बाल भवन में 'एक और द्रोणाचार्य' नाटक का मंचन, आधुनिक शिक्षकों दशा दिखाई
व्यवस्था और कोड़ों से पीटा गया द्रोणाचार्य है तू..। यह संवाद नाटक एक और द्रोणाचार्य का है। इस नाटक का मंचन रविवार को बाल भवन सेक्टर-23 में हुआ।
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़ : व्यवस्था और कोड़ों से पीटा गया द्रोणाचार्य है तू..। यह संवाद नाटक एक और द्रोणाचार्य का है। इस नाटक का मंचन रविवार को बाल भवन सेक्टर-23 में हुआ। द्रोणाचार्य के रूप में आज के दौर के टीचर को दर्शाया गया। द्रोण बुद्धिजीवी होने के बाद भी राजा की बात मानते हैं और सही और गलत का फैसला नहीं कर पाते। इसी को नाटक में पेश किया गया। नाटक का मुख्य पात्र अरविंद है, जो कि बुद्धिजीवी है और अपने आदर्श और सिद्धांतों का बहुत पक्का है। उसी समय उसकी मुलाकात विमलेंदु नाम के टीचर की आत्मा से होती है जो कि मर चुका है। वह अरविंद को समझाता है कि तुम्हें शासन के अधीन रहकर कुत्ते की तरह काम करना है। यदि तूने अपने आदर्श और सिद्धांत समाज में लागू करने का प्रयास किया तो तेरा भी मेरे जैसा हाल होगा। मैं भी आदर्शवादी था, क्योंकि मैं बुद्धिजीवी था। मुझे मेरे बोलने की सजा मौत मिली। तेरे घर में तेरा परिवार है। तू खुद को बचाने के साथ-साथ पूरे परिवार के जीवन को बचा रहा है, लेकिन अरविंद उसकी बात नहीं मानता।
इसके बाद वह उसे महाभारत के युद्ध की कहानी सुनाता है और कहता है कि युद्ध गुरु द्रोणाचार्य रोक सकते थे, क्योंकि वह पांडवों और कौरवों के गुरु थे, लेकिन उसने राजा के आगे बोलना ठीक नहीं समझा जिसके कारण महाभारत हुई और लाखों लोग मारे गए। यदि द्रोण उस समय राजा के आगे नहीं झुका होता तो हम आदर्शो के संग जी सकते थे लेकिन उन्होंने ऐसा नहीं किया जिसके कारण हमें द्रोण की परंपरा को निभाना होगा। नाटक में आधुनिक अध्यापक पर तीखा व्यंग्य किया गया जो कि पढ़े-लिखे होने के बाद भी प्रशासन में बैठे कम पढ़े-लिखे और अनपढ़ नेताओं के अधीन काम कर रहा है। यह द्रोण की परंपरा है जिसके कारण टीचर सिर नहीं उठा सकता लेकिन समाज को इस बात को समझना होगा। समाज को द्रोण को सशक्त बनाना होगा। नाटक का निर्देशन सचिन शर्मा ने संवाद थिएटर ग्रुप के तहत किया।