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यूटी में अफसरशाही हावी, प्रशासन निर्णयों में जनप्रतिनिधियों को नहीं करता शामिल

अध्यक्ष बनने के बाद ही अरुण सूद ने प्रशासन की अफसरशाही को आड़े हाथों ले लिया।

By JagranEdited By: Published: Fri, 17 Jan 2020 08:58 PM (IST)Updated: Fri, 17 Jan 2020 08:58 PM (IST)
यूटी में अफसरशाही हावी, प्रशासन निर्णयों में जनप्रतिनिधियों को नहीं करता शामिल
यूटी में अफसरशाही हावी, प्रशासन निर्णयों में जनप्रतिनिधियों को नहीं करता शामिल

राजेश ढल्ल, चंडीगढ़ : अध्यक्ष बनने के बाद ही अरुण सूद ने प्रशासन की अफसरशाही को आड़े हाथों ले लिया। नवनियुक्त अध्यक्ष अरुण सूद का मानना है कि जनता द्वारा चुने गए प्रतिनिधियों को मान-सम्मान मिलना चाहिए, वह उन्हें नहीं मिल रहा है। इसके साथ ही प्रशासन और नगर निगम के फैसलों में जनप्रतिनिधियों की भूमिका होनी चाहिए लेकिन इस चीज का अभी अभाव है। अरुण सूद का यह भी मानना है कि अधिकारियों की जिम्मेदारी काम को लागू करवाना है। प्रतिनिधियों को निर्णय प्रक्रिया में शामिल होना चाहिए, उनका मान-सम्मान बढ़ाने के लिए वे प्रयास करेंगे। प्रतिनिधियों की भागीदारी को सुनिश्चित किया जाए। प्रशासन में लोकतांत्रिक व्यवस्था को बहाल करवाना उनकी प्राथमिकता रहेगी। शहर में अफसरशाही हावी है। चंडीगढ़ में सांसद के बाद नगर निगम के पार्षद होते हैं जोकि जनता द्वारा चुनकर आते हैं। इस मामले को लेकर वे जल्द ही केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद को भी मिलने जा रहे हैं, क्योंकि यूटी के मामलों को वे ही डील करते हैं। इस समय प्रशासन के अधिकारी ही शहर से संबंधित हर नीतिगत फैसले लेते हैं। कई बार तो हमारे लिए निर्णय तक पलट दिए गए

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सूद ने कहा कि कई बार तो ऐसा भी हुआ है कि नगर निगम द्वारा लिए गए फैसलों को प्रशासन के अधिकारियों ने पलट दिया है। अगर प्रतिनिधियों को निर्णायक मंडल में शामिल किया जाएगा तो लोगों के हित में फैसले होंगे। नगर निगम में भी पार्षद रहते हुए सूद का कई बार अधिकारियों और कमिश्नर के साथ टकराव हो चुका है। ऐसे में अध्यक्ष बनने के बाद उनकी भूमिका बढ़ गई है और हर पार्षद भी यह चाहता है कि अफसरशाही पर लगाम लगे। अध्यक्ष के साथ-साथ पार्षदों की भूमिका बखूबी तरीके से निभाउंगा

नवनियुक्त अध्यक्ष अरुण सूद ने कहा कि वे नगर निगम में पार्षद की भी भूमिका निभाएंगे। अभी नगर निगम के चुनाव अगले साल होने हैं। ऐसे में वे नहीं चाहते कि वह पार्षदशिप से इस्तीफा दे दें। इससे लोगों पर भी बोझ पड़ता है। इसकी जरूरत नहीं है। वे नहीं चाहते कि उपचुनाव हो। ऐसे में वह अध्यक्ष के साथ-साथ पार्षद की भूमिका बखूबी तरीके से निभाएंगे। क्या अध्यक्ष रहते हुए फिर से चुनाव लड़ेंगे। सवाल के जवाब में सूद ने कहा कि अभी इस बारे में वह कुछ नहीं कह सकते। यह काल्पनिक सवाल है। मालूम हो कि सूद सेक्टर-37 और 38 से पार्षद हैं।


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