रूप में बुलाया। वर्ष 2018 में उन्होंने मुझे यहां बुलाया, तो मुझे चंडीगढ़ शहर में आने का अवसर मिला। जल्दी लिखूंगा डायरी भी..
¨नदर ने कहा कि वो जल्द ही एक डायरी लिखेंगे। इसमें एक लेखक के अनुभव, उसके जीवन और दिनचर्या को लिखेंगे। ¨नदर ने कहा कि इन दिनों डायरी लेखन बहुत कम रह गया है। ऐसे में वह इस कला को दोबारा जीवित करना चाहते हैं।