तबला वादन की खूबसूरती भारत ले आई
तबला, जिसका जन्म ही भारत में हुआ।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : तबला, जिसका जन्म ही भारत में हुआ। ऐसे में इसे सीखने के लिए आपको इसी देश में आना पड़ेगा और रहना भी पड़ेगा। तबला वादक फ्लोरियन ने कुछ इसी अंदाज में अपने तबला वादन पर बात की। प्राचीन कला केंद्र-35 द्वारा आयोजित सांस्कृतिक संध्या में फ्लोरियन कोलकाता के हंसवीणा वादक शुभाशीष बोस के साथ प्रस्तुति देने पहुंचे। फ्लोरियन ने कहा कि उनके परिवार में शुरू से ही संगीत को लेकर काफी जागरूकता थी। परिवार में कई लोग संगीत से जुड़े थे, ऐसे में पहली बार मैंने भारतीय शास्त्रीय संगीत सुना। जिसमें तबले को लेकर मैं सबसे ज्यादा आकर्षित हुआ। यहां आकर पंडित उड़ाई मजूमदार से तबला वादन सीखा। इसके बाद सुमंत्र गुहा ने भी इसकी बारीकियां सिखाई। मगर, एक बार भारत आया, तो फिर हर महीने यहां कोई न कोई कार्यक्रम मुझे खींचने लगा। जिसकी वजह से भारत के साथ एक खूबसूरत रिश्ता बंध गया। शहीदों को श्रद्धांजलि देकर शुरू की प्रस्तुति
प्राचीन कला केंद्र-18 में आयोजित प्रस्तुति से पहले केंद्र की रजिस्ट्रार डॉ. शोभा कौसर और सचिव सजल कौसर ने पुलवामा में शहीद जवानों को श्रद्धांजलि दी और कहा कि ये कार्यक्रम आज उन्हीं की याद में है। कार्यक्रम का आरंभ फ्लोरियन ने तीन ताल में गत, कायदा, रेला और तिहाइयां की प्रस्तुति से किया। उनके साथ हारमोनियम पर राकेश कुमार ने संगत की। इसके बाद हंसवीणा पर शुभाशीष बोस ने प्रस्तुति दी। उन्होंने हंसवीणा पर राग रागेश्री में अलाप, जोड़ से कार्यक्रम शुरू किया। इसके बाद मध्य लय में एक ताल और द्रुत तीन ताल में प्रस्तुत किया। अंत में शुभाशीष ने राग मिश्र पहाड़ी पर आधारित दादरा की धुन प्रस्तुत की। उनके साथ तबले पर फ्लोरियन ने संगत की। कार्यक्रम के अंत में डॉ. कौसर ने कलाकारों को सम्मानित किया।