गायिका हम्सिका अय्यर ने साझा की अपनी संगीत यात्रा, कहा-आवाज की वजह से मिली कामयाबी
एक गायक की आवाज ही उसे आगे ले जाती है। मेरे साथ भी मेरी आवाज ने ऐसा ही किया। मैं विज्ञापनों में जिंगल गाती थी।
जेएनएन, चंडीगढ़। एक गायक की आवाज ही उसे आगे ले जाती है। मेरे साथ भी मेरी आवाज ने ऐसा ही किया। मैं एडवर्टाइजमेंट में जिंगल गाती थी। एक दिन पता चला कि मुझे शाहरुख खान की फिल्म रा वन के लिए छम्मक छल्लो गाना गाना है। उस दिन मुझे यकीन नहीं हुआ कि मेरी आवाज का चयन खुद विशाल शेखर की जोड़ी ने किया। मगर इसका सारा श्रेय मेरी आवाज को ही जाता है, जिसने मुझे यहां तक पहुंचाया। गायिकी हम्सिका अय्यर ने कुछ इन्हीं शब्दों में अपने गायिकी करियर पर बात की। मुंबई की हम्सिका मंगलवार को शहर में प्रस्तुति देने पहुंची। बातचीत में उन्होंने संगीत से जुड़ी अपनी यात्रा को साझा किया। बोली कि संगीत तो विरासत में मिला। पिता से ही संगीत सीखा। फिर आगे चलकर कई गुरुओं से ट्रेनिंग ली। एक गायक के रूप में मुंबई में संघर्ष बड़ा है। मैंने शुरुआती एडवर्टाइजमेंट के लिए जिंगल गाए। इसके बाद मुझे साउथ से कई गीत गाने के ऑफर हुए। इससे मेरा गुजारा अच्छा हो जाता था। ऐसे में मैंने साउथ इंडस्ट्री में अपना नाम बना लिया। हां, मगर बॉलीवुड से ऑफर आया तो फिर मुझे इसी फील्ड में कई काम मिलने लगे।
सिंगर के लिए पहचान बनाना थोड़ा मुश्किल होती है
हम्सिका ने कहा कि मुंबई में रहते हुए बैकग्राउंड सिंगर के रूप में पहचान बनाना बहुत मुश्किल होता है। आपकी आवाज ही लोगों तक पहुंचती है। ऐसे में अगर वो गाना हिट हुआ तो लोग आपको सर्च करते हैं। मेरे लिए छम्मक छल्लों ने ऐसा काम किया। इसके बाद तो एजेंट विनोद के राबता जैसी गीत ने भी मुझे पहचान दिला दी। मेरे अनुसार, शास्त्रीय संगीत की ट्रेनिंग ने ही मुझे संयम सिखाया है। जिसकी वजह से मैं अपनी रफ्तार से खुश हूं। आपको एक दम सबकुछ नहीं मिलता। आप आराम से अपना रास्ता बना सकते हैं। बस जरूरत है तो हौसले और सही ट्रेनिंग की। इन दिनों संगीत की इंडस्ट्री में काफी संघर्ष है, मगर अगर हम अपनी अहमियत को सही तरह जताना सीखें, तो हमारी एक अलग पहचान बन सकती है, जो हमें इंडस्ट्री में काफी काम दिला सकती है।