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आ गई फैसले की घड़ी: रोड रेज केस में सिद्धू पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय रखा सुर‍क्षित

पंजाब के कैबिनेट मंत्री और पूर्व क्रिकेटर नवजाेत सिंह सिद्धू के 1988 के रोड रेज केस में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई पूरी हो गई है। सुप्रीम कोर्ट ने अपना निर्णय सुरक्षित रखा है।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Wed, 18 Apr 2018 02:12 PM (IST)Updated: Thu, 19 Apr 2018 08:50 PM (IST)
आ गई फैसले की घड़ी: रोड रेज केस में सिद्धू पर सुप्रीम कोर्ट ने निर्णय रखा सुर‍क्षित

 जेएनएन, चंडीगढ़/नई दिल्‍ली। सुप्रीम कोर्ट में बुधवार को पंजाब के कैबिनेट मंत्री नवजोत सिं‍ह सिद्धू की 1988 में पटियाला रोड रेज मामले में दायर अपील पर सुनवाई पूरी हो गई। सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले में अपना फैसला सुरक्षित रख लिया। इससे पहले सिद्धू के वकील ने अपना पक्ष रखा।

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सिद्धू को इस मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने तीन साल की कैद और एक लाख रुपये जुर्माने की सजा सुनाई थी। इस सजा के खिलाफ सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी। इसके बाद सुप्रीम कोर्ट ने सजा पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इसके बाद अब इस पर सुनवाई शुरू हुई।

वकील आरएस चीमा ने कहा कि हाईकोर्ट ने इस मामले में सिद्धू को सजा सुनाने समय साक्ष्‍यों पर ध्‍यान नहीं दिया। उन्‍होंने दलील दी कि सुप्रीम कोर्ट में दलील दी कि गैर इरादतन हत्या के  मामले में पंजाब एवं हरियाणा हाई कोर्ट ने उनके खिलाफ जो फैसला दिया, वह चिकित्सकीय साक्ष्यों पर नहीं था। मामले की सुनवाई आज भी जारी रहेगी।

यह मामला पिछली सुनवाई में पंजाब सरकार के वकील के सिद्धू को दोषी ठहराने पर सुर्खियों में आ गया था। इसके बाद पंजाब की राजन‍ीति गर्मा गई और कैप्‍टन अमरिंदर सिंह को सफाई देेनी पड़ी। विपक्षी दलों ने सिद्धू का इस्‍तीफे की मांग की तो कैप्‍टन ने इसे नकार दिया। दूसरी आेर, रोड रेज की घटना में मारे गए व्‍यक्ति के परिवार के सक्रिय होने से सिद्धू की मुश्किलें बढ़ गईं।

जस्टिस जे चेलेमेश्वर व एसके कौल की बेंच के समक्ष उनके वकील आरएस चीमा ने कहा कि मेडिकल रिपोर्ट से जुड़े साक्ष्यों में कई कमियां थीं। दूसरे पक्ष के गवाहों ने ट्रायल कोर्ट के समक्ष अलग-अलग बयान दिए थे। उनका कहना था कि छह विशेषज्ञ चिकित्सकों के पैनल को जिम्मा दिया गया था कि वह मौत के कारण पर अपनी राय दे, लेकिन इनमें से कुछ को गवाही के लिए नहीं बुलाया गया। केवल दो चिकित्सकों की ही गवाही दर्ज की गई।

सरकार की तरफ से पेश वकील ने कहा कि इस बात का कोई सुबूत नहीं है कि पटियाला निवासी गुरनाम सिंह की मौत दिल का दौरा पडऩे से हुई थी, न कि ब्रेन हैमरेज से। सिद्धू को जानबूझकर नहीं फंसाया गया है। राज्य सरकार ने कहा कि निचली अदालत का फैसला रद करने का हाई कोर्ट का आदेश सही है। सिद्धू ने गुरनाम सिंह के सिर पर मुक्का मारा था जिससे ब्रेन हेमरेज में उनकी मौत हुई थी।

इस मामले पर अब पूरे पंजाब की नजरें टिक गई हैं।12 अप्रैल काे हुई सुनवाई में सिद्धू काे करारा झटका लगा था। पंजाब सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में सिद्धू को रोडरेज की घटना में दोषी बताया था। पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि 2006 में हाईकोर्ट से सिद्धू को मिली तीन साल कैद की सजा के फैसले को बरकरार रखा जाए। पंजाब सरकार के वकील ने कहा कि इस मामले में शामिल नहीं होने का नवजोत सिंह सिद्धू का बयान झूठा था।

बता दें कि पंजाब के मंत्री और पूर्व क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू के ख़िलाफ़ ग़ैरइरादतन हत्या का मामला है। उनका पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट ने तीन साल कैद की सजा सुनाई थी। इसके बाद सिद्धू ने सजा के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में अपील की थी।

यह है पूरा मामला

1988 में सिद्धू का पटियाला में कार से जाते समय गुरनाम सिंह नामक बुजर्ग व्‍यक्ति से झगड़ा हो गया। आरोप है कि उनके बीच हाथापाई भी हुई और बाद में गुरनाम सिंह की मौत हो गई। इसके बाद पुलिस ने सिद्धू और उनके दोस्‍त रुपिंदर सिंह सिद्धू के खिलाफ गैर इरादतन हत्‍या का मामला दर्ज किया। बाद में ट्रायल कोर्ट ने सिद्धू को बरी कर दिया।

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इसके बाद मामला पंजाब एवं हाईकोर्ट में पहुंचा। 2006 में हाई कोर्ट ने नवजोत सिंह सिद्धू और रुपिंदर सिंह को दोषी करार दिया और तीन साल कैद की सजा सुनाई। उस समय सिद्धू अमृतसर से भाजपा के सांसद थे और उनको लोकसभा की सदस्‍यता से इस्‍तीफा देना पड़ा था। सिद्धू ने सुप्रीम कोर्ट में अपील की और सुप्रीम कोर्ट ने सिद्धू की सजा पर अंतरिम रोक लगा दी थी। इसके बाद हुए उपचुनाव में सिद्धू ए‍क बार फिर अमृतसर से सांसद चुने गए।

राहुल, कैप्टन से इंसाफ मांगने का मैसेज वायरल

दूसरी ओर, सोमवार से पटियाला सहित कई इलाकों में रोड रेज केस में पीडि़त परिवार का इंसाफ पाने के लिए बनाया एक मैसेज सोशल साइट्स पर वायरल हो रहा है। मैसेज में परिवार की ओर से कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी व पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह से इंसाफ की मांग की गई है।

मैसेज में लिखा है कि राहुल गांधी ने कुछ दिन पहले दिल्ली में इंसाफ दिलाने का मार्च निकालते हुए भाषण भी दिया था। परिवार उम्मीद करता है कि राहुल गांधी पीडि़त परिवार को इंसाफ दिलाने में मदद करेंगे। मैसेज में सिद्धू पर आरोप लगाए गए हैं कि वह राजनीतिक पावर का इस्तेमाल करते हुए केस वापस लेने का दवाब बना रहे हैं।  धमकियों व पैसों का सहारा लिया जा रहा है लेकिन परिवार किसी भी तरह की धमकी के आगे नहीं झुकेगा।

घर पर ताला, नहीं उठा रहे फोन

मैसेज के अंत में परिवार के सदस्य नरदविंदर सिंह का मोबाइल नंबर भी लिखा गया है लेकिन इस नंबर पर कोई कॉल नहीं उठा रहा है। वहीं परिवार के घर पर भी ताला लगा हुआ है।

पुरानी क्लिप बन सकती है मुसीबत

दूसरी ओर, इस मामले में एक पुरानी क्लिप से नवजोत सिंह सिद्धू की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। पीडि़त परिवार ने सुप्रीम कोर्ट में इस मामले में एक नई याचिका दाखिल करते हुए कहा है कि साल 2010 में एक निजी चैनल को दिए गए इंटरव्यू में सिद्धू ने यह माना था कि उनसे गलती हुई है। गुरनाम सिंह के परिजनों का अारोप है कि झगड़े के दौरान सिद्धू ने गुरनाम को मुक्का मारा था आैर इससे उनकी मौत हो गई।

परिवार ने इंटरव्यू की सीडी और यू-ट्यूब लिंक दोनों सुप्रीम कोर्ट को सौंपे हैं। यह इंटरव्यू पिछले दिनों एक बार फिर से एक टीवी चैनल पर प्रसारित किया गया। सिद्धू के वकील आरएस चीमा ने इस सुबूत का विरोध करते हुए कहा है कि ऐसी अर्जी अब नहीं सुनी जा सकती, जबकि इस मामले का ट्रायल खत्म हो चुका है। सुप्रीम कोर्ट में इस पर अपील विचाराधीन है। इसे ट्रायल कोर्ट या फिर पंजाब और हरियाणा हाईकोर्ट में दायर किया जाना चाहिए था।

विवाद बढ़ा ताे सिद्धू का दर्द फूट पड़ा था, कहा- अपना दर्द खुद सहूंगा

पिछली सुनवाई में सिद्धू ने पटियाला के रोड रेज मामले में पंजाब सरकार द्वारा सुप्रीम कोर्ट में पेश किए जाने के बाद मामला गर्म हुआ तो सिद्धू का दर्द भी छलक पड़ा था। उन्‍होंने कहा कि कानून की महिमा बड़ी है और वह सर्वोच्‍च है। मैं अपना दर्द ख़ुद सहन करुंगा। मुझे सुप्रीम कोर्ट पर पूरा विश्वास है।

विवाद बढ़ा ताे कैप्‍टन बोले- सुप्रीम कोर्ट में स्टैंड बदल नहीं सकते थे, सिद्धू के इस्‍तीफे की मांग को नकारा

सिद्धू के मामले में पंजाब सरकार के सुप्रीम कोर्ट में रखे पक्ष पर माहौल गर्माया तो मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह को सफाई देनी पडी। उन्‍होंने कहा कि सरकार सुप्रीम कोर्ट में अपना स्टैंड बदल नहीं सकती थी। उन्होंने उम्मीद जताई कि न्यायाधीश सिद्धू के ट्रैक रिकार्ड पर जरूर विचार करेंगे। उन्‍होंने विपक्ष दलों द्वारा सिद्धू के इस्‍तीफा की मांग को भी खारिज किया। उन्‍होंने कहा कि सिद्धू के इस्‍तीफे का कोई सवाल नहीं है। इस मामले में राजनीति नहीं होनी चाहिए।

अकाली दल और भाजपा हमलावर, आप व लोक इंसाफ पार्टी चुप

इस बीच, इस मामले पर शिरोमणि अकाली दल (शिअद) और भाजपा ने सिद्धू पर हमले किए व इस्‍तीफा मांगा है। श‍िअद नेताओं सुने मांग की कि सिद्धू को कैबिनेट से बर्खास्त किया जाए। केंद्रीय मंत्री और शिरोमणि अकाली दल की नेता हरसिमरत कौर बादल ने कहा कि इस मामले में कांग्रेस और उसकी राज्‍य सरकार का पाखंड उजागर हुआ है। जिस व्यक्ति ने एक निर्दोष व्यक्ति को मार डाला, उसे दंडित किया जाना चाहिए।

भाजपा नेताओं ने भी सिद्धू पर निशाना साधा और उनके इस्तीफे की मांग की। पूरे मामले में आम आदमी पार्टी और लोक इंसाफ पार्टी चुप रही। पूरे मामले पर आप नेताओं ने अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। बैंस ब्रदर्स बलविंदर सिंह बैंस और सिमरजीत सिंह बैंस ने भी कोई बयान नहीं दिया है।  


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