स्टूडेंट्स बन सकेंगे क्राइम इन्वेस्टीगेशन एक्सपर्ट, पीयू में शुरू हो रही इसकी मास्टर डिग्री
पचास प्रतिशत अंकों के साथ पास कोई भी साइंस ग्रेजुएट अब क्राइम इनवेस्टीगेन एक्सपर्ट बन सकता है।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ :
पचास प्रतिशत अंकों के साथ पास कोई भी साइंस ग्रेजुएट अब क्राइम इनवेस्टीगेशन एक्सपर्ट बन सकता है। पंजाब यूनिवर्सिटी में सत्र 2019-20 से फॉरेसिक साइंस की मास्टर डिग्री कर रही है। पीयू में मौजूद फॉरेसिक साइंस एंड क्रिमिनोलॉजी डिपार्टमेंट की तरफ से इस कोर्स को लाच किया गया है। इसके चार सेमेस्टर रहेंगे।
हेड ऑफ द डिपार्टमेंट डॉ. श्वेता शर्मा ने बताया कि क्राइम रेट तेजी से बढ़ रहा है, जिसके कारण इसे ट्रेस करने वाले एक्सपर्ट की संख्या में भी बढ़ोतरी होना जरूरी है। शहर में इससे पहले इस प्रकार का कोई कोर्स नहीं कराया जाता था लेकिन अब यह कोर्स मात्र दो सालों से पूरा होगा। यह रहेगा स्लेबस-
दो साल की डिग्री में चार सेमेस्टर होंगे। पहले तीन सेमेस्टर को स्टूडेंट्स को फिजिक्स, कैमिस्ट्री के प्रयोगों की जानकारी दी जाएगी। यह जानकारी उन्हें केस से जोड़कर कराई जाएगी ताकि उन्हें बारीकियां समझ आ सकें। आखिरी सेमेस्टर में स्टूडेंटस को फ्रिंगर प्रिंट, ब्लड सैंपल और अन्य क्लू को इकट्ठा करने और उस पर प्रयोग करने के बारे में जानकारी दी जाएगी। लिप प्रिंट भी होगा शुरू
डिपार्टमेंट के प्रोफेसर विशाल ने बताया कि अभी तक फॉरेसिक साइंस में प्रिंगर प्रिंट लिए जाते थे लेकिन अब जल्द ही लिप प्रिंट लेना भी शुरू हो जाएगा। उन्होंने कहा कि लिप प्रिंट के लिए स्पॉट पर पड़े हुए गिलास या फिर अन्य ऐसी वस्तु जिसे इंसान के लिप्स से छुआ जा सके उसके प्रिंट लिए जाएंगे। लिप प्रिंट पर रिसर्च लगभग पूरी हो चुकी है और इसकी परिणाम भी 99 प्रतिशत रहा है।