सतर्क रहें.. क्योंकि जंगल से निकलकर शहर में घुस रहा ये जहरीला जानवर Chandigarh News
डेढ़ महीने में वाइल्डलाइफ विंग को करीब 90 शिकायत मिल चुकी हैं। रेस्क्यू टीम तुरंत मौके पर पहुंचकर सांप को पकड़कर पास लगते फॉरेस्ट में छोड़ रही है।
By Edited By: Published: Mon, 12 Aug 2019 10:09 PM (IST)Updated: Tue, 13 Aug 2019 10:29 AM (IST)
जागरण संवाददाता, चंडीगढ़। बरसात के चलते बिलों के अंदर पानी भरने से सांपों ने रेजिडेंशियल एरिया का रुख कर लिया है। यही कारण है कि इससे संबंधित फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट को रोजाना तीन से चार कंपलेंट मिल रही है। पिछले एक से डेढ़ महीने में वाइल्डलाइफ विंग को करीब 90 शिकायत मिल चुकी हैं। इन शिकायतों के बाद वाइल्डलाइफ विंग की रेस्क्यू टीम तुरंत मौके पर पहुंचकर सांप को पकड़कर पास लगते फॉरेस्ट में छोड़ रही है। इसके अलावा नौ केस सांप काटने के भी आ चुके हैं। इसमें अधिकतर केस नयागांव, कांसल और डेराबस्सी जैसे एरिया से हैं।
सर्पदंश से पीड़ितों का जीएमएचएच-16, जीएमसीएच-32 और पीजीआइ में इलाज होता है। स्नेक बाइट के ज्यादातर मामले भारतीय प्रजाति के सांपों के काटने के आ रहे हैं। इनमें वोल्फ स्नेक, स्पेक्टाक्लेड कोबरा, पायथन और रैट स्नेक्स शामिल हैं। कुछ लोग निजी स्नेक कैचर्स से भी सांप पकड़वा रहे हैं।
यह है स्नेक प्रोन एरिया
सिटी एरिया में सांप कम हैं। लेकिन जिन एरिया में बड़ी घास और गंदगी है वहां सांप जल्दी पनपते हैं। इसके अलावा शहर के साथ लगते चौ और नालों में यह सबसे ज्यादा हैं। पटियाला की राव, सुखना चौ के साथ लगते एरिया और फॉरेस्ट स्नेक प्रोन एरिया हैं। वहीं पंजाब यूनिवर्सिटी, सेक्टर-39, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट, पंजाब एंड हरियाणा सिविल सेक्रेटेरिएट, रॉक गार्डन, सेक्टर-47, 48 भी स्नेक प्रोन एरिया में आते हैं। तीन सांप किए रेस्क्यू दो दिनों में हरियाणा सेक्रेटेरिएट से एक पायथन, सेक्टर-39 से एक कोबरा जबकि पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से एक रैट स्नेक रेस्क्यू किया गया है। सांप के अधिकतर मामले मानसून में ही सामने आते हैं। इन्हीं एरिया में से सबसे ज्यादा कॉल आती हैं।
मानसून में बिलों के अंदर पानी भर जाता है। साथ ही भोजन की तलाश में भी सांप रेजिडेंशियल एरिया में पहुंच जाते हैं। इन दिनों रोजाना तीन से चार कॉल वाइल्ड लाइफ विंग को रेस्क्यू के लिए आ रही हैं। टीम सांप को पकड़ने के बाद फॉरेस्ट एरिया में छोड़ रही हैं।
डा. अब्दुल क्यूम, डिप्टी कंजर्वेटर, फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट, चंडीगढ़।
सर्पदंश से पीड़ितों का जीएमएचएच-16, जीएमसीएच-32 और पीजीआइ में इलाज होता है। स्नेक बाइट के ज्यादातर मामले भारतीय प्रजाति के सांपों के काटने के आ रहे हैं। इनमें वोल्फ स्नेक, स्पेक्टाक्लेड कोबरा, पायथन और रैट स्नेक्स शामिल हैं। कुछ लोग निजी स्नेक कैचर्स से भी सांप पकड़वा रहे हैं।
यह है स्नेक प्रोन एरिया
सिटी एरिया में सांप कम हैं। लेकिन जिन एरिया में बड़ी घास और गंदगी है वहां सांप जल्दी पनपते हैं। इसके अलावा शहर के साथ लगते चौ और नालों में यह सबसे ज्यादा हैं। पटियाला की राव, सुखना चौ के साथ लगते एरिया और फॉरेस्ट स्नेक प्रोन एरिया हैं। वहीं पंजाब यूनिवर्सिटी, सेक्टर-39, पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट, पंजाब एंड हरियाणा सिविल सेक्रेटेरिएट, रॉक गार्डन, सेक्टर-47, 48 भी स्नेक प्रोन एरिया में आते हैं। तीन सांप किए रेस्क्यू दो दिनों में हरियाणा सेक्रेटेरिएट से एक पायथन, सेक्टर-39 से एक कोबरा जबकि पंजाब एंड हरियाणा हाईकोर्ट से एक रैट स्नेक रेस्क्यू किया गया है। सांप के अधिकतर मामले मानसून में ही सामने आते हैं। इन्हीं एरिया में से सबसे ज्यादा कॉल आती हैं।
मानसून में बिलों के अंदर पानी भर जाता है। साथ ही भोजन की तलाश में भी सांप रेजिडेंशियल एरिया में पहुंच जाते हैं। इन दिनों रोजाना तीन से चार कॉल वाइल्ड लाइफ विंग को रेस्क्यू के लिए आ रही हैं। टीम सांप को पकड़ने के बाद फॉरेस्ट एरिया में छोड़ रही हैं।
डा. अब्दुल क्यूम, डिप्टी कंजर्वेटर, फॉरेस्ट एंड वाइल्ड लाइफ डिपार्टमेंट, चंडीगढ़।
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