सरकारी स्कूलों के बच्चे मिड-डे मील में पिएंगे दूध, नहीं मिलेगा अंडा व केला Chandigarh News
शहर के सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों को अब मिड-डे मील योजना के तहत सिर्फ दूध ही मिलेगा। इससे एक बार फिर शिक्षा विभाग की नाकामी सबके सामने आई है।
चंडीगढ़, [वैभव शर्मा]। शहर में करीब 115 सरकारी स्कूल हैं, जिनमें आठवीं क्लास तक स्टूडेंट्स को मिड डे मील के तहत खाना दिया जाता है। तत्कालिन शिक्षा सचिव बंसीलाल शर्मा ने स्कूलों में पढ़ रहें स्टूडेंट्स की सेहत को ध्यान में रखते हुए बड़ा फैसला लिया था। इस फैसले के अंतर्गत शहर के सरकारी स्कूलों में बच्चों को मिड डे मील के तहत सुबह के समय अंडा, दूध और केला देने का प्रावधान था। लेकिन अफसोस स्टूडेंट्स को इस लाभ नहीं मिल सकेगा।
शिक्षा विभाग इस योजना को आगे बढ़ाने में पूरी तरह से विफल साबित हो रहा है। शहर के सभी सरकारी स्कूलों में बच्चों को अब मिड-डे मील योजना के तहत सिर्फ दूध ही मिलेगा। इससे एक बार फिर शिक्षा विभाग की नाकामी सबके सामने आई है।
सूत्रों के अनुसार शिक्षा विभाग को केले और अंडे उपलब्ध करवाने के लिए कोई उचित टेंडर नहीं मिला। जिस वजह से अब छात्रों को केले और अंडों की बजाय सिर्फ दूध ही दिया जाएगा। हालांकि शिक्षा विभाग ने केले और अंडों के टेंडर के लिए काफी जोर लगाया, लेकिन सफल नहीं हुआ। इसका खामियाजा सिर्फ स्टूडेंट्स को भुगतना पड़ेगा।
अंडे दिए जाने का शुरू हो गया था विरोध
शिक्षा विभाग द्वारा जब इस योजना को लागू करने का ऐलान किया गया था, उसी समय इसका विरोध भी होना शुरू हो गया था। जिन बच्चों के पेरेंट्स वेजिटेरियन, उन्होंने शिक्षा विभाग के आला अधिकारियों के ऑफिस जाकर और उन्हें पत्र लिखकर अंडे न दिए की वकालत की थी। उन्होंने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि बच्चों को उबले अंडे मिलने से स्कूलों में अब सभी बच्चों का खाना एक ही रसोई में बनेगा। जो उन्हें पसंद नहीं था।
केलों की क्वालिटी पर दिया जा रहा ज्यादा जोर
स्कूलों में रोजाना करीब 45 हजार बच्चों को मिड-डे मील उपलब्ध करवाया जाता है। मिड-डे मील के तहत केले खाने वाले बच्चों की संख्या अधिक होने के कारण ऐसा भी हो सकता है कि मांग अधिक होने से ठेकेदार एसिड या अन्य कैमिकलों से पकाए गए केले बच्चों को सप्लाई करवाएं। ऐसे में बच्चों की सेहत से खिलवाड़ भी हो सकता है। वहीं केलों के लिए विभाग को अभी तक कोई अच्छी गुणवता वाले केले सही रेट में उपलब्ध करवाने के लिए टेंडर नहीं मिला है।
बच्चों को वेरका का दूध देने पर विचार
सूत्रों के अनुसार शिक्षा विभाग की ओर से सभी स्कूलों में अब मिड डे मील योजना के तहत वेरका कंपनी का दूध दिया जाएगा। इसलिए इस कंपनी को सभी का भरोसा प्राप्त है। इसीलिए इस कंपनी को टेंडर दिया गया है। इसके अलावा भी अन्य कई कंपनियों ने दूध सप्लाई करने के लिए टेंडर दिए हैं, लेकिन वेरका को भरोसमंद कंपनी माना जा रहा है।
मिड-डे मील योजना के तहत स्कूलों में बच्चों को दूध मिलना जल्द ही शुरू हो जाएगा। इसके लिए टेंडर निकाले गए हैं। लेकिन अभी किसी को ऑर्डर नहीं दिया गया है। अभी प्रक्रिया जारी है।
-रूबिंदरजीत सिंह बराड़, डायरेक्टर स्कूल एजूकेशन।
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