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'सीनियर सिटीजंस हमारी धरोहर, केयर-काल्म और क्रिएटिविटी से रखें उनका ख्याल'

सीनियर सिटीजंस हमारी धरोहर हैं। उन्हें हमारे ध्यान की बहुत जरूरत रहती है। हम उन्हें अपने साथ अपने जीवन में एक अलग अंदाज में जोड़ सकते हैं...

By Edited By: Published: Thu, 02 May 2019 08:55 PM (IST)Updated: Fri, 03 May 2019 03:04 AM (IST)
'सीनियर सिटीजंस हमारी धरोहर, केयर-काल्म और क्रिएटिविटी से रखें उनका ख्याल'
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। सीनियर सिटीजंस हमारी धरोहर हैं। उन्हें हमारे ध्यान की बहुत जरूरत रहती है। हम उन्हें अपने साथ अपने जीवन में एक अलग अंदाज में जोड़ सकते हैं, बस हम अपने जीवन तीन चीजें सीख लें। इसमें तीन सी काम करते हैं, केयर, काल्म और क्रिएटिविटी। तीनों से ही हम अपने सीनियर सिटीजंस का ख्याल रख सकते हैं। पूर्व आइएएस ऑफिसर विवेक अत्रे ने कुछ इसी अंदाज में युवाओं को सीनियर सिटीजंस के प्रति जागरूक किया। ग्रे शेड्स एनजीओ द्वारा आयोजित एक विशेष कार्यक्रम में वह कम्युनिटी सेंटर-18 में पहुंचे।

16 सीनियर सिटीजंस को दी फैलोशिप
ग्रे शेड्स ने शहर के 16 सीनियर सिटीजंस को फैलोशिप दी। एनजीओ के संस्थापक इंदरप्रीत सिंह ने कहा कि ये फैलोशिप बेहतर जीवन व्यतीत करने के लिए प्रेरित करेंगे। हम चाहते हैं कि बुजुर्गो को युवाओं के साथ जोड़ा जाए। ताकि दोनों ही पीढि़यों में अतंर कम हो। दरअसल, इसी दूरी की वजह से सीनियर सिटीजंस अकसर अकेले रह जाते हैं। शारीरिक और मानसिक दोनों रूप से बेहतर करना होगा सीनियर सिटीजंस को कार्यक्रम के तहत एक सेशन का भी आयोजन किया गया। इसमें चंडीगढ़ सीनियर सिटीजंस एसोसिएशन के फाउंडिंग मेंबर ब्रिगेडियर केशव चंदरा ने कहा कि उन्होंने इस एसोसिएशन को 1996 में बनवाया था। जिसके तहत शहर में विभिन्न सीनियर सिटीजंस के लिए एक बेहतर माहौल तैयार करना था। ऐसे में हमने कई कार्य किए और दो पीढि़यों के अंतर को कम करने की कोशिश की। इसके बाद प्रो गुरप्रीत खैहरा ने कहा कि बुजुर्गों का मानसिक और शारीरिक दोनों ही रूप में ख्याल रखना जरूरी है। इस दौर में अकसर डिप्रेशन की समस्या आती है, जिसकी वजह अकेलापन होता है। ऐसे में उनको अकेला नहीं छोड़ना चाहिए। उनके साथ जितना रह सको, उन्हें कम लगता है।

इसके बाद भुवनेश्वर शर्मा ने अपने अनुभव साझा करते हुए कहा कि सीनियर सिटीजंस को अकसर इस उम्र में कई बीमारी होने की संभावना होती है। ऐसे में उनका रेगुलर चेकअप जरूरी होता है। साथ ही उनके साथ जितना वक्ता बिताया जाए, तो उन्हें अंदर से एक खुशी मिलती है जो उन्हें हर बीमारी से लड़ने के लिए तैयार करती है। 100 दिनों तक रहेगी फैलोशिप संस्थापक इंदरप्रीत ने कहा कि फैलोशिप 100 दिनों तक रहेगी। जिसमें उन्हें बेहतर जीवन जीने, और कैसे हम दूसरे युवाओं को सीनियर सिटीजंस से जोड़ सके हैं, इस पर चर्चा होगी।

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