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छत पर बिना खर्च लगेगा सोलर प्रोजेक्ट, बदले में मिलेगी सस्ती बिजली

मॉडल रूफटॉप सोलर सिटी के रूप में पहचान बना चुका है।

By JagranEdited By: Published: Thu, 13 Feb 2020 10:45 PM (IST)Updated: Thu, 13 Feb 2020 10:45 PM (IST)
छत पर बिना खर्च लगेगा सोलर प्रोजेक्ट, बदले में मिलेगी सस्ती बिजली
छत पर बिना खर्च लगेगा सोलर प्रोजेक्ट, बदले में मिलेगी सस्ती बिजली

बलवान करिवाल, चंडीगढ़ : सीमित एरिया होने के बावजूद चंडीगढ़ देश में मॉडल रूफटॉप सोलर सिटी के रूप में पहचान बना चुका है। अब इसका रिन्यूअल एनर्जी सर्विस कंपनी (रेस्को) मॉडल दूसरे शहरों के लिए भी नई मिसाल होगा। इसमें बिना कोई खर्च घर भी बिजली से रोशन होगा और कमाई भी होगी। यह प्रोजेक्ट उन लोगों के लिए सबसे अच्छा है जो सोलर प्रोजेक्ट तो लगवाना चाहते हैं लेकिन इन्वेस्टमेंट नहीं करना चाहते। चंडीगढ़ रिन्यूअल एनर्जी एंड साइंस एंड टेक्नोलॉजी प्रमोशन सोसायटी (क्रेस्ट) शहर में सोलर प्लांट लगाने की नोडल एजेंसी है। इस एजेंसी ने ही नए मॉडल को अप्रूवल दी है। इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट से फाइल क्लीयर होते ही इसके तहत प्रोजेक्ट लगने लगेंगे। क्रेस्ट के इस मॉडल के तहत तीन या इससे अधिक कंपनियों को पैनल में शामिल किया जाएगा। जो प्लांट लगाएंगी। इसमें बिल्डिंग ऑनर को सिर्फ अपनी छत पर प्रोजेक्ट लगाने की मंजूरी देनी होगी। प्रोजेक्ट की कैपिटल इन्वेस्टमेंट कंपनी ही करेगी। जो सबसिडी मिलेगी, वह कंपनी की होगी। जितनी भी इलेक्ट्रिसिटी जेनरेट होगी, पहले वह बिल्डिंग को दी जाएगी। यह ज्वाइंट इलेक्ट्रिसिटी रेगुलेटरी कमशीन (जेईआरसी) के निर्धारित टैरिफ से काफी कम रेट होगा। इससे घर का बिल आधे से भी कम हो जाएगा। नेट मीटरिग में इस्तेमाल के बाद अतिरिक्त बिजली ग्रिड को दी जाएगी। जेईआरसी टैरिफ के अनुसार इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट इसका पैसा कंपनी को देगा। 25 साल बाद प्रोजेक्ट पर कंपनी का अधिकार खत्म

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रेस्को के तहत कंपनी और मकान मालिक में एग्रीमेंट होगा। यह एग्रीमेंट 25 साल के लिए होगा। जिसमें प्रोजेक्ट लगाने से लेकर 25 साल तक मेंटेनेंस वर्क भी कंपनी ही करेगी। 25 साल बाद प्रोजेक्ट मकान मालिक का हो जाएगा। इस पर कंपनी का कोई अधिकारी नहीं रहेगा। सबसिडी लेना भी कंपनी की ही जिम्मेदारी होगी। 2022 तक 69 मेगावाट जेनरेशन का लक्ष्य

मिनिस्ट्री ऑफ न्यू एंड रिन्यूअल एनर्जी (एमएनआरई) ने 2022 तक सोलर जेनरेशन का लक्ष्य 50 से बढ़ाकर 69 मेगावाट कर दिया है। अभी जितने भी सोलर प्रोजेक्ट लगे हैं उनसे 34 मेगावाट सोलर एनर्जी जेनरेट हो रही है। लगभग सभी गवर्नमेंट बिल्डिंग सोलर प्रोजेक्ट से कवर हो चुकी हैं। यूटी प्रशासन ने 500 स्क्वेयर यार्ड या इससे अधिक एरिया के घरों और बिल्डिंग पर सोलर प्रोजेक्ट लगवाना अनिवार्य कर रखा है। तीन हजार से अधिक घरों पर लग भी चुका है। लेकिन कई बार समय सीमा बढ़ाने के बाद भी काफी मकान ऐसे हैं जिन्होंने प्रोजेक्ट नहीं लगवाया। इसका एक कारण यह भी है कि मकान मालिक प्रोजेक्ट में अपना पैसा इन्वेस्ट नहीं करना चाहते। इसके लिए ही क्रेस्ट ने रेस्को मॉडल शुरू किया है। रेस्को मॉडल में यह खास

-बिल्डिंग ऑनर को छत पर सोलर प्लांट लगाने की मंजूरी देनी होगी।

-प्रोजेक्ट की पूरी इन्वेस्टमेंट कंपनी ही करेगी।

-गवर्नमेंट सोलर प्रोजेक्ट पर सब्सिडी कंपनी को जारी करेगी।

-बिल्डिंग ऑनर को इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट के निर्धारित टैरिफ की तुलना में कम रेट में बिजली मिलेगी।

-जितनी बिजली बचेगी उसे इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट की ग्रिड में दिया जाएगा। इसके लिए इलेक्ट्रिसिटी डिपार्टमेंट जेईआरसी द्वारा तय टैरिफ अनुसार कंपनी को भुगतान करेगा।

-25 साल के बाद सोलर प्लांट बिल्डिंग ऑनर का हो जाएगा। कंपनी का इससे कोई लेना-देना नहीं रहेगा। इन घरों पर सोलर प्रोजेक्ट अनिवार्य

500-999 स्क्वेयर यार्ड - एक किलोवाट

1000-2999 स्क्वेयर यार्ड - दो किलोवाट

3000 या इससे अधिक - तीन किलोवाट रेस्को मॉडल में मकान मालिक को छत पर सोलर प्रोजेक्ट लगाने की मंजूरी देनी होगी। बाकी काम कंपनी का होगा। इस मॉडल को एमएनआरई में भी सराहा गया है। जल्द इसके तहत प्रोजेक्ट लगने शुरू होंगे।

-देबेंद्र दलाई, चीफ कंजर्वेटर ऑफ फॉरेस्ट, चंडीगढ़


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