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अपनों के निशाने पर आए सिद्धू को मिला जाखड़ का साथ

-प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, सिद्धू ने नहीं तोड़ा अनुशासन -कहा, बाजवा और सिद्धू दोनों ही

By JagranEdited By: Published: Mon, 23 Jul 2018 08:37 PM (IST)Updated: Mon, 23 Jul 2018 08:37 PM (IST)
अपनों के निशाने पर आए सिद्धू को मिला जाखड़ का साथ
अपनों के निशाने पर आए सिद्धू को मिला जाखड़ का साथ

-प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष ने कहा, सिद्धू ने नहीं तोड़ा अनुशासन

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-कहा, बाजवा और सिद्धू दोनों ही पार्टी के वरिष्ठ नेता

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कैलाश नाथ, चंडीगढ़: अपनों के निशाने पर आ चुके नवजोत सिंह सिद्धू को गुरदासपुर से सांसद एवं प्रदेश काग्रेस अध्यक्ष सुनील जाखड़ का साथ मिला है। कांग्रेस पार्टी में आने के बाद से ही सिद्धू अक्सर चर्चा का केंद्र बने रहते हैं। सिद्धू आए दिन शिरोमणि अकाली दल के अध्यक्ष सुखबीर बादल के खिलाफ मोर्चा खोल देते हैं, लेकिन वह इस क्रम में अपनी पार्टी के नेताओं के भी निशाने पर आ जाते हैं। कभी रेत खनन पॉलिसी तो कभी अवैध कॉलोनियों को लेकर सिद्धू अपने ही कैबिनेट साथियों से उलझे नजर आते हैं। इस बीच सिद्धू और ग्रामीण विकास मंत्री तृप्त राजिंदर सिंह बाजवा के बीच वाक युद्ध चल रहा है।

भले ही दोनों कैबिनेट मंत्रियों के बयान चर्चा का विषय बने हुए हों और पार्टी का ही एक वर्ग इस बात पर जोर दे रहा हो कि नवजोत सिंह सिद्धू अनुशासनहीनता कर रहे हैं, लेकिन सुनील जाखड़ ने सिद्धू का समर्थन किया है। जाखड़ का कहना है कि सिद्धू ने कोई अनुशासन नहीं तोड़ा है। यह विवाद तब शुरू हुआ, जब सिद्धू ने एक साक्षात्कार में कहा कि मैं पंजाब को कुत्तों के हवाले नहीं छोड़ सकता। सिद्धू का यह बयान ऐसे समय में आया, जब अवैध कॉलोनियों को लेकर सिद्धू व बाजवा के बीच मतभेद उभर कर सामने आए थे। ऐसे में बाजवा ने भी पटलवार करते हुए कहा कि सिद्धू को स्पष्ट करना चाहिए कि आखिर उन्होंने कुत्ता किसे कहा। यह विवाद अभी शांत नहीं हुआ था कि पार्टी में ही यह मांग उठने लगी की सिद्धू अनुशासन तोड़ रहे हैं। इससे पहले भी बाजवा और सिद्धू के बीच रेत खनन पॉलिसी को लेकर मतभेद उभर कर सामने आए थे। अंग्रेजी के मुहावरे का गलत अर्थ निकाला

सुनील जाखड़ का कहना है कि चूंकि सिद्धू ने इंग्लिश का मुहावरा इस्तेमाल किया था- 'आइ विल नॉट अलाओ दि स्टेट टू गो टू डॉग्स।' इसका हिंदी अनुवाद कर इसे गलत तरीके से परिभाषित किया गया। सिद्धू और बाजवा दोनों ही वरिष्ठ नेता हैं। इस पूरे मामले में अनुशासन भंग होने जैसी कोई बात नहीं है।' गौरतलब है कि सिद्धू ने कहा था कि वह कैबिनेट में अकेले पड़ जाते हैं। सिद्धू की यह व्यथा बहुत पुरानी है। चूंकि सिद्धू 2017 के विधानसभा चुनाव से पहले कांग्रेस में आए थे और कैबिनेट में नंबर तीन की पोजीशन में हैं। ऐसे में कई कांग्रेसी वरिष्ठ नेता सिद्धू की इस पोजीशन को पचा नहीं पा रहे है। वहीं, सिद्धू की ओर से बेबाक तरीके से अपनी बाद रखने की शैली भी कई बार कांग्रेसियों को नागवार गुजर रही है।


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