चंडीगढ़ के प्राइवेट स्कूलों को बड़ी राहत, बेवसाइट पर बैलेंस शीट अपलोड को लेकर SC ने सुनाया फैसला
चंडीगढ़ के प्राइवेट स्कूलों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ में पंजाब रेगुलेशन आफ फी अनएटेड एजुकेशनल इंस्टीट्यूट एक्ट 2016 लागू होने से इंकार कर दिया है। ऐसे में शहर के 70 से ज्यादा प्राइवेट स्कूलों को इसका फायदा होगा।
सुमेश ठाकुर, चंडीगढ़। चंडीगढ़ के प्राइवेट स्कूलों को सुप्रीम कोर्ट ने बड़ी राहत दी है। सुप्रीम कोर्ट ने चंडीगढ़ में पंजाब रेगुलेशन आफ फी अनएटेड एजुकेशनल इंस्टीट्यूट एक्ट 2016 लागू होने से इंकार करते हुए स्पष्ट किया है कि निजी स्कूलों को बैलेंस शीट दिखाने की जरूरत नहीं है। सर्वोच्च न्यायलय के इस फैसले से चंडीगढ़ के 78 प्राइवेट स्कूलों को लाभ मिलेगा।
सुप्रीम कोर्ट के फैसले से जहां पर इंडिपेडेंड स्कूल एसोसिएशन खुश है, लेकिन प्राइवेट स्कूल पेरेंट्स एसोसिएशन ने फैसले पर नाराजगी जताई है। उल्लेखनीय है कि अप्रैल 2018 में चंडीगढ़ शिक्षा विभाग ने पंजाब रेगुलेशन फी एक्ट 2016 को नोटिफाई करते हुए प्राइवेट स्कूलों को बैलेंस शीट स्कूल वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश जारी किए थे। निर्देश के खिलाफ प्राइवेट स्कूल पहले पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट में गए थे। हाई कोर्ट ने फैसला शिक्षा विभाग के पक्ष में दिया था। हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती देते हुए प्राइवेट स्कूल एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट का रुख किया, जिसमें हाई कोर्ट के फैसले को बदल कर पंजाब फी एक्ट चंडीगढ़ में लागू नहीं होने का फैसला सुनाया गया है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि बैलेंस शीट जैसी जानकारी प्राइवेट स्कूल तभी वेबसाइट पर अपलोड करेंगे जब संसद या विधानसभा में बिल पास होगा इसके अलावा फीस को वेबसाइट पर अपलोड करने के निर्देश कोई नहीं दे सकता।
हाई कोर्ट के निर्देशानुसार बढ़ाई जाती फीस, बैलेंस शीट दिखाने का अधिकार नहीं
इंडिपेडेंट स्कूल एसोसिएशन के प्रेसिडेंट एचएस मामिक ने बताया कि निजी स्कूलों की तरफ से हर वर्ष पंजाब एंड हरियाणा हाई कोर्ट के निर्देशानुसार फीस में बढ़ोतरी की जाती है। फीस बढ़ोतरी के साथ प्राइवेट स्कूल स्टाफ के वेतन में बढ़ोतरी और सुविधाओं को बेहतर करते हैं। प्राइवेट स्कूलों ने विद्यार्थियों को पढ़ाने के अलावा स्कूल को मेंटेंन करने का कार्य भी फीस से ही करना होता है जो कि प्राइवेट स्कूलों का निजी मामला होता है। ऐसे में लोगों को स्कूल की आमदन और खर्च की जानकारी देना जायज नहीं है। आम व्यक्ति को स्कूल के निजी व्यवहार से कोई फर्क नहीं होना चाहिए।