जिंदगी के बुरे अनुभव भी लिखे हैं किताब में
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : जरूरी नहीं लेखनी सुंदरता पर ही आधारित हो। ये कड़वी भी हो सकती है, ि
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : जरूरी नहीं लेखनी सुंदरता पर ही आधारित हो। ये कड़वी भी हो सकती है, किंतु सत्य। ऐसी ही लेखनी मेरी रही। जिसका विषय ही है कि जो बोले सो गद्दार। इसमें जिंदगी के वो बुरे अनुभव है, जो मैं समाज के साथ जरूर साझा करना चाहता हूं। इसलिए इसका विषय भी ऐसा ही चुना। एनएस रतन ने कुछ इन्हीं शब्दों में अपनी किताब जो बोले सो गद्दार पर बातचीत की। उनकी पुस्तक का विमोचन साहित्यिक विचार मंच द्वारा किया गया। इस दौरान काव्य गोष्ठी का भी आयोजन हुआ। कार्यक्रम की अध्यक्षता बलविंदर सिंह ने की। साहित्यकार एनएस रतन ने बताया कि यह उनकी यह 11वीं पुस्तक है। इससे पहले इनकी तीन काव्य, तीन लघु कथाओं और एक बायोग्राफी की पुस्तक प्रकाशित हो चुकी है। यह पुस्तक करतन कतरन यादें की कड़ी की चौथी पुस्तक है। इसमें उन्होंने निजी जीवन से जुड़े वास्तविक और कटु अनुभवों के 26 संस्मरण लिखे हैं। घर नजर आता है ऐसा बेटियां जाने के बाद
लोकार्पण के बाद काव्य गोष्ठी का आयोजन किया गया। इस गोष्ठी की शुरुआत केके नंदा ने अपनी रचना -घर नजर आता है ऐसा बेटिया जाने के बाद जैसे गुलशन हो खिजा फूल झड़ जाने के बाद.. से की। इसके बाद वरिष्ठ गजलकार अमरजीत अमर ने दो गजलें सुनाईं। एक गजल कुछ इस तरह से थी-सुना तो था करिश्मा हो गया, मगर शैतान जिंदा हो गया..। इसके अलावा प्रसिद्ध रंगकर्मी विजय कपूर ने तुम्हें भूलना..,अंतहीन यात्रा.., सुनहरी चादर गड़बड़.., क्यों नहीं काटता. आदि रचनाएं सुनाई जिनकी सभी ने भरपूर सराहना की। सुभाष शर्मा की पंजाबी रचना- न करो मैंनूं बाहर महफिलों..भी काफी असरदार रही। अंत में केके नंदा ने अपनी कहानी सुनाई और एनएस रतन ने अपनी नई पुस्तक से एक संस्मरण सुनाया, जिसे सभी ने खूब सराहा। इस गोष्ठी में नई रचनाओं पर खुलकर बात भी हुई और साहित्यकार एनएस रतन की पुस्तक पर भी चर्चा हुई।