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पीजीआइ में थैलेसेमिक चैरिटेबल ट्रस्ट के 202वें रक्तदान शिविर में 63 लोगों ने किया महादान

शिविर में बताया गया कि थैलेसेमिक एक जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर बीमारी है। जोकि एनिमिया का खतरा बढ़ाती है। ऐसे थैलेसेमिक से ग्रस्त मरीजों को हर 15 से 20 दिन के बीच रेगुलर ब्लड ट्रासफ्यूजन के जरिये हीमोग्लोबिन लेवल व्यवस्थित रखना चाहिए।

By Edited By: Published: Mon, 26 Oct 2020 12:30 PM (IST)Updated: Mon, 26 Oct 2020 12:30 PM (IST)
पीजीआइ में थैलेसेमिक चैरिटेबल ट्रस्ट ने रक्तदान शिविर का आयोजन किया। (जेएनएन)

चंडीगढ़, जेएनएन। पीजीआइ में थैलेसेमिक चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से सोमवार को 202वीं बार रक्तदान शिविर का आयोजन किया गया। इस रक्तदान शिविर में 63 लोगों ने रक्तदान किया। पीजीआइ के डिपार्टमेंट ऑफ न्यूरोलॉजी के प्रो. डॉ. परमप्रीत सिंह खरबंदा ने रक्तदान शिविर का उद्घाटन किया।

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इस दौरान रक्तदान शिविर में पिछले 35 साल से थैलेसेमिक मरीजों के लिए रक्तदान कर रहे वॉलंटियर्स को प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया और उनके इस नेक कार्य में सहयोग देने के लिए हौसला अफजाई की गई। ट्रस्ट की ओर से लॉकडाउन और कोरोना महामारी के दौरान 19 रक्तदान शिविर आयोजित किए गए। पीजीआइ के डिपार्टमेंट ऑफ ब्लड ट्रासफ्यूजन के एसोसिएट प्रो. डॉ. हरि कृष्ण धवन ने शिविर में आए वॉलंटियर्स को सम्मानित किया।

ट्रस्ट की ओर से पीजीआइ और जीएमसीएच -32 में की गई है डे केयर की व्यवस्था

थैलेसेमिक एक जेनेटिक ब्लड डिसऑर्डर बीमारी है। जोकि एनिमिया का खतरा बढ़ाती है। ऐसे थैलेसेमिक से ग्रस्त मरीजों को हर 15 से 20 दिन के बीच रेगुलर ब्लड ट्रासफ्यूजन के जरिये हीमोग्लोबिन लेवल व्यवस्थित रखना चाहिए। थैलेसेमिक चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से पीजीआइ और जीएमसीएच सेक्टर -32 में डे केयर की व्यवस्था की गई है।

यहां रोजाना 450 थैलेसेमिक मरीजों के शरीर में खून बदला जाता है और इसके अलावा फ्री मेडिसिन उपलब्ध कराई जाती है। थैलेसेमिक चैरिटेबल ट्रस्ट के मेंबर सेक्रेटरी राजिंदर कालरा ने इस दौरान पीजीआइ के ब्लड ट्रासफ्यूजन मेडिसिन के हेड प्रो. डॉ. रत्ति राम का धन्यवाद व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि आगे भी उनका यह प्रयास मरीजों के प्रति जारी रहेगा।


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