सूद, चावला, गर्ग, बंसल, खेर, टंडन, छाबड़ा की प्रतिष्ठा दाव पर
वार्डो के ड्रा के साथ ही नगर निगम चुनाव के लिए बिगुल बज गया है।
राजेश ढल्ल, चंडीगढ़ : वार्डो के ड्रा के साथ ही नगर निगम चुनाव के लिए बिगुल बज गया है। इस बार कांग्रेस, भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच मुख्य तौर पर मुकाबला है। इन दलों के सीनियर नेताओं पर अपनी पार्टी को जीत दर्ज कर नए साल में मेयर बनवाने की जिम्मेदारी होगी। ऐसे में कई नेताओं की प्रतिष्ठा इस चुनाव में दांव पर है, जो कि उनका राजनीतिक भविष्य तय करेगी।
पंजाब विधानसभा से पहले चंडीगढ़ नगर निगम चुनाव है। इसलिए भी इस चुनाव का महत्व ज्यादा बढ़ गया है। हर बार कांग्रेस और भाजपा में ही मुख्य मुकाबला होता है, लेकिन इस बार आप के मैदान में आने से मुकाबला ज्यादा रोमांचक हो गया है। कांग्रेस, भाजपा और आप के अध्यक्ष खुद चुनाव नहीं लड़ रहे हैं। ऐसे में सारा दारोमदार इन नेताओं के कंधे पर है। कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला और भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद के नेतृत्व में यह पहला नगर निगम चुनाव है। ऐसे में वह अपनी पार्टी को ज्यादा ज्यादा सीट जीतवाकर हाईकमान के समक्ष अपना कद बढ़ाना चाहेंगे। कांग्रेस और भाजपा दोनों के अध्यक्ष अनुभवी हैं और वह दोनों नगर निगम के मेयर रह चुके हैं। ऐसे में जीतने वाले उम्मीदवार तय करना भी पार्टी अध्यक्षों की जिम्मेदारी है। ऐसे में पार्टी की जीत और हार पार्टी अध्यक्षों का राजनीतिक भविष्य तय करेगा। कांग्रेस में इनकी प्रतिष्ठा दांव पर
चंडीगढ़ कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला के अलावा पूर्व केद्रीय मंत्री पवन कुमार बंसल और पार्टी प्रभारी हरीश रावत की प्रतिष्ठा दांव पर है। उम्मीदवार तय करने में बंसल की अहम भूमिका रहेगी। इसलिए दावेदार टिकट के लिए बंसल का विश्वास जीतने का प्रयास कर रहे हैं। पवन बंसल इस समय पार्टी के राष्ट्रीय कैशियर के पद पर भी तैनात हैं। ऐसे में चुनाव में हर उम्मीदवार बंसल की ज्यादा से ज्यादा जनसभा करवाएगा। भाजपा में इन पर रहेगी अहम जिम्मेदारी
चंडीगढ़ भाजपा अध्यक्ष अरुण सूद के अलावा पूर्व अध्यक्ष संजय टंडन के अलावा सांसद किरण खेर की प्रतिष्ठा दांव पर है। साल 2016 के चुनाव में संजय टंडन भाजपा के अध्यक्ष थे। उस समय पार्टी ने नोटबंदी के दौरान 22 में से 20 सीट जीतकर सभी को आश्चर्यचकित कर दिया था। ऐसे में इस बार भी सूद के अलावा टंडन अपने ज्यादा से ज्यादा करीबियों को टिकट दिलवाना चाहते हैं। सांसद किरण खेर पिछले डेढ़ साल से अपनी बीमारी के कारण मुंबई में हैं, लेकिन उम्मीदवार तय करने में खेर की अहम भूमिका रहेगी और वह चुनाव प्रचार के लिए भी आएंगी। आप में इनके कंधों पर है जीत दिलवाना
आम आदमी पार्टी में चंडीगढ़ अध्यक्ष प्रेम गर्ग के अलावा पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन, सह प्रभारी प्रदीप छाबड़ा और चुनाव प्रभारी चंद्रमुखी शर्मा पर पार्टी को जीत दिलवाने की जिम्मेदारी है। छाबड़ा कांग्रेस से नाराज होकर आप में शामिल हुए हैं। साल 2016 के चुनाव के समय वह कांग्रेस के अध्यक्ष थे। अगर आप अच्छा प्रदर्शन करती है तो इसका क्रेडिट प्रदीप छाबड़ा और पूर्व केंद्रीय मंत्री हरमोहन धवन को जाएगा। अकाली पहली बार भाजपा के बिना लड़ेगी चुनाव
साल 1996 से लेकर अब तक जितने भी चुनाव हुए हैं उन सभी में अकाली दल ने भाजपा के साथ गठबंधन करके चुनाव लड़ा, लेकिन इस बार अकाली दल बहुजन समाज पार्टी के साथ गठबंधन कर मैदान में उतरा है। इस समय अकाली दल का सिर्फ एक ही पार्षद है, ऐसे में अच्छा प्रदर्शन करने की जिम्मेदारी अकाली दल के अध्यक्ष हरदीप सिंह पर है। अकाली दल के अध्यक्ष हरदीप सिंह खुद भी चुनाव लड़ेंगे। भाजपा अध्यक्ष पर चुनाव लड़ने का दबाव
कांग्रेस, भाजपा और आप के अध्यक्ष चुनाव न लड़ने की घोषणा कर चुके हैं। कांग्रेस अध्यक्ष सुभाष चावला तो यह भी कह चुके हैं उनके परिवार से कोई भी चुनाव नहीं लड़ेगा, लेकिन धनास सीट से उनके बेटे सुमित चावला को प्रबल दावेदार माना जा रहा है। असल में इस सीट पर चावला भी पार्षद रह चुके हैं। इसी तरह से अरुण सूद सेक्टर-37 और 38 की सीट पर दस साल से पार्षद हैं। ऐसे में उनके समर्थक दबाव बना रहे हैं कि वह फिर से चुनाव लड़ें। उनका वार्ड इस बार ड्रा में महिलाओं के लिए रिजर्व नहीं हुआ है।