सिटी का हार्ट भी अनसेफ, दिन में आग लगी तो नहीं घुस पाएगी फायर ब्रिगेड
सिटी के हार्ट सेक्टर-17 का दर्द देखने से ही झलकता है। शहर का यह प्रमुख बाजार भी फायर नार्म्स के हिसाब से सुरक्षित नहीं है।
By Edited By: Published: Thu, 06 Jun 2019 10:30 PM (IST)Updated: Fri, 07 Jun 2019 04:56 PM (IST)
जासं, चंडीगढ़। सिटी के हार्ट सेक्टर-17 का दर्द देखने से ही झलकता है। शहर का यह प्रमुख बाजार भी फायर नार्म्स के हिसाब से सुरक्षित नहीं है। ए और बी एरिया में कई इमारतों की हालत खस्ता है। यहां पर बिजली के तार ओपन में हैं, जो हादसों का कारण बन सकते हैं। यहां से शॉर्ट सर्किट होने पर कई बार आग भी लग चुकी है। आपातकालीन स्थिति में यहां पर भगदड़ मचने की ज्यादा आशंका से इन्कार नहीं किया जा सकता, क्योंकि जगह-जगह वेंडर बैठे हुए हैं। कई इमारतों की हालत काफी खस्ता है। जबकि जो यहां पर शोरूम और दुकानें हैं, वहां पर भी कई खामियां हैं, जिन्हें समय-समय पर नोटिस तो दिया जाता है, लेकिन फिर भी कुछ ऐसी जटिल खामियां हैं, जिन्हें व्यापारी दूर नहीं कर पा रहे।
दमकल विभाग की मानें तो करीब 50 प्रतिशत दुकानों में अभी भी कुछ न कुछ खामियां हैं। 500 इमारतों में काम करते हैं हजारों लोग व्यापारियों के एसी भी बरामदों में लगे हुए हैं। ब्रिज मार्केट में दुकानों के बाहर छत पर ही एसी लगे हैं, जहां से लोगों को काफी सावधानी बरतकर निकलना पड़ता है। सेक्टर-17 में करीब 500 इमारतें हैं, जिनमें पांच हजार से ज्यादा व्यापारी अपना कारोबार कर रहे हैं। दुकानों, बरामदों और सीढि़यों में तार लटक रहे हैं। 50 प्रतिशत से ज्यादा इमारतों में आग बुझाने वाले यंत्र गायब है या फिर बंद पड़े हैं।
अधिकतर इमारतों में आपातकालीन दरवाजे गायब
फायर विभाग के अनुसार नोटिस देकर व्यापारियों को खुद ही वॉयलेशन दूर करने की हिदायत दी गई है। अधिकतर इमारतों में आपातकालीन दरवाजे ही गायब हैं। फायर विभाग के अनुसार इमारतों की बेसमेट में पेट्रोलियम और ज्वलनशील पदार्थ नहीं होना चाहिए, लेकिन इसके बावजूद कई इमारतों की बेसमेंट में डीजल पड़ा है। मालूम हो कि साल 2014 में यहां पर ही शहर का सबसे बड़ा हादसा हुआ था। नाइलिट की इमारत में आग लग गई थी। इसकी बेसमेंट में ज्वलनशील पदार्थ पड़ा था, जिस कारण ब्लास्ट होने से चार मंजिला इमारत गिर गई थी। हर साल गर्मी में यहां पर किसी न किसी इमारत में आग जरूर लगती है। एंट्री और एग्जिट के लिए एक रास्ता इमारतों की ऊपर की मंजिलों पर जाने के लिए एंट्री और एग्जिट के लिए एक द्वार है। यहां तक की सीढि़यों में बिजली के मीटर भी लगे हैं। कई बार पहली मंजिल में आग लगने पर ऊपर की मंजिल के लोग भी नीचे नहीं उतर पाते हैं। पिछले माह एक इमारत में पहली मंजिल में आग लग गई थी, जिस कारण दूसरी मंजिल में फंसे लोगों ने दमकल विभाग को फोन करके यही कहा था कि जल्द आ जाए, नहीं तो वे कूद जाएंगे।
क्यों अहम है सेक्टर-17
सेक्टर-17 को सिटी का हार्ट कहा जाता है शहरवासियों के अलावा दूसरे देशों और राज्यों से आने वाले पर्यटक भी सेक्टर-17 में जरूर आते हैं, यहां पर कई ब्रांडेड शोरूमों के अलावा मल्टीनेशनल कंपनियों के कार्यालय भी हैं। सेक्टर-17 में करीब 4 करोड़ रुपये की लागत का मल्टीलेजर शो भी लगा हुआ है। पार्किंग की हालत तो सुधार दो सेक्टर-17 में पार्किग की हालत सुधारने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है। अगर दोपहर में कोई घटना हो जाए, तो दमकल विभाग की गाड़ी भीतर नहीं पहुंच पाएगी, पिछले साल भी जब घटना हुई थी, तो इसकी आग कई दिनों तक कर्मचारी बुझाने में लगे रहे थे। सेक्टर-17 में किसी भी इमारत के नीचे वाटर सेफ्टी टैंक भी नहीं है। पार्किग में फायर विभाग की गाड़ियों के लिए कोई अलग से लेन नहीं है।
शहर की प्रमुख इमारतों और बाजारों की चेकिंग की जा रही है। फायर ऑडिट की रिपोर्ट आने के बाद सभी को नोटिस भेजे जाएंगे। अब अगर किसी ने खामियां दूर न की, तो सीलिंग की कार्रवाई भी की जाएगी।
-अनिल गर्ग, चीफ फायर अधिकारी
दमकल विभाग की मानें तो करीब 50 प्रतिशत दुकानों में अभी भी कुछ न कुछ खामियां हैं। 500 इमारतों में काम करते हैं हजारों लोग व्यापारियों के एसी भी बरामदों में लगे हुए हैं। ब्रिज मार्केट में दुकानों के बाहर छत पर ही एसी लगे हैं, जहां से लोगों को काफी सावधानी बरतकर निकलना पड़ता है। सेक्टर-17 में करीब 500 इमारतें हैं, जिनमें पांच हजार से ज्यादा व्यापारी अपना कारोबार कर रहे हैं। दुकानों, बरामदों और सीढि़यों में तार लटक रहे हैं। 50 प्रतिशत से ज्यादा इमारतों में आग बुझाने वाले यंत्र गायब है या फिर बंद पड़े हैं।
अधिकतर इमारतों में आपातकालीन दरवाजे गायब
फायर विभाग के अनुसार नोटिस देकर व्यापारियों को खुद ही वॉयलेशन दूर करने की हिदायत दी गई है। अधिकतर इमारतों में आपातकालीन दरवाजे ही गायब हैं। फायर विभाग के अनुसार इमारतों की बेसमेट में पेट्रोलियम और ज्वलनशील पदार्थ नहीं होना चाहिए, लेकिन इसके बावजूद कई इमारतों की बेसमेंट में डीजल पड़ा है। मालूम हो कि साल 2014 में यहां पर ही शहर का सबसे बड़ा हादसा हुआ था। नाइलिट की इमारत में आग लग गई थी। इसकी बेसमेंट में ज्वलनशील पदार्थ पड़ा था, जिस कारण ब्लास्ट होने से चार मंजिला इमारत गिर गई थी। हर साल गर्मी में यहां पर किसी न किसी इमारत में आग जरूर लगती है। एंट्री और एग्जिट के लिए एक रास्ता इमारतों की ऊपर की मंजिलों पर जाने के लिए एंट्री और एग्जिट के लिए एक द्वार है। यहां तक की सीढि़यों में बिजली के मीटर भी लगे हैं। कई बार पहली मंजिल में आग लगने पर ऊपर की मंजिल के लोग भी नीचे नहीं उतर पाते हैं। पिछले माह एक इमारत में पहली मंजिल में आग लग गई थी, जिस कारण दूसरी मंजिल में फंसे लोगों ने दमकल विभाग को फोन करके यही कहा था कि जल्द आ जाए, नहीं तो वे कूद जाएंगे।
क्यों अहम है सेक्टर-17
सेक्टर-17 को सिटी का हार्ट कहा जाता है शहरवासियों के अलावा दूसरे देशों और राज्यों से आने वाले पर्यटक भी सेक्टर-17 में जरूर आते हैं, यहां पर कई ब्रांडेड शोरूमों के अलावा मल्टीनेशनल कंपनियों के कार्यालय भी हैं। सेक्टर-17 में करीब 4 करोड़ रुपये की लागत का मल्टीलेजर शो भी लगा हुआ है। पार्किंग की हालत तो सुधार दो सेक्टर-17 में पार्किग की हालत सुधारने के लिए कोई प्रयास नहीं किया गया है। अगर दोपहर में कोई घटना हो जाए, तो दमकल विभाग की गाड़ी भीतर नहीं पहुंच पाएगी, पिछले साल भी जब घटना हुई थी, तो इसकी आग कई दिनों तक कर्मचारी बुझाने में लगे रहे थे। सेक्टर-17 में किसी भी इमारत के नीचे वाटर सेफ्टी टैंक भी नहीं है। पार्किग में फायर विभाग की गाड़ियों के लिए कोई अलग से लेन नहीं है।
शहर की प्रमुख इमारतों और बाजारों की चेकिंग की जा रही है। फायर ऑडिट की रिपोर्ट आने के बाद सभी को नोटिस भेजे जाएंगे। अब अगर किसी ने खामियां दूर न की, तो सीलिंग की कार्रवाई भी की जाएगी।
-अनिल गर्ग, चीफ फायर अधिकारी
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